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RTI कानून का मजाक, शिक्षा बोर्ड को खुद नहीं पता डीसी रेट और आउटसोर्सिंग पर कितने कर्मचारी कर रहे काम

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Published : Jul 28, 2021, 7:16 PM IST

हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड (Haryana Board of School Education) को खुद नहीं पता कि बोर्ड में कितने श्रमिक एवं कर्मचारी डीसी रेट और आउटसोर्सिंग के तहत काम कर रहे हैं. ये चौकाने वाली जानकारी RTI के जरिए पता चली.

Haryana Board of School Education
Haryana Board of School Education

भिवानी: हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड (Haryana Board of School Education) प्रदेश भर में शिक्षा का उजियारा फैलाने का दम भरता है. मगर खुद वो कितने अंधकार में है, इसकी बानगी आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना के जवाब में देखने को मिली. हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड को खुद नहीं पता कि बोर्ड में कितने श्रमिक एवं कर्मचारी डीसी रेट और आउटसोर्सिंग के तहत काम कर रहे हैं.

दरअसल स्वास्थ्य शिक्षा सहयोग संगठन के प्रदेश अध्यक्ष बृजपाल सिंह परमार ने आरटीआई के तहत हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड (Haryana Education Board RTI) से जानकारी मांगी कि अप्रैल 2018 से मार्च 2021 तक बोर्ड में डीसी रेट व आउटसोर्सिंग नीति के तहत कितने श्रमिक लगे हुए हैं, इसकी जानकारी जनसूचना अधिकार अधिनियम 2005 के तहत मांगी थी. बोर्ड ने इसके जवाब में महज लीपापोती कर डाली. बोर्ड मुख्यालय से आरटीआई कार्यकर्ता के पास जवाब आया कि सर्विस प्रोवाइडर के माध्यम से कर्मचारी लगाए गए हैं.

RTI की कॉपी

हरियाणा शिक्षा बोर्ड ने उसका नाम उपलब्ध कराकर ही सिर्फ आरटीआई की सूचना से बोर्ड अधिकारियों ने अपना पल्ला झाड़ लिया, जबकि बृजपाल सिंह परमार ने आरटीआई में कई ऐसे बिंदुओं की जानकारी मांगी थी, जिसका जवाब बोर्ड मुख्यालय के पास था, मगर बोर्ड अधिकारियों ने आरटीआई के तहत गलत और गुमराह करने वाली जानकारी देकर आरटीआई एक्ट का भी मजाक बनाया.

बृजपाल परमार ने बताया कि डीसी रेट पर लगे कर्मचारियों की संख्या और हर महीने इनपर खर्च होने वाले बजट की जानकारी भी मांगी थी, जिसका बोर्ड ने कोई जवाब नहीं दिया. बृजपाल परमार ने कहा कि हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के कंधों पर लाखों बच्चों की शिक्षा का जिम्मा है, मगर खुद बोर्ड अधिकारी अंधेरे में हैं या फिर जानबूझकर वो आरटीआई में गुमराह करने वाला जवाब दे रहे हैं. इससे उनके गैर जिम्मेदाराना होने का भी सहज ही अंदाजा हो रहा है.

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बृजपाल सिंह परमार ने बताया कि आरटीआई की सूचना में गलत जवाब या फिर गुमराह करने वाला जवाब देने वाले राज्य जन सूचना अधिकारी के खिलाफ संबंधित कानूनी धाराओं के तहत पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई जा सकती है. जिसमें भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना और सरकारी रिकॉर्ड से छेड़छाड़ कर जानबूझकर गलत जानकारी देने का दोषी होता है. ऐसे मामलों में पहले भी कई अधिकारियों पर एफआईआर दर्ज हो चुकी है. शिक्षा बोर्ड के राज्य सूचना अधिकारी के खिलाफ भी गलत व गुमराह करने वाला जवाब देने के मामले में भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने व सरकारी रिकॉर्ड से छेड़छाड़ मामले में पुलिस को शिकायत दी जाएगी.

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