हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

शिमला में CITU का हल्ला बोल, चार लेबर कोड और तीन नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग

By

Published : Mar 26, 2021, 7:57 PM IST

Updated : Mar 26, 2021, 10:39 PM IST

शिमला के डीसी ऑफिस के बाहर सीटू द्वारा जोरदार प्रदर्शन किया गया. सीटू जिला सचिव बाबू राम ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरह से पूंजीपतियों के साथ खड़ी हो गयी है. आर्थिक संसाधनों को आम जनता से छीनकर अमीरों के हवाले करने के रास्ते पर आगे बढ़ रही है.

सीटू का प्रदर्शन
सीटू का प्रदर्शन

शिमला:सीटू राज्य कमेटी ने केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच व किसान संयुक्त मोर्चा के आह्वान पर प्रदर्शन किया. सीटू व हिमाचल किसान सभा ने मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों, तीन कृषि कानून, बिजली विधेयक 2020, सार्वजनिक क्षेत्र के निजीकरण आदि के खिलाफ प्रदेशव्यापी प्रदर्शन किए. सीटू व हिमाचल किसान सभा ने केंद्र सरकार से मजदूर, किसान व कर्मचारी विरोधी नीतियों पर रोक लगाने की मांग की है.

शिमला में सीटू का प्रदर्शन

सीटू ने ऐलान किया है कि 28 मार्च को होली के दिन मजदूर विरोधी चार लेबर कोडों तथा कर्मचारी व जनता विरोधी बिजली विधेयक 2020 की प्रतियों को जलाकर केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ आक्रोश जाहिर किया जाएगा. इसी कड़ी में शिमला के डीसी ऑफिस के बाहर भी सीटू द्वारा जोरदार प्रदर्शन किया गया.

वीडियो

सरकार पूंजीपतियों के साथ: सीटू

सीटू जिला सचिव बाबू राम ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरह से पूंजीपतियों के साथ खड़ी हो गयी है. आर्थिक संसाधनों को आम जनता से छीनकर अमीरों के हवाले करने के रास्ते पर आगे बढ़ रही है. मजदूर विरोधी चार लेबर कोड, तीन कृषि कानून, कृषि का निगमीकरण, बिजली विधेयक 2020 व सार्वजनिक क्षेत्र का निजीकरण पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के उद्देश्य से ही किए जा रहे हैं. हालिया बजट में बैंक, बीमा, रेलवे, एयरपोर्टों, बंदरगाहों, ट्रांसपोर्ट, गैस पाइप लाइन, बिजली, सरकारी कंपनियों के गोदाम व खाली जमीन, सड़कों, स्टेडियम सहित ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण करके बेचने का रास्ता खोल दिया गया है.

नए कृषि कानून किसान विरोधी

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के नारे की आड़ में मजदूर विरोधी लेबर कोडों को अमलीजामा पहनाया गया है. इससे केवल पूंजीपतियों, उद्योगपतियों व कॉरपोरेट घरानों को फायदा होने वाला है. इससे 70 प्रतिशत उद्योग व 74 प्रतिशत मजदूर श्रम कानूनों के दायरे से बाहर हो जाएंगे. खेती को कॉरपोरेट कंपनियों व पूंजीपतियों के हवाले करने के दृष्टिकोण से ही किसान विरोधी तीन कृषि कानून लाए गए हैं.

ये भी पढ़ें: कोरोना से लड़ने में हिमाचलियों ने दिल खोलकर दिया दान, खजाने में जमा हुए 84 करोड़, मंडी टॉप पर

Last Updated : Mar 26, 2021, 10:39 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details