हिसार:गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय अब आईआईआरएस और इसरो के साथ काम करेगा. इसके लिए इसरो ने विश्वविद्यालय को अपना नोडल सेंटर बना दिया है. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने इस उपलब्धि के लिए सिविल इंजीनियरिंग विभाग के शिक्षकों और समस्त विश्वविद्यालय परिवार को बधाई दी है. विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के इंजीनियर नवदीप मोर को नोडल सेंटर का कोऑर्डिनेटर नियुक्त किया गया है.
कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार ने बताया की आईआईआरएस, इसरो आउटरीच नेटवर्क सेंटर के तहत आधुनिक तकनीकों पर एक सप्ताह से 14 सप्ताह तक के कोर्स करवाती है. इन ऑनलाइन कोर्सेज में सेटेलाइट टेक्नोलॉजी, मून, मार्स, यूनिवर्स, इत्यादि के बारे में बताया जाता है. इसके साथ सुदूर संवेदन व भौगोलिक सूचना प्रणाली तकनीक और उसके अनुप्रयोग को बहुत गहराई से पढ़ाया जाता है. ये सभी कोर्स आईआईआरएस के वैज्ञानिकों और विषय विशेषज्ञों द्वारा पढ़ाए जाते हैं. भौगोलिक तकनीक से जुड़े होने के कारण यह सिविल इंजीनियरिंग विभाग के विद्यार्थियों के लिए भी अत्यंत उपयोगी है.
प्रो. टंकेश्वर कुमार ने इसे विभाग की बड़ी उपलब्धि बताया और कहा कि भविष्य में काफी विद्यार्थी एवं शिक्षक इससे लाभान्वित होंगे और विद्यार्थियों को बहुत कुछ अपने विषय से हट कर नई चीजों के बारे में जानने का अवसर मिलेगा. इसके विभिन्न एप्लीकेशंस की जानकारी भविष्य में अंतर्विषयक शोध को भी बढ़ावा देगी. उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय विद्यार्थियों में शोध कौशल और तकनीकी कौशल के विकास के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है.
इंजीनियर नवदीप मोर ने बताया कि 27 जुलाई से एक सप्ताह का कार्यक्रम इसरो आउटरीच प्रोग्राम -जिओ स्पेशल इनपुट इनेबलिंग मास्टर प्लान फार्मूलेशन फिर शुरू होगा. बेसिक ऑफ रिमोट सेंसिंग ज्योग्राफिकल इंफॉर्मेशन सिस्टम एंड ग्लोबल नेवीगेशन सेटेलाइट सिस्टम 17 अगस्त से 20 नवंबर, रिमोट सेंसिंग एंड डिजिटल इमेज एनालिसिस 17 अगस्त से 11 सितंबर तक कार्यक्रम चलेगा. इन सभी कार्यक्रमों को करने के लिए विश्वविद्यालय के नोडल सेंटर का चयन कर सकते हैं. कार्यक्रम में पंजीकरण के लिए प्रतिभागी elearning.iirs.gov.in/edusatregistration/student पर जा सकते हैं.
ये भी पढ़ें: हरियाणा सरकार ने प्रदेश में कांग्रेस से जुड़े सभी ट्रस्टों की जानकारी मांगी