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Forest Cover in Himachal: हिमाचल के खजाने में हरे सोने की चमक, डेढ़ फीसदी बढ़ा ग्रीन कवर

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Published : Jul 13, 2022, 9:23 PM IST

Updated : Jul 14, 2022, 10:23 PM IST

Green cover increased in Himachal Pradesh
हिमाचल में डेढ़ फीसदी बढ़ा ग्रीन कवर

हिमाचल प्रदेश में फॉरेस्ट कवर (Forest cover in Himachal Pradesh) बढ़ाने के लिए अलग-अलग योजनाएं चल रही हैं. इसी का परिणाम है कि अब हिमाचल के खजाने में हरे सोने की चमक बढ़ने लगी है. प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 66 फीसदी से अधिक हिस्सा अलग-अलग तरह के जंगलों से ढंका (Green cover increased in Himachal Pradesh) है. हिमाचल प्रदेश में वनों की विविधता भी देश के अन्य राज्यों के लिए प्रेरक है.

शिमला: हिमाचल प्रदेश ने डेढ़ दशक के अंतराल में 22 करोड़ से अधिक पौधे लगाए हैं. बड़ी बात है कि इन पौधों की सर्वाइवल रेट भी अस्सी फीसदी है. इस समय हिमाचल प्रदेश में 28.4 फीसदी फॉरेस्ट कवर हो गया है. पहले यह आंकड़ा 27 फीसदी था. राज्य के कुल क्षेत्रफल का 66 फीसदी से अधिक हिस्सा अलग-अलग तरह के जंगलों से ढंका (Green cover increased in Himachal Pradesh) है.

हिमाचल में फॉरेस्ट कवर बढ़ाने के लिए अलग-अलग योजनाएं चल रही हैं. हिमाचल ने देश के सामने मिसाल पेश करते हुए ग्रीन फैलिंग पर रोक लगाई है और यहां किसी भी हरे पेड़ की टहनी काटने की भी इजाजत नहीं है. हिमाचल प्रदेश का लक्ष्य अपने ग्रीन कवर को 33 फीसदी तक करने का है. केंद्र की तरफ से जारी टारगेट के अनुसार हिमाचल को 2030 तक 30 फीसदी ग्रीन कवर करना है.

हिमाचल वन विभाग के मुखिया अजय श्रीवास्तव. (वीडियो)

हिमाचल प्रदेश में वनों की विविधता भी देश के अन्य राज्यों के लिए प्रेरक है. यहां के जंगलों में औषधीय पौधों सहित अन्य जीवनोपयोगी पौधे रोपे जाते हैं. हिमाचल प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 66 प्रतिशत से अधिक क्षेत्र अलग-अलग किस्म के पेड़ों से ढंका है. स्टेट फॉरेस्ट रिपोर्ट 2019 के अनुसार राज्य के फॉरेस्ट कवर एरिया में 333.52 वर्ग किलोमीटर की बढ़ोतरी हुई है. बेशक देश के दक्षिणी राज्यों के मुकाबले पहाड़ी राज्य हिमाचल की वन एरिया में बढ़ोतरी अपेक्षाकृत कम है, परंतु हिमाचल का अधिकांश क्षेत्र वनों से ढंका है. छोटा राज्य होने के बावजूद 66 फीसदी ग्रीन कवर एरिया होना कम उपलब्धि नहीं है.

हिमाचल प्रदेश में फॉरेस्ट कवर.

हिमाचल में पौधारपोण अभियान: प्रदेश की जनता को हरियाली के आंदोलन से जोड़ने के लिए राज्य सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं. जिनमें हिमाचल में सामुदायिक वन संवर्धन योजना, विद्यार्थी वन मित्र योजना, वन समृद्धि-जन समृद्धि योजना, एक बूटा बेटी के नाम योजनाएं शामिल हैं. इसके अलावा हर साल वन महोत्सव में भी पौधों का रोपण (Tree Plantation Campaign in Himachal) किया जाता है.

सितंबर 2019 में एक बूटा, बेटी के नाम योजना शुरू की थी. योजना शुरू होने के बाद जिस परिवार में बेटी का जन्म हुआ है, वहां वन विभाग पांच पौधे देता है. ये पौधे बेटी के नाम रोपे जाते हैं. परिवार को पौधों के आलावा एक किट भी दी जाती है, जिसमें 5 ट्री गार्ड, 20 किलोग्राम खाद व बच्ची की नेमप्लेट होती है. परिवार के सदस्य पौधे की देखभाल करते हैं. साथ ही पंचायतें, वन विभाग व स्थानीय प्रशासन इस काम में मदद करता है. एक किट की कीमत 1775 रुपए के करीब है. लगाए गए पौधे की नियमित देखभाल सुनिश्चित की जाती है.

हिमाचल में डेढ़ फीसदी बढ़ा ग्रीन कवर.

अब तक प्रदेश में 32 हजार परिवार इस योजना में अपनी बिटिया के नाम पौधा लगा चुके हैं. राज्य के वन विभाग के मुखिया अजय श्रीवास्तव (Himachal forest department head Ajay Srivastava) का कहना है कि विभाग का लक्ष्य अपने फॉरेस्ट कवर को 33 फीसदी करना है. उन्होंने बताया कि बेटी के नाम पौधा लगाने से भारत की प्रकृति को पूजने की परंपरा को भी पोषण देगा. न केवल माता-पिता बल्कि बेटियों का भी पौधों से सहज लगाव होगा.

पुराना रिकॉर्ड देखा जाए तो हिमाचल ने वर्ष 2013-14 में 1.66 करोड़, वर्ष 2014-15 में 1.35 करोड़ और वर्ष 2015-16 में 1.22 करोड़ पौधे रोपे हैं. इसी तरह 2016-17 में 1.10 करोड़, 2017-18 में 1.18 करोड़, 2018-19 में 1.26 करोड़, 2019-20 में 1.45 करोड़ से अधिक पौधे रोपे दिए. इसके अलावा 2020-21 में 12281237 और 2021-22 में 11053415 पौधे रोपे गए.

हिमाचल में औषधीय पौधे लगाने पर भी जोर: हिमाचल में औषधीय पौधों को रोपने का अभियान (medicinal plants in himachal) भी साथ-साथ चलता है. औषधीय पौधों के तहत अर्जुन, हरड़, बहेड़ा व आंवला सहित अन्य पौधे रोपे जाते हैं. बंदरों को जंगलों में आहार उपलब्ध करवाने के लिए यहां जंगली फलदार पौधे भी रोपे जाते हैं. हिमाचल में सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं ने वर्ष 2013-14 में 45.30 लाख, वर्ष 2014-15 में 46.70 लाख तथा वर्ष 2015-16 में 43 लाख औषधीय पौधे लगाए हैं. इसके बाद के सीजन में भी औषधीय पौधों के रोपण का औसतन आंकड़ा यही है.

राज्य में हरियाली बढ़ाने में अलग-अलग योजनाओं की अहम भूमिका रही है. हिमाचल में 2017-18 में कैंपा एरिया सहित 9725 हेक्टेयर भूमि में पौधरोपण किया गया. वर्ष 2019 में वन विभाग ने जनता, सामाजिक संस्थाओं, शैक्षणिक संस्थाओं आदि के सहयोग से 25 लाख 34 हजार से अधिक पौधों को रोपा. रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में फॉरेस्ट एरिया 37,033 वर्ग किमी है. इसमें से 1898 वर्ग किमी रिजर्व फॉरेस्ट है. इसके अलावा 33130 वर्ग किलोमीटर प्रोटेक्टेड फॉरेस्ट एरिया (Protected Forest Areas in Himachal) व 2005 वर्ग किमी अवर्गीकृत वन क्षेत्र है. हिमाचल में संरक्षित वन क्षेत्र में 5 नेशनल पार्क, 28 वन्य प्राणी अभ्यारण्य तथा 3 प्रोटेक्टेड क्षेत्र हैं. इन क्षेत्रों में वन्य प्राणियों व प्राकृतिक वनस्पतियों को संरक्षित किया गया है.

2017 में हिमाचल में फॉरेस्ट कवर (Forest cover in Himachal ) 15433.52 वर्ग किमी था. यह राज्य के क्षेत्रफल का 27.72 प्रतिशत है. अब यह आंकड़ा और अधिक हो गया है. रिकॉर्डेड फॉरेस्ट एरिया 37033 वर्ग किलोमीटर है. यह प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का 66.52 फीसदी है. प्रदेश के जंगलों में पेड़ों की 116 अलग-अलग प्रजातियां देखने को मिलती हैं. औषधीय प्रजातियों की संख्या 109 है. फॉरेस्ट फायर यानी जंगल की आग के नजरिए से देखें तो हिमाचल के जंगलों का 4.6 फीसदी भाग इस दृष्टि से अति संवेदनशील है. 220 वर्ग किमी से अधिक के जंगल फॉरेस्ट फायर के मामले में संवेदनशील हैं. आइए आंकड़ों को अनुसार देखते हैं किस जिले में कितने हेक्टेयर में कितने पौधे लगाए गए.

हिमाचल में साल 2020-2021 में किस जिले में कितने पौधे लगाए गए...

साल 2020-2021 में किस जिले में कितने पौधे लगाए गए



हिमाचल में साल 2021-2022 में किस जिले में कितने पौधे लगाए गए...

साल 2021-2022 में किस जिले में कितने पौधे लगाए गए.



Last Updated :Jul 14, 2022, 10:23 PM IST

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