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मुख्यालय सेना प्रशिक्षण कमान ने सादगी भरे समारोह में मनाया 31वां स्थापना दिवस

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Published : Oct 1, 2021, 5:44 PM IST

शिमला में मुख्यालय सेना प्रशिक्षण कमान ने अफना 31वां स्थापना दिवस मनाया. सादगी भरे समारोह में बीस कर्मियों को बेहतर काम के लिए जीओसी इन सी प्रशंसा पत्र भी मिला. सेना प्रशिक्षण कमान के तहत 33 सर्वश्रेष्ठ सेना प्रशिक्षण संस्थाएं देश के अलग-अलग राज्यों में चल रही हैं.

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फोटो.

शिमला:राजधानी शिमला में शुक्रवार को मुख्यालय सेना प्रशिक्षण कमान ने सादगी भरे समारोह में अपना 31वां स्थापना दिवस मनाया. 31वें स्थापना दिवस के तहत लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला ने मुख्यालय सेना प्रशिक्षण कमान में सभी से आह्वान किया कि वे परिश्रम के साथ भारतीय सेना की उन्नति के लिए कार्य करें. इसी दौरान बीस कर्मियों को श्रेष्ठ कार्य करने के लिए जीओसी-इन-सी प्रंशसा पत्र से भी नवाजा गया है.


गौरतलब है कि मुख्यालय सेना प्रशिक्षण कमान की स्थापना 01 अक्टूबर 1991 को महू, मध्य प्रदेश में हुई थी. पहले दो भारतीय सेना प्रशिक्षण इस के तहत स्थापित थे. मुख्यालय सेना प्रशिक्षण कमान 31 मार्च 1993 को शिमला में स्थानांतरित हुआ, जहां 1885 का ऐतिहासिक भवन इसका स्थायी निवास बना. यह आजादी से पहले सेना का मुख्यालय था और बाद में पश्चिमी कमान चंडीमंदिर का मुख्यालय था. यह मुख्यालय माल रोड पर स्थित है. सेना प्रशिक्षण कमान के तहत 33 सर्वश्रेष्ठ सेना प्रशिक्षण संस्थाएं देश के अलग-अलग राज्यों में चल रही हैं.

मुख्यालय में डॉक्ट्रीन, रेडफोर तथा प्रशिक्षण शाखाओं का समन्वय है, जो भारतीय सेना को भविष्य के प्रशिक्षण तथा चुनौतियों के लिए तैयार कर रही हैं. लेफ्टिनेंट जनरल राज शुक्ला, पीवीएसएम, वाईएसएम, एसएम, एडीसी, जीओसी-इन-सी आरट्रैक के नेतृत्व में मुख्यालय सेना प्रशिक्षण कमान भारतीय सेना का उच्च प्रशिक्षण संगठन बन गया है. जब से 01 सितंबर 2020 को इसमें डीजीएमटी का सफल विलय हुआ. मुख्यालय कमान ने क्वांटम, आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस, 5 जी, साइबर तथा इलेक्ट्रोनिक वारफेयर, रोबोटिक्स में पहल की है.

इस सफल कार्य के परिणाम में देखा गया 15 जनवरी 2021 को आर्मी दिवस परेड के दौरान ड्रोन स्वार्मिंग के साथ ही साथ इस टेक्नोलॉजी को भारतीय सेना में सम्मिलित किया गया है. मुख्यालय सेना प्रशिक्षण कमान द्वारा प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों और संस्थानों के साथ प्रौद्योगिकी में ज्ञान का आदान-प्रदान किया जा रहा है. यह भारतीय सेना के अफसरों की प्रौद्योगिक क्षमता को बढ़ाकर संगठन की नेतृत्व क्षमता को मजबुत कर रहा है.

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