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ड्रोन से खेती को बढ़ावा देने के लिए देशभर में खुलेंगे कस्टम हायरिंग सेंटर- त्रिलोचन महापात्रा

केंद्रीय कृषि सचिव एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉक्टर त्रिलोचन महापात्रा ने करनाल के राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान में डेयरी म्यूजियम और रोग निदान प्रयोगशाला (dairy museum and disease diagnostic laboratory) का उद्घाटन किया.

national dairy research institute karnal
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Published : May 1, 2022, 5:37 PM IST

करनाल: केंद्रीय कृषि सचिव एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉक्टर त्रिलोचन महापात्रा ने करनाल के राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान (national dairy research institute karnal) में डेयरी म्यूजियम और रोग निदान प्रयोगशाला का उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि इस प्रयोगशाला से डेयरी के उत्पादन, पैकेजिंग और मार्केटिंग से किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी. उन्होंने ड्रोन से खेती करने की तकनीक पर भी जोर दिया.

डॉक्टर त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि कृषि में ड्रोन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए देशभर में कस्टम हायरिंग सेंटर का विस्तार होगा. केंद्रीय कृषि सचिव ने कहा के कृषि में ड्रोन के इस्तेमाल से किसानों को काफी फायदा होगा. इसके लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसान लोन योजना को लॉन्च किया है. उन्होंने कहा कि जल्द ही देश में लाखों किसानों तक ड्रोन तकनीक पहुंचाई जाएगी. इसके लिए देशभर में कस्टम हायरिंग केंद्रों (custom hiring centers in the country) का विस्तार किया जाएगा.

ड्रोन से खेती को बढ़ावा देने के लिए देशभर में खुलेंगे कस्टम हायरिंग सेंटर- त्रिलोचन महापात्रा

इन सेंटरों (custom hiring centers in the country) के माध्यम से किसानों तक ड्रोन (drone farming in haryana) की सुविधा पहुंचाई जाएगी. ड्रोन के इस्तेमाल से ना केवल समय की बचत होती है, बल्कि कृषि लागत में भी कमी आएगी. किसानों की आय को बढ़ाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि इस दिशा में भारत सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं. किसानों को एक प्लेटफार्म पर लाकर मंडियों को नाम से जोड़ा गया है. इससे किसानों को देश भर में कहीं भी अपने उत्पादन को बेचने की आजादी मिली है.

डेयरी म्यूजियम और रोग निदान प्रयोगशाला

उन्होंने कहा कि उत्पादन में बढ़ोतरी स्मार्ट पैकेजिंग और मार्केटिंग के माध्यम से किसानों की आय को तेजी से बढ़ाया जा सकता है. इसके अलावा किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को प्रति वर्ष ₹6000 केंद्र सरकार की ओर से दिए जा रहे हैं और इसके तहत अब तक एक लाख करोड़ रुपये किसानों के बैंक खातों में भेजा जा चुका है. उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से हर जिले में 2 गांव को मॉडल ग्राम के रूप में चुना गया है.

राष्ट्रीय डेरी अनुसंधान संस्थान करनाल

जहां पर एकीकृत खेती के मॉडल को किसानों को दिखाने के लिए तैयार किया जा रहा है. इस मॉडल के तहत किसान प्रति एकड़ तीन से चार लाख सालाना आय ले सकता है. इसमें एक ही स्थान पर पशुपालन, बागवानी, खेती और मछली पालन कर किसान कम लागत में अधिक आय ले सकता है. डॉक्टर त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि अधिक दूध उत्पादन के लिए पशुओं का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है. पशुओं में बीमारी की रोकथाम को लेकर एनडीआरआई जैसे संस्थान का भी काम कर रहे हैं. पशुओं की सेहत को अगर ठीक रखा जाए और दूध की प्रोसेसिंग की जाए तो किसान ना केवल अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं, बल्कि हम विदेशों में दूध निर्यात की ओर भी बढ़ सकते हैं.

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