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हिमाचल में लंपी वायरस के 3022 केस, अब तक 119 पशुओं की मौत

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Published : Aug 16, 2022, 7:30 PM IST

lampi Virus in Himachal, हिमाचल प्रदेश में लंपी वायरस का प्रकोप चिंताजनक हो रहा है. राज्य में अब तक इस वायरस की चपेट में 3022 पशु आ चुके हैं. लंपी वायरस से किसी पशु की मौत होने पर पशुपालक को तीस हजार रुपये मुआवजा दिया जा रहा है. विभाग के डिप्टी डॉयरेक्टर डॉ. अरुण सरकैक के अनुसार मंगलवार को प्रदेश भर में 7 पशुओं की मौत इस वायरस से हुई है.

lampi Virus in Himachal
प्रतीकात्मक तस्वीर.

शिमला:हिमाचल प्रदेश में लंपी वायरस का प्रकोप चिंताजनक हो रहा है. राज्य में अब तक इस वायरस की चपेट में 3022 पशु आ चुके हैं. पशुपालन विभाग में लंपी वायरस को लेकर अलग से प्रकोष्ठ गठित किया गया है. विभाग के डिप्टी डॉयरेक्टर डॉ. अरुण सरकैक के अनुसार अब तक लंपी वायरस से 119 पशुओं की मौत हो गई है. उन्होंने बताया कि लंपी वायरस से किसी पशु की मौत होने पर पशुपालक को तीस हजार रुपये मुआवजा दिया जा रहा है. उन्होंने बताया कि मंगलवार को प्रदेश भर में 7 पशुओं की मौत इस वायरस से हुई है.

इस समय हिमाचल प्रदेश में सिरमौर जिला सबसे (lampi Virus in Himachal) अधिक प्रभावित हुआ है. उसके बाद शिमला व ऊना जिले का नंबर है. उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में 90 फीसदी आबादी ग्रामीण इलाकों में रहती है. ग्रामीणों की आजीविका का मुख्य साधन पशुपालन है. दुधारू पशुओं के पालन और दूध बेचने से ग्रामीण अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करते हैं, लेकिन इस वायरस के आने के बाद ग्रामीणों में भय का माहौल है. विधानसभा के मानसून सत्र में भी इस मुद्दे पर चर्चा हुई है. कांग्रेस विधायक अनिरुद्ध सिंह ने सरकार से पशुपालकों को उचित मुआवजा व मदद का आग्रह किया है. अनिरुद्ध सिंह ने कहा था कि ग्रामीणों ने कर्ज लेकर दुधारू पशु खरीदे हैं. ऐसे में वायरस से बचाव के लिए सरकार को टीकाकरण अभियान तेज करना चाहिए.

पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि इस बीमारी (Lampi Virus Vaccine) को लेकर सरकार एक्शन मोड में है. जैसे ही पशु में इस बीमारी का पता चलता है वैसे ही उस क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन घोषित कर देते हैं. विभाग संबंधित क्षेत्र के 5 किलोमीटर के दायरे में आने वाले सभी पशुओं में वैक्सीनेशन अभियान को चला रहा है. इस बीमारी को लेकर विभाग अलर्ट मोड पर है. संबंधित जिलों के डीसी से बाहरी राज्यों से लाए जाने वाले पशुओं की मूवमेंट पर फिलहाल के लिए रोक लगाने की अपील की है. विभाग के अधिकारियों का मानना है कि बाहरी राज्यों से आने वाले पशुओं से प्रदेश में लंपी वायरस का खतरा बढ़ा है. पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने कहा कि इस बीमारी से निपटने के लिए स्तर पर विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम गठित की गई है. जिसमें नोडल ऑफिसर तैनात पूरी नजर बनाए हुए है. इसके अलावा जिला स्तर पर भी नोडल ऑफिसर तैनात किए गए हैं. यह अधिकारी पशुपालकों को जागरूक करने का काम भी कर रहे हैं.

क्या है लंपी वायरस: लंपी वायरस, पशुओं (what is lampi virus) में फैलने वाला एक चर्म रोग (Lampi Skin Desease) है. राजस्थान के अलावा उत्तर प्रदेश और गुजरात में भी इसका संक्रमण बढ़ा है. जानकारी के मुताबिक, इस वायरस की देश में एंट्री पाकिस्तान के रास्ते हुई है. इस बीमारी से ग्रसित जानवरों के शरीर पर सैकड़ों की संख्या में गांठे उभर आती हैं. साथ ही तेज बुखार, मुंह से पानी टपकना शुरू हो जाता है. इससे पशुओं को बहुत ज्यादा कमजोरी महसूस होती है. उसे चारा खाने और पानी पीने में भी परेशानी होती है. यह एक संक्रामक बीमारी है जो मच्छर, मक्खी और जूं आदि के काटने या सीधा संपर्क में आने से फैलती है. कम प्रतिरोधक क्षमता वाली गायें शीघ्र ही इस वायरस की शिकार हो जाती है. बाद में यह वायरस एक से दूसरे पशुओं में फैल जाता है.

लंपी वायरस से ऐसे बचाएं अपने पशुओं को: खास तौर से गायों (Lampi Virus In Cow) में लगातार फैल रहे लंपी वायरस ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. गौशालाओं के बाहर पशुपालकों के पशु भी लंपी वायरस की चपेट में आने लगे हैं. राज्य सरकार इस वायरस पर नियंत्रण पाने के प्रयास कर रही है लेकिन फिलहाल यह काबू में नहीं आया है. सरकार ने पशुपालकों से अपील की है कि वे जागरूकता बरतते हुए अपनी गायों को इस वायरस की चपेट में आने से बचाएं. यह बीमारी लाइलाज है. ऐसे में एहतियात बरतना बेहद जरूरी है.

बचाव ही इलाज है-

1. इस बीमारी के प्रारंभिक लक्षण नजर आने पर पशुओं को दूसरे जानवरों से अलग कर दें.

इलाज के लिए नजदीकी पशु चिकित्सा केन्द्र से संपर्क करें.

2. बीमार पशु को चारा पानी और दाने की व्यवस्था अलग बर्तनों में करें.

3. रोग ग्रस्त क्षेत्रों में पशुओं की आवाजाही रोकें.

4. जहां ऐसे पशु हों, वहां नीम के पत्तों को जलाकर धुआं करें, जिससे मक्खी, मच्छर आदि को भगाया जा सके.

5. पशुओं के रहने वाली जगह की दीवारों में आ रही दरार या छेद को चूने से भर दें. इसके साथ कपूर की गोलियां भी रखी जा सकती हैं, इससे मक्खी, मच्छर दूर रहते हैं.

6. जानवरों को बैक्टीरिया फ्री करने के लिए सोडियम हाइपोक्लोराईट के 2 से 3 फीसदी घोल का छिड़काव करें.

7. मरने वाले जानवरों के संपर्क में रही वस्तुओं और जगह को फिनाइल और लाल दवा आदि से साफ कर दें.

8. संक्रामक रोग से मृत पशु को गांव के बाहर लगभग डेढ़ मीटर गहरे गड्ढे में चूने या नमक के साथ दफनाएं.

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