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Ganesh chaturthi 2022 कुल्लू में धूमधाम के साथ शुरू हुआ गणपति उत्सव, ईको फ्रेंडली मूर्तियों के साथ मनाया जाएगा त्योहार

Ganesh chaturthi 2022, आज से गणेश चतुर्थी है. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, आज ही के दिन भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था. वहीं, कुल्लू जिले में भी श्रद्धालु गणेश चतुर्थी विभिन्न जगहों पर धूमधाम के साथ मना रहे हैं. जिला कुल्लू में इस बार गणेश उत्सव की खास बात यह है कि यहां पर सभी मूर्तियां इको फ्रेंडली हैं और पर्यावरण को इनसे कोई नुकसान नहीं होगा.

Ganesh chaturthi 2022
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Published : Aug 31, 2022, 3:56 PM IST

कुल्लू:आज से गणेश चतुर्थी है. हिंदू मान्यताओं के मुताबिक, आज ही के दिन भगवान श्री गणेश का जन्म हुआ था. माता पार्वती और भगवान शिव के पुत्र गणपति के जन्मदिवस के मौके पर 10 दिनों का उत्सव मनाया जाता है. आज से गणपति उत्सव की शुरुआत हो रही है. गणेश देवों के ईष्ट हैं. कहा जाता है कि किसी भी भगवान की पूजा की शुरुआत गणेश जी के स्मरण के बाद ही होती है. कुल्लू जिले में भी श्रद्धालु गणेश चतुर्थी विभिन्न जगहों पर धूमधाम के साथ मना रहे हैं.

जिला कुल्लू में इस बार गणेश उत्सव (Ganpati festival in Kullu) की खास बात यह है कि यहां पर सभी मूर्तियां इको फ्रेंडली हैं और पर्यावरण को इनसे कोई नुकसान नहीं होगा. कुल्लू शहर के रामशीला हनुमान मंदिर के साथ भुंतर मणिकर्ण चौक में गणेश मूर्ति की स्थापना की गई है. साथ ही लोगों ने घर-घर में भगवान गणेश की मूर्ति की स्थापित की है. गणपति भगवान की पूजा अर्चना के साथ अगले 11 दिनों तक गणपति भगवान की पूर्जा अर्चना कर माहौल भक्तिमय हो गया है.

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जिला कुल्लू के ढालपुर में काम कर रहे एकमात्र (Ganesh chaturthi 2022) मूर्ति कारीगर डूंगा राम ने कहा कि वह 28 वर्षों से हर साल गणेश जी की मूर्तियां तैयार करते हैं और इस बार भी उन्होंने ने काफी सारी मूर्तियां तैयार की हैं. जो चॉक मिट्टी और नारियल के छिलके से बनाई जाती हैं. यह मूर्तियां इको फ्रेडली होती हैं और इन्हें पानी में विर्सजन से जीव जंतुओं को कोई नुकसान नहीं होता है.

डूंगा राम ने कहा कि हम साल भर गणेश चतुर्थी (ganesh chaturthi kab hai) का इंतजार करते हैं, क्योंकि वह इन्हीं मूर्तियों को बेचकर आपने परिवार का पेट पालते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ सालों तक मूर्तियों की खरीदारी बहुत कम लोग करते थे और अब पिछले 8 से 10 दस सालों में कुल्लू के लोग भी गणेश चतुर्थी के त्यौहार में मूर्ति की स्थापना करते हैं. कई जगह पर बड़े स्तर पर बड़ी मूर्तियां स्थापित कर गणेश भगवान की दस दिनों तक पूजा अर्चना करते हैं और ग्यारहवें दिन ब्यास नदी में मूर्ति विर्सजन किया जाता है.

श्रद्वालु ऋषिता ने बताया कि वो गणपति की मूर्ति घर पर स्थापित कर रही हैं. गणपति के घर में आने से रौनक लगती है. सुबह शाम दो बार पूर्जा अर्चना की जाती है और 11वें दिन गणपति का विर्सजन किया जाता है. उन्होंने कहा कि गणपति महाराज जी की कृपा सभी पर बनी रहे है और हर साल गणपति महाराज की लोगों के घर में सुख समृद्वि दें.

गणेश चतुर्थी 2022 मुहूर्त (Ganesh Chaturthi 2022 Muhurat)

भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि शुरू - 30 अगस्त 2022, दोपहर 3.33 मिनट से भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि खत्म - 31 अगस्त 2022, दोपहर 3.22 मिनट तक

गणेश जी स्थापना मुहूर्त - 11.05 AM - 1.38 PM (31 अगस्त 2022, बुधवार)

विजय मुहूर्त - दोपहर 2.34 - 3.25 (31 अगस्त 2022)

अमृत काल मुहूर्त - शाम 5.42 - 7.20 (31 अगस्त 2022)

गोधूलि मुहूर्त - शाम 6.36 - 7.00 (31 अगस्त 2022)

गणेश चतुर्थी 2022 शुभ योग (Ganesh Chaturthi 2022 Shubh yoga)

इस साल गणपति जी तीन बेहद शुभ योग में पधार रहे हैं. गणेश चतुर्थी रवि, ब्रह्म और शुक्ल योग का संयोग बन रहा है. साथ ही इस दिन बुधवार होने से गणपति का जन्मोत्सव बेहद खास होगा.

रवि योग - 31 अगस्त 2022, 06.06 AM - 1 सितंबर 2022, 12.12 AM

शुक्ल योग - 31 अगस्त 2022, 12.05 AM - 10:48 PM

ब्रह्म योग - 31 अगस्त 2022, 10.48 PM - 1 सितंबर 2022, 09.12 PM

कब है अनंत चतुर्दशी 2022 ? (When is Anant Chaturdarshi 2022):इस साल अनंत चतुर्दशी 9 सितंबर 2022, शुक्रवार को है. मान्यता के अनुसार इस दिन विधि विधान से पूजन कर बप्पा का विसर्जन किया जाता है.

विनायक चतुर्थी पर क्यों नहीं करते चंद्र दर्शन ?:पौराणिक कथा के अनुसार जब भगवान गणपति को हाथी का मुख लगाया जा रहा था तब चंद्रदेव मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे. चंद्रदेव अपने सौंदर्य पर बहुत घमंड करते थे. चंद्रमा के उपहास से गणेश जी ने क्रोधित हो गए. उन्होंने चंद्रमा को श्राप दे दिया कि आज से तुम काले हो जाओगे. तब चंद्र देव को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने गणेश जी से क्षमा याचना की. गणपति ने कहा कि अब आप पूरे मास में केवल एक बार अपनी पूर्ण कलाओं से युक्त होंगे. गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दिया था कि जो कोई व्यक्ति भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन तुम्हारे दर्शन करेगा, उस पर झूठा आरोप यानी झूठा कलंक लगेगा, इसलिए इस दिन चंद्र दर्शन निषेध है.

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