हरियाणा

haryana

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2023: पिता से प्रेरित होकर बनी आईएएस, अंडमान निकोबार में मछली पालन को दिया बढ़ावा

By

Published : Mar 8, 2023, 7:47 AM IST

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2023 पर जानें आईएएस नितिका पवार के बारे में. जिन्होंने अपने पिता के सपने को साकार करते हुए भारतीय सिविल सर्विस में करियर बनाया.

international women day 2023
international women day 2023

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2023: पिता से प्रेरित होकर बनी आईएएस, अंडमान निकोबार में मछली पालन को दिया बढ़ावा

चंडीगढ़: आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2023 धूमधाम से मनाया जा रहा है. इस दिन महिलाओं को उनके जज्बे और सशक्तिकरण के लिए नवाजा जाता है. इस मौके पर हम आपको बताएंगे चंडीगढ़ में तैनात आईएएस नितिका पवार के बारे में. जिन्होंने अपने पिता के सपने को साकार करते हुए भारतीय सिविल सर्विस में करियर बनाया. जमीन से जुड़े हुए उन्होंने अपने 10 साल के सर्विस जीवन में सादगी और निर्मलता को अपनी ढाला बनाया. ईटीवी भारत से बातचीत में नितिका पवार ने बताया कि वो दिल्ली की रहने वाली हैं, क्योंकि उनके पिता दिल्ली में ही सरकारी क्लर्क के तौर पर काम करते थे.

वो अक्सर घर में आकर सभी अफसरों के बारे में बारीकी से चर्चा करते थे. वो बताते थे कि कौन सा अधिकारी अच्छा काम करता है और कौन सा अधिकारी काम नहीं करता. वहीं से ही लोगों के लिए और देश के लिए एक भावना पनपने लगी. उनके पिता भी चाहते थे कि परिवार में से कोई बच्चा सिविल सर्विस को ज्वाइन करें. उन्होंने बताया कि मैं इंजीनियरिंग बैकग्राउंड से हूं, तो मैंने अपने पहले ही अटेंप्ट में इस एग्जाम को पास कर लिया. इससे सबसे ज्यादा खुशी मेरे पिता को हुई. निकिता ने बताया कि 10 सालों की सर्विस में मैंने कई उतार-चढ़ाव देखें, लेकिन परिवार के सहयोग के साथ में इन सभी को पार कर पाई.

उन्होंने बताया कि चंडीगढ़ आने से पहले उनकी पोस्टिंग अंडमान निकोबार में हो गई थी. वो अक्सर सिविल सर्विस में मुश्किल पोस्टिंग माना जाता है, लेकिन अंडमान निकोबार में रहते हुए उन्हें कई ऐसे काम करने को मौका मिला. जिनके बारे में सोचा भी नहीं था. 4 साल के दौरान वहां पर फैलने वाली प्लास्टिक की गंदगी को दूर करने की कोशिश की. अंडमान निकोबार में आम चीजों से संबंधित मैन्युफेक्चरिंग नहीं की जाती. वहां पर आने वाली हर चीज जो आम लोगों के इस्तेमाल में लाई जाती हैं, वो शिप के जरिए ही लाई जाती हैं. ऐसे में एक टापू होने के कारण वहां प्लास्टिक को खत्म करने का कोई जरिया नहीं होता.

जिसके कारण उस गंदगी को पानी में ही गिराना पड़ा था. जिसके कारण अंडमान निकोबार में मछली पालन में दिक्कत आने लगी ‌थी. उन्होंने बताया कि क्योंकि मेरे पास फिशरीज डिपार्टमेंट था. लोग पहले से मछली उत्पादन में मंदे दौर से गुजर रहे थे. लोगों की समस्या को देखते हुए उन्होंने मछली पालन को एक बार फिर उजागर किया. बढ़ती गंदगी के कारण जो समस्या मछली पालन करने वाले लोगों को आ रही थी. उसको दूर किया. कर्नाटक के साइस इस्ट्रीट और वहां आने वाली श‌िप की मदद से कचरे को ट्रांसफर किया और मछली पालन को सुरक्षित करते हुए लोगों को लाभ पहुंचाया.

उन्होंने बताया कि अंडमान निकोबार मेरे लिए बहुत खास रहा, क्योंकि मेरी बेटी का जन्म वहीं हुआ था. कई बार सुनने को मिलता था कि अंडमान निकोबार की सर्विस काला पानी की जेल जैसी ही है, लेकिन मेरे लिए ऐसा नहीं था, क्योंकि मैं दिल्ली से हूं, तो मुझे समुद्री टापू को देखने का शौक था. उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ में सर्विस शुरू होने के दौरान मैंने एक बात को हमेशा देखा है कि यहां पर महिलाओं और बच्चों में एनीमिया जैसी बीमारी अधिक फैली हुई है. उन्होंने बताया कि क्योंकि यहां का रहन-सहन शहरी होने के कारण लोग अधिकतर जंक फूड का सेवन करते हैं, जो कि एक खराब सेहत का मानक माना जाता है.

शहर में आने के बाद सबसे पहले मुझे सोशल वेलफेयर की जिम्मेदारी दी गई थी, तो इस दौरान मैंने बच्चों के लिए खोले गए क्रच के प्रबंधों पर ध्यान रखा. इस दौरान चाइल्ड वेलफेयर ऑफिसर द्वारा क्रच से संबंधित सही जानकारी ना दिए जाने के कारण मैंने उन्हें निलंबित भी किया था. आज शहर के 56 क्रच में होने वाले काम दुरुस्त हैं. आने वाले दिनों में उन क्रच में बच्चों के लिए खिलौने व अन्य पौष्टिक आहार का प्रबंधन में कोई कमी नहीं छोड़ी जाएगी. नितिका पवार ने बताया कि अगर मैं अपने निजी जीवन की बात करूं तो मैं अपना अधिकतर समय अपनी बेटी के साथ बिताना पसंद करती हूं.

ये भी पढ़ें- International Women's Day Special : खुद की सेहत और खुशी का भी ध्यान रखना जरूरी

उन्होंने बताया कि क्योंकि मुझे पढ़ने का शौक है, तो मैं अक्सर बच्चों और अभिभावकों के बीच कैसे संबंध होने चाहिए. उसके के बारे में ब्लॉग भी लिखती हूं. इसमें मैं अपने और अपनी बेटी के साथ हो रहे अनुभव को सांझा करती हूं. मैं सोशल मीडिया से दूर रहना पसंद करती हूं. मुझे जीवन के असल रंग में रहना पसंद है, क्योंकि सोशल मीडिया के इस्तेमाल में हम उस समय को जीना भूल जाते हैं. जिससे हम जी रहे होते हैं. उन्होंने कहा कि मैं अपने जैसी महिलाओं को इस विश्व महिला दिवस पर यही संदेश देना चाहूंगी कि समाज द्वारा अक्सर लड़कियों को राय दी जाती है कि वे लड़की होने के नाते कुछ सीमित दायरे में काम करते रहे. लड़कियां समाज के मुताबिक चलें, जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए. महिलाओं को वहीं करना चाहिए जो उनका दिल कहता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details