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हरियाणा में अभी धरातल पर नहीं उतरी नई शिक्षा नीति, देखें रिपोर्ट

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Published : Feb 19, 2021, 5:50 PM IST

Updated : Feb 19, 2021, 7:58 PM IST

नई शिक्षा नीति में पांचवी क्लास तक मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का माध्यम रखने की बात कही गई है. इसे क्लास आठ या उससे आगे भी बढ़ाया जा सकता है. विदेशी भाषाओं की पढ़ाई सेकेंडरी लेवल से होगी.

new education policy in haryana
new education policy in haryana

चंडीगढ़: केंद्र सरकार ने जुलाई 2020 में नई शिक्षा नीति को मंजूरी दी थी. ताकि शिक्षा की प्रणाली को आसान बनाकर उनकी गुणवत्ता को बढ़ाया जा सके. बात करें हरियाणा की तो यहां नई शिक्षा नीति लागू करने को लेकर कई कदम उठाए गए हैं. हरियाणा में शिक्षा नीति को अलग-अलग चरणों के तहत लागू करने की जिम्मेदारी शिक्षा विभाग को दी गई है. इसके तहत सूबे में होने वाले बदलाव और सामने आने वाली चुनौतियों को लेकर मुख्यमंत्री मनोहर लाल और शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर के बीच कई दौर की बैठक हो चुकी है.

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अधिकारियों का मानना है कि नई शिक्षा नीति के तहत होने वाले बदलावों को लेकर केंद्र सरकार की तरफ से जो समय सीमा रखी गई है, हरियाणा अन्य राज्यों के मुकाबले जल्द और पहले पूरा कर लेगा. क्योंकि हरियाणा छोटा राज्य है. जहां बच्चों की संख्या तो ज्यादा है मगर इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर है. अधिकारियों ने माना कि इसके लिए बजट के अधिवेशन की जरूरत नहीं है. ऐसा इसलिए कि हरियाणा को नई रचनाएं नहीं बनानी है, बल्कि उनके उपयोग को बदलने की जरूरत है. इसके लिए आंगनबाड़ी वर्कर्स को ट्रेनिंग दी जा रही है.

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नई शिक्षा नीति को लेकर प्रदेश में फैसला लिया जा चुका है. इसको लेकर समितियां बन चुकी हैं, कामों का अपने स्तर पर बंटवारा हो चुका है और इसके आने वाले समय में परिणाम नजर आने लगेंगे. प्राइमरी स्तर पर क्या किया जाना है? मिडिल, सेकेंडरी, कॉलेज और विश्वविद्यालयों में क्या किया जाना है? इसको लेकर काम बांटे जा चुके हैं. वहीं शिक्षा विभाग में स्कूल विभाग, उच्चतर शिक्षा विभाग, तकनीकी शिक्षा विभाग को क्या करना है? विभागों में भी अपने स्तर पर होने वाली इम्प्लीमेंटेशन को लेकर काम बंट चुका है.

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हरियाणा स्टेट हायर एजुकेशन काउंसिल के चेयरमैन प्रोफ़ेसर बृज किशोर कुठियाला ने बताया कि हरियाणा में शिक्षा नीति के क्रियान्वयन के आने वाले समय में दूसरे राज्यों से पहले लागू कर लेगा. उन्होंने कहा कि हरियाणा छोटा राज्य है. जहां बच्चों की संख्या तो ज्यादा है. मगर इंफ्रास्ट्रक्चर बेहतर है. उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के लिए हरियाणा को नई रचनाएं नहीं बनानी है. बल्कि रचनाओं के उपयोग को बदलने की जरूरत पड़ेगी. उन्होंने कहा कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 सामाजिक परिवर्तन की योजना है. उन्होंने कहा कि इसमें कुछ मौलिक परिवर्तन शिक्षा पद्धति में किए गए हैं. इसके तहत अब 5 साल के बजाय 3 साल से संस्कार देना प्रारंभ किया जाएगा.

शिक्षा नीति लागू करने को लेकर उठाए गए कदम

  • आंगनबाड़ी वर्कर्स को प्रशिक्षित किया जा रहा है
  • आंगनबाड़ी वर्कर्स का कम से कम 12वीं पास होना जरूरी
  • नर्सरी टीचर ट्रेनिंग के लिए 10वीं की जगह ग्रेजुएशन जरूरी का सुझाव रखा गया
  • सभी विभागों को उनके काम बांटे गए
  • नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षकों का तबादला उनके प्रमोशन पर ही होगा
  • तबादला बार-बार नहीं होने से टीचर और बच्चों दोनों को फायदा होगा
  • क्योंकि नए टीचर्स के साथ तालमेल बैठाने में बच्चों को परेशानी होती है

प्रोफ़ेसर बृज किशोर कुठियाला ने कहा कि नई शिक्षा नीति के लिए हरियाणा में आंगनवाड़ी का एक बड़ा नेटवर्क है. जिसमें आंगनवाड़ी वर्कर्स को और प्रशिक्षित करके उन्हें बच्चों को 3 से 5 वर्ष तक के बच्चों के लिए शिक्षा देने के काम में लगाना होगा. उन्होंने कहा कि 9वीं से लेकर ग्रेजुएशन तक के शिक्षकों की बात करें तो उनके पास उपयोगी अभ्यास हर विषय में करने का अवसर होगा. किसी भी विषय का क्या उपयोग होगा. इसका अभ्यास करने का विद्यार्थी के पास पूरा मौका होगा. उन्होंने कहा कि स्किल को बढ़ावा मिलेगा और 12वीं पास करने वाला हर बच्चा कुछ ना कुछ करने के योग्य होगा.

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डिस्ट्रिक्ट इंस्टिट्यूट ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग ( DIET ) से भी नई शिक्षा नीति को लेकर सुझाव मांगे गए थे. जिसमें नर्सरी टीचर ट्रेनिंग के लिए 10वीं की जगह ग्रेजुएशन का सुझाव रखा गया ताकि नर्सरी के बच्चों का बेस बनाया जा सके. वहीं पॉलिसी के तहत अब एक शिक्षक का तबादला उसकी प्रमोशन पर ही होगा. जिससे की बच्चों और टीचर दोनों को इसका फायदा होगा. उम्मीद जताई जा रही है कि अप्रैल से इस नई पॉलिसी के तहत सुधार नजर आ सकते हैं.

क्या है नई शिक्षा नीति?

नई शिक्षा नीति में पांचवी क्लास तक मातृभाषा, स्थानीय या क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाई का माध्यम रखने की बात कही गई है. इसे क्लास आठ या उससे आगे भी बढ़ाया जा सकता है. विदेशी भाषाओं की पढ़ाई सेकेंडरी लेवल से होगी. हालांकि नई शिक्षा नीति में यह भी कहा गया है कि किसी भी भाषा को थोपा नहीं जाएगा.

  • साल 2030 तक स्कूली शिक्षा में 100% जीईआर (Gross Enrolment Ratio) के साथ माध्यमिक स्तर तक एजुकेशन फ़ॉर ऑल का लक्ष्य रखा गया है.
  • अभी स्कूल से दूर रह रहे दो करोड़ बच्चों को दोबारा मुख्य धारा में लाया जाएगा. इसके लिए स्कूल के बुनियादी ढांचे का विकास और नवीन शिक्षा केंद्रों की स्थापनी की जाएगी.
  • स्कूल पाठ्यक्रम के 10 + 2 ढांचे की जगह 5 + 3 + 3 + 4 का नया पाठयक्रम संरचना लागू किया जाएगा जो क्रमशः 3-8, 8-11, 11-14, और 14-18 उम्र के बच्चों के लिए है. इसमें अब तक दूर रखे गए 3-6 साल के बच्चों को स्कूली पाठ्यक्रम के तहत लाने का प्रावधान है, जिसे विश्व स्तर पर बच्चे के मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण चरण के रूप में मान्यता दी गई है.
Last Updated : Feb 19, 2021, 7:58 PM IST

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