कुल्लू: बबेली में आजादी के अमृत महोत्सव (Azaadi Ka Amrit Mahotsav) के उपलक्ष्य में आयोजित साइकिल रैली के स्वागत में एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया. भारत-तिब्बत सीमा पुलिस मुख्यालय शिमला (Indo-Tibetan Border Police Headquarters Shimla) के उप-महानिरीक्षक प्रेम सिंह ने शुक्रवार को आईटीबीपी द्वितीय वाहिनी बबेली से लॉन्ग साइकिल रैली को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया. समारोह में आईटीबीपी के समस्त अधिकारी व जवान उपस्थित रहे.
उप-महानिरीक्षक प्रेम सिंह ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव के प्रति जन भागीदारी की भावना को जागृत करने के लिए जन महोत्सव के रूप में पूरे देश में मनाया जा रहा है. इसी उपलक्ष्य में उत्तर-पश्चिमी सीमांत साइकिल रैली 27 अगस्त को लेह से रवाना की गई थी, जो 14 दिन बाद 9 सितम्बर को कुल्लू के बबेली में पहुंची. उन्होंने कहा कि रैली का ट्रैक बहुत ही साहसिक व अनेक भौगोलिक खुबियों वाला है. रैली लेह से छः दर्रों को पार करते हुए कुल्लू पहुंची. इन दर्रों में विश्व का दूसरा सबसे ऊंचा दर्रा तांगलांग-ला जो 18 हजार फीट से अधिक की ऊंचाई पर है. 16,500 फीट बारालाचा-ला पास, लाचुंग-ला पास, नाकी-ला और रोहतांग पास विश्व के प्रसिद्ध दर्रों में शुमार हैं.
प्रेम सिंह ने टीम को बधाई देते हुए कहा कि हालांकि अनेक स्थलों पर यात्रा कठिन थी, लेकिन रोमांच और उल्लास से भरी हुई है क्योंकि लेह से मनाली के मध्य बहुत खूबसूरत घाटियां हैं. जलवायु भी आजकल काफी अनुकूल है और मनोहारी दृश्य सहसा ही अपनी ओर सभी को आकर्षित करता है. ऐसे में साइकिल रैली ने खूब मौज-मस्ती भी की और अपना संदेश भी लोगों को दिया. उन्होंने कहा कि पर्वतीय घाटियों से सफर करना अपने आप में विस्मित करने वाला है और हर कोई व्यक्ति ऐसे प्राकृतिक चट्टानों और आश्चर्यजनक अनेक रंगों की रेतीली परतों से बनें पर्वत और पठार की यात्रा करने के लिए लालायित होगा.
उप-महानिरीक्षक ने कहा कि दूसरे चरण की यह 13 सदस्यों की रैली 484 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए बबेली से कोटरूपी, पालमपुर, डडरोली, गुरदासपुर होते हुए अमृतसर तक जाएगी और ऐतिहासिक स्थलों को कवर करेगी. अमृतसर में लॉन्ग साइकिल रैली को उत्तर-पश्चिमी सीमांत बल को सौंपा जाएगा. उन्होंने कहा कि आईटीबीपी इस प्रकार की 10 साइकिल रैलियों का आयोजन कर रहा है. आईटीबीपी फिट इंडिया मूवमेंट (ITBP Fit India Movement) के तहत अनेक गतिविधियों का आयोजन कर रही है. साइकिल जहां शारीरिक फिटनेस के लिए उपयोगी है, वहीं पर्यावरण मित्र भी है. उन्होंने कहा कि मनाली लेह जैसे टैरेन में राष्ट्रीय स्तर के साइक्लिस्ट आते हैं. उन्होंने आईटीबीपी के साइक्सिस्टों से भी ऐसी प्रतियोगिताओं में भाग लेने को कहा.
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