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पलवल जिले में UP-हरियाणा बॉर्डर पर रुके प्रवासी मजदूर

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Published : May 6, 2020, 8:04 PM IST

सरकार दावा कर रही है कि प्रवासी मजदूरों के ठहरने, खाने-पीने के लिए पुख्ता इंतजाम किए हुए हैं, लेकिन अगर ऐसा हो तो ये लोग अपने बीबी बच्चों के साथ पैदल जाने को क्यों मजबूर हैं. रातदिन पैदल चलकर कब तक ये अपने घर कैसे पहुंचेंगे. इनके पास खाने-पीने की भी किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं है.

migrant workers in palwal
migrant workers in palwal

पलवल: कोरोना की वजह से देश में लॉकडाउन चल रहा है. सरकार की ओर से तीसरी बार लॉकडाउन लगाया गया है. सरकार मजदूरों और गरीब लोगों की सहायता के तमाम दावे कर रही है. सरकार का कहना है कि वो लगातार मजदूरों को खाना पानी मुहैया करा रही है. उनको रहना का इंतजाम भी सरकार की ओर से किया गया है. सरकार मजदूरों को घर भेजने के लिए भी व्यवस्था कर रही है.

अगर सरकार प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने की व्यवस्था कर रही है तो ये लोग पैदल ही जाने को क्यों मजबूर हैं. बीती रात ईटीवी भारत की टीम उत्तर प्रदेश और हरियाणा के बॉर्डर पलवल पर पहुंची. टीम ने पाया कि कुछ प्रवासी मजदूर पैदल ही अपने घर जा रहे हैं. वहीं कुछ मजदूर वहीं जमीन पर लेटे हुए थे. इन मजदूरों के साथ महिलाएं और छोटे-छोटे बच्चे भी थे. जो भूख और प्यास से तड़प रहे थे.

पलवल जिले में UP-हरियाणा बॉर्डर पर रुके प्रवासी मजदूर

इन प्रवासी मजदूरों को उत्तर प्रदेश पुलिस ने अंदर जाने से मना कर दिया था. भूखे प्यासे पड़े इन मजदूरों को वहां मौजूद शहर के कुछ लोगों ने खाना खिलाया. ये सभी मजदूर गुरुग्राम, फरीदाबाद, रोहतक और दिल्ली से काम बंद होने पर अपने घर पैदल ही जा रहे थे.

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ईटीवी भारत से बात से बात करते हुए इन प्रवासी मजदूरों ने कहा कि सरकार और प्रसाशन का काफी इंतजार किया, कि उनकी मदद की जाएगी लेकिन 45 दिन के इंतजार के बाद भी उनके पास मदद के लिए नही पहुंचा. फिर ये लोग पैदल ही अपने गांव के लिए निकल पड़े. जब इनके पास कुछ खाने के लिए नहीं है तो ये यहां पर रहकर क्या करें. इनके काम धंधे बंद हो चुके हैं.

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