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मौसम की मार के बावजूद हिमाचल में बेहतर रहा सेब उत्पादन, कोल्ड स्टोरेज में पहुंची 19 लाख पेटियां

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Published : Jan 8, 2022, 6:16 PM IST

Updated : Jan 8, 2022, 10:58 PM IST

बेमौसमी ओलावृष्टि और बारिश के बावजूद भी इस बार पिछले पांच सालों में सबसे अधिक सेब (Apple production in Himachal Pradesh) उत्पादन हुआ है. सेब के अधिक उत्पादन के कारण (Apple price in Himachal Pradesh) इस बार सीए स्टोर (Controlled atmosphere storage) में भी बड़ी मात्रा में सेब रखा गया है. प्रदेश के सेब बहुल इलाकों में पांच से छह निजी घरानों ने सीए स्टोर बनाए है. इस बार इनमें करीब लगभग 19 लाख पेटी से अधिक सेब रखा गया है. वहीं, इस बार सेब पैदावार अच्छी हुई. लेकिन बेमौसमी ओलावृष्टि से बड़ी संख्या में सेब दागी हो गया. जिसके कारण बागवानों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा.

Apple production in Himachal Pradesh
फोटो.

शिमला: बेमौसमी ओलावृष्टि और बारिश के बावजूद भी इस बार पिछले पांच सालों में सबसे अधिक सेब (Apple production in Himachal Pradesh) उत्पादन हुआ है. अप्रैल से जून महीने तक ओलावृष्टि और बेमौसम बर्फबारी के कहर से बागवान चिंतित थे, लेकिन प्रदेश में इस बार करीब 3.43 करोड़ पेटी सेब उत्पादन हुआ है. वर्ष 2015 में 3.38 करोड़ पेटी और 2010 में सर्वाधिक 5.11 करोड़ पेटी सेब उत्पादन हुआ था. इस लिहाज से 2021 सेब उत्पादन के लिए अच्छा रहा. सेब के अधिक उत्पादन के कारण इस बार सीए स्टोर (Controlled atmosphere storage) में भी बड़ी मात्रा में सेब रखा गया है. प्रदेश के सेब बहुल इलाकों में पांच से छह निजी घरानों ने सीए स्टोर बनाए हैं. इस बार इनमें करीब 19 लाख सेब की पेटियां रखी गई हैं.

इनमें से 13 लाख पेटी सेब निजी घरानों द्वारा स्वयं खरीदकर स्टोर किया गया है, जबकि (apple production in shimla) करीब पांच लाख पेटी सेब बागवानों ने सीए स्टोर में रखी हैं. बागवानी विभाग के अधिकारियों के अनुसार प्रदेश में (CA store in Himachal) कुछ बागवान ही अपना सेब सीए स्टोर में रखते हैं. जबकि सीए स्टोर में सेब रखकर बागवान एक तो बाजार भाव को नियंत्रित करने में मदद कर सकते है दूसरा ऑफ-सीजन में सेब बेचकर अच्छा मुनाफा कमा सकते है. कोटखाई तहसील के देवरी खनेटी गांव के निवासी बागवान सुधीर शर्मा का कहना है कि इस बार सेब की अच्छी पैदावार हुई है. लेकिन ओलावृष्टि के कारण सेब दागी हो गया था जिससे बी ग्रेड के अच्छे दाम नहीं मिले हैं.

ओलावृष्टि से दागी हुआ सेब:इस बार सेब पैदावार अच्छी हुई, लेकिन बेमौसमी ओलावृष्टि (Damage due to hailstorm in Himachal) से बड़ी संख्या में सेब दागी हो गया. जिसके कारण बागवानों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ा. इसी कारण बी ग्रेड सेब के भाव मंडियों में अचानक से गिर गए. मंडियों में 12 अगस्त के बाद से ही बी ग्रेड सेब के भाव गिरना शुरू हो गए थे. इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अगस्त के पहले सप्ताह तक उन्नत किस्म का जो सेब 3500 रुपये प्रति पेटी तक बिक रहा था, अगस्त के दूसरे सप्ताह के बाद वही सेब 1800 से 2200 रुपये प्रति पेटी बिक पाया है.

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हालांकि इसकी कमी सरकार ने एमआईएस के माध्यम से (apple crop in Himachal Pradesh) खरीद कर पूरी भी कर दी. बीते नौ सालों में सबसे अधिक 36 लाख से अधिक पेटी से सेब सरकारी उपक्रम एचपीएमसी और हिमफैड ने एमआईएस के तहत खरीदी. इन संस्थाओं ने 9.50 रुपये प्रति किलो के हिसाब से सेब खरीदा. पिछले वर्षों की तुलना में इस बार यह मूल्य कुछ अधिक था. हिमाचल प्रदेश में पिछले डेढ़ दशक का आंकड़ा देखा जाए तो वर्ष 2010 में सबसे अधिक 4.46 करोड़ पेटी सेब का उत्पादन हुआ था. सेब उत्पादन के लिए शिमला जिला का जुब्बल, कोटखाई, नारकंडा, चौपाल, कोटगढ़, क्यारी, रोहड़ू इलाका प्रसिद्ध है. शिमला जिले (Controlled atmosphere storage in HP) के अलावा कुल्लू, मंडी, किन्नौर, चंबा, लाहौल-स्पीति व सिरमौर में भी सेब पैदा होता है.

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इस बार खूब गरमाई सेब पर राजनीति:सेब के कम दाम मिलने पर भी इस बार खूब राजनीति गरमाई रही. पहले बागवानी मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर के सेब को करेट में बेचने की बात को लेकर इसके बाद सेब की स्टोरेज को लेकर कुछ बागवान संगठनों ने आरोप लगाया कि देश के नामी (Apple price in Himachal Pradesh) व्यापारिक घरानों जिनके यहां सीए स्टोर हैं उन्होंने जानबूझ कर सेब के दाम गिराए हैं. इसके बाद भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी शिमला आकर कहा कि सेब के दामों में आई गिरावट की वजह सेब की स्टोरेज हैं.

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टिकैत ने आरोप लगाया कि बागवानों से सस्ते सेब खरीद कर स्टोर करके दोगुने रेट पर आगे बेचे जाएंगे. इसके बाद सेब के गिरते दामों के खिलाफ़ प्रदर्शन के दौरान हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष कुलदीप सिंह राठौड़ ने निजी क्षेत्र पर आरोप लगाया है कि उच्च क्वालिटी के सेबों के दाम 72 रुपये प्रति किलो तय किए हैं. इससे सेब बाज़ार को नुकसान पहुंचा है. सेब राज्य के रूप में मशहूर हिमाचल में इस फल की व्यावसायिक खेती के सौ साल से अधिक हो गए हैं. सेब की तीन किस्मों रेड, रॉयल व गोल्डन डिलिशियस से हुई शुरुआत के 100 साल बाद 90 किस्मों की सेब प्रजातियों की खेती प्रदेश में सफलतापूर्वक की जा रही है. आज प्रदेश में 1,10,679 हेक्टेयर क्षेत्र में 7.77 लाख मीट्रिक टन सेब पैदा कर प्रदेश की आर्थिकी को सुदृढ़ किया जा रहा है.

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वर्ष सेब उत्पादन

2010 4.46 करोड़ पेटी
2011 1.38 करोड़ पेटी
2012 1.84 करोड़ पेटी
2013 3.69 करोड़ पेटी
2014 2.80 करोड़ पेटी
2015 3.88 करोड़ पेटी
2016 2.40 करोड़ पेटी
2017 2.08 करोड़ पेटी
2018 1.65 करोड़ पेटी
2019 2.75 करोड़ पेटी
2020 2.80 करोड़ पेटी
2021 3.43 करोड़ पेटी

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Last Updated : Jan 8, 2022, 10:58 PM IST

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