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हिमाचल प्रदेश बनेगा देश का पहला ग्रीन स्टेट, सरकार के बजट में है रोड मैप

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Published : Mar 5, 2022, 6:16 PM IST

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा पेश बजट में कहा गया है कि ऊर्जा के क्षेत्र में राज्य का पूरा प्रयास ग्रीन स्टेट बनने पर है. हिमाचल प्रदेश ने काफी पहले थर्मल पावर सेंटर्स के साथ बिजली खरीदने का समझौता किया था. समय बीतने पर इन थर्मल पावर सेंटर्स के तहत तय किए गए दायित्व कम होते चले जाएंगे. अनुमान है कि वर्ष 2034 तक ये लायबिलिटी खत्म हो जाएगी.

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मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर

शिमला: ऊर्जा राज्य कहे जाने वाला हिमाचल देश में पहला हरित यानी ग्रीन स्टेट बनने की दिशा में अग्रसर है. राज्य में हर साल 12 हजार मिलियन यूनिट बिजली की खपत होती है. इस खपत में से केवल 2 हजार मिलियन यूनिट थर्मल पावर है. इसके अलावा शेष 10 हजार मिलियन यूनिट बिजली ग्रीन या फिर रिन्यूएबल है. ऐसे में हिमाचल देश का पहला हरित राज्य बनने के करीब है.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा पेश बजट में कहा गया है कि ऊर्जा (Himachal Budget 2022) के क्षेत्र में राज्य का पूरा प्रयास ग्रीन स्टेट बनने पर है. हिमाचल प्रदेश ने काफी पहले थर्मल पावर सेंटर्स के साथ बिजली खरीदने का समझौता किया था. समय बीतने पर इन थर्मल पावर सेंटर्स के तहत तय किए गए दायित्व कम होते चले जाएंगे. अनुमान है कि वर्ष 2034 तक ये लायबिलिटी खत्म हो जाएगी.

एक अन्य कारण यह है कि हिमाचल में जनता को राउंड दी क्लॉक बिजली देने के लिए सरकार थर्मल पावर का प्रयोग करती है. थर्मल पावर रिन्यूएबल एनर्जी से सस्ती पड़ती है. चूंकि ग्रीन स्टेट बनने के लिए हिमाचल को थर्मल पावर की जरूरत से मुक्त होना होगा. बजट में कहा गया है कि प्रदेश सरकार अपनी सौ फीसदी पावर संबंधी जरूरतों को ग्रीन और रिन्यूएबल एनर्जी से पूरा करेगी यदि सब कुछ ठीक रहा तो आने वाले समय में हिमाचल देश का पहला हरित राज्य बन जाएगा.

मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश जल्द ही इसके लिए आगामी प्रक्रियाएं पूरी कर रहा है. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ग्लासगो में 26वें जलवायु परिवर्तन शिखर सम्मेलन में प्रस्तुत पंचामृत के प्रमुख दो अमृत तत्व भारत की अपनी गैर-जीवाश्म ईंधन क्षमता को 50 गीगावाट तक बढ़ाने और वर्ष 2030 तक अक्षय ऊर्जा से अपनी ऊर्जा आवश्यकता की 50 प्रतिशत पूर्ति करने की प्रतिबद्धता थी.

हिमाचल में ग्रीन स्टेट के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए प्रदेश को अपने ताप ऊर्जा दायित्वों की आर्थिक सुरक्षा या उन्हें खरीदे जाने की आवश्यकता है. इसके लिए बड़े पैमाने पर मोल-भाव करना होगा जिसमें संभवतः जी-7 देश भी हो सकते हैं. कारण यह है कि तभी उचित एवं न्यायसंगत मूल्य प्राप्त हो सकेगा.

इसके साथ-साथ यह जलवायु वित्त का एक हिस्सा भी होगा. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पहले ही इस मुद्दे को प्रधानमंत्री और अन्य वरिष्ठ केन्द्रीय मंत्रियों के समक्ष उठा चुके हैं. प्रदेश के मुख्य सचिव राम सुभग सिंह ने विश्व बैंक के कन्ट्री डायरेक्टर एवं उपाध्यक्ष तथा नीति आयोग के उपाध्यक्ष व इसके सदस्यों के साथ चर्चा की है.

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