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फूल की खेती करने वाले किसानों को करीब 200 करोड़ का नुकसान, बिक्री नहीं हुई तो ट्रैक्टर से नष्ट की फसल

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Published : Jun 18, 2021, 9:34 PM IST

जींद के फूलों की खेती करने वाले हजारों किसानों की मेहनत पर लॉकडाउन ने पानी फेर दिया है. आज फूलों की डिमांड ना के बराबर हो गई है. ऐसे में किसान सरकार से मदद करने की गुहार लगा रहे हैं.

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फूल की खेती करने वाले किसानों को करीब 200 करोड़ का नुकसान, बिक्री नहीं हुई तो ट्रैक्टर से नष्ट की फसल

जींद: कोरोना महामारी (coronavirus) ने इंसानी जनजीवन को उथल-पुथल करके रख दिया है. कोरोना ने आम जीवन पर चौतरफा हमला किया है. प्रदेश समेत के कई राज्यों में कोरोना संक्रमण की वजह से लॉकडाउन (lockdown) लगा दिया गया. विवाह-शादी, मंदिरों में पूजा, पार्टी और सार्वजनिक कार्यक्रमों पर रोक लगा दी गई. ऐसे में फूलों की डिमांड करीब-करीब शुन्य हो गई.

जींद के फूल की खेती करने वाले किसानों (jind floriculture farmers) के मुताबिक लॉकडाउन लगने से प्रदेशभर के किसानों को 200 करोड़ से ज्यादा का आर्थिक नुकसान ( lockdown effect) हुआ है. फूलों की खेती करने वाले किसान कुलदीप ने कहा कि आज फूलों की डिमांड ना के बराबर पहुंच गई है. मार्केट में फूलों का भाव 5 से 7 रुपये किलो मिल रहा है. पहले 25 से 40 रुपये किलो तक का भाव मिलता था. ऐसे हालात में उनके पास एक ही चारा है कि वो अपने फसलों को नष्ट कर दें.

फूल की खेती करने वाले किसानों को करीब 200 करोड़ का नुकसान

फूलों की खेती करने वाले दूसरे किसान कुलदीप ने कहा कि आज फूलों की डिमांड ना के बराबर पहुंच गई है. मार्केट में फूलों का भाव 5 से 7 रुपये किलो मिल रहा है. पहले 25 से 40 रुपये किलो तक का भाव मिलता था. आलम ये है कि उनकी फूलों की फसल खेत में खड़े-खड़े ही खराब हो रही है.

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किसान कुलदीप ने हरियाणा सरकार से मुआवजे की मांग करते हुए कहा कि सरकार पारंपरिक खेती में नुकसान होने पर मुआवजा और एमएसपी की गारंटी देती है, लेकिन फूल की खेती करने वाले किसानों को सरकार कोई मुआवजा नहीं देती है. सरकार अगर फूल की खेती को बढ़ाना चाहती है तो ये जरूरी है कि सरकार मंडियों में फूल के बीज की व्यवस्था कराएगा. साथ नुकसान होने पर किसानों को सहायता राशि भी दे.

फूल की खेती पर लॉकडाउन का असर

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बता दें कि आम दिनों में हरियाणा से हर साल लाखों टन फूलों का कारोबार होता है, लेकिन पिछले दो सीजन से कोरोना की वजह से फूलों का करोबार 60 फीसदी ही रह गया है. ऐसे में जरूरत है कि सरकार फूलों की खेती और कारोबार करने वालों की सहायता करे, ताकि प्रदेश में पारंपरिक खेती छोड़ हॉर्टिकल्चर में हाथ आजमाने वाले किसानों का घर चल सके.

फूल की खेती करने वाले किसानों को उठाना पड़ रहा नुकसान

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