करनाल:हरियाणा में सब्जी लगाने वाले किसानों को मंदी की मार झेलनी पड़ रही है. जहां पर किसानों का आलू 2 रुपये से 4 रुपये प्रति किलोग्राम मंडी में खरीदा जा रहा है, तो वहीं अपनी गोभी को किसान दो रुपये प्रति किलो मंडी में बेचने को मजबूर है. अन्य दूसरी कई सब्जियों का भी यही हाल है. जिसके कारण सब्जी लगाने वाले किसान लगातार घाटे में जा रहे हैं. वहीं, हरियाणा में सब्जी लगाने वाले किसानों को घाटे से उभारने के लिए भावांतर भरपाई योजना चलाई गई है. लेकिन, किसानों का कहना है कि उस योजना का किसानों को लाभ नहीं मिल रहा. अब आलम यह है कि किसान अपने खेत में खड़ी हुई सब्जी की फसल को ट्रैक्टर से बर्बाद करने की सोच रहे हैं.
मंदी की मार.. किसान लाचार: करनाल के गांव बड़थल से आए हुए किसान धर्म सिंह ने बताया कि वह पिछले काफी वर्षों से सब्जियों की खेती करते आ रहे हैं. लेकिन जितनी बड़ी मंदी अबकी बार आई हुई है, इतनी बड़ी मंदी आज तक उन्होंने कभी नहीं देखी. जब वह अपनी सब्जी को खेत से मजदूरों पर तुड़वाने के बाद मंडी में लेकर आते हैं. ऐसे में उनका खेत से मंडी तक सब्ज़ी लेकर जाने का खर्च भी नहीं निकल रहा मुनाफा तो दूर की बात है.
आढ़तियों को लाभ, किसान को नुकसान: जब उनसे पूछा गया कि सरकार ने भावांतर भरपाई योजना चलाई हुई है, उसके बारे में उन्होंने कहा कि सरकार की यह योजना सिर्फ सरकारी दफ्तरों तक ही सीमित रह जाती है. उनको इसका कोई भी लाभ नहीं मिल रहा. वहीं उन्होंने सब्जी खरीदने वाले आढ़तियों पर भी आरोप लगाया है, कि वह किसानों की सब्जी को औने पौने दाम पर खरीदते हैं और उसमें वह मोटा मुनाफा कमाते हैं. किसान सिर्फ मजदूरी करके उनकी आमदनी का जरिया बना हुआ है. किसान को थोड़ा सा भी मुनाफा नहीं हो रहा.
सरकारी योजना का नहीं कोई लाभ: उन्होंने कहा कि जो सरकार ने किसानों के लिए योजनाएं चलाई हुई हैं. उनको यही नहीं मालूम कि उनको उसका कैसे लाभ मिलेगा. हालांकि उनका यह भी कहना है कि उन्होंने भावांतर भरपाई योजना में मेरा फसल मेरा ब्योरा के तहत रजिस्ट्रेशन भी करवाया हुआ है. आज तक हमको कभी भी इसका लाभ नहीं मिल पाया, जिससे किसान लगातार घाटे में जा रहे हैं.
2 रुपये में बिक रही गोभी: वहीं, करनाल के पंजोखरा गांव से सब्जी लेकर आए हुए किसान अनिल ने बताया वह गोभी सब्जी लेकर आया हुआ है और उसने अपनी गोभी 60 रुपये की एक गठरी दी है. जिसका वजन 25 किलोग्राम था. तो ऐसे में आज उनकी गोभी 2 रुपये प्रति किलो के हिसाब से खरीदी गई है. स्थिति यह हो गई है कि उनको मुनाफा तो दूर की बात जो उनका रोज खेत से सब्जी तोड़ने का मजदूरी का पैसा बनता है, वह भी नहीं निकल रहा.