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हरियाणा में पर्यावरण बचाने की लौ जला रही हैं ये स्कूल टीचर, राष्ट्रपति से मिल चुका है सम्मान

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Published : Aug 13, 2022, 9:15 PM IST

पर्यावरण को लेकर जागरुकता और पर्यावरण बचाने के लिए काम करने वाली संस्थाएं इस ओर बहुत पहले से कदम उठा रही हैं. इन्हीं में से एक है कुरुक्षेत्र की ग्रीन अर्थ एनजीओ Changemakers चला रही मोनिका भारद्वाज, जो एक पर्यावरण प्रेमी के साथ-साथ एक टीचर भी हैं. पढ़ें पूरी कहानी...

kurukshetra environment lover monika bharadwaj
मोनिका भारद्वाज

कुरुक्षेत्र:आज देश आजादी की 75वीं वर्षगांठ (Azadi Ka Amrit Mahotsav) मना रहा है. आजादी के इस अमृत महोत्सव के बीच पर्यावरण एक ऐसी समस्या है जिसने दुनियाभर को सोचने पर मजबूर कर दिया है. पर्यावरण को लेकर जागरुकता और पर्यावरण बचाने के लिए काम करने वाली संस्थाएं इस ओर बहुत पहले से कदम उठा रही हैं. इन्हीं में से एक है कुरुक्षेत्र की ग्रीन अर्थ एनजीओ चला रही मोनिका भारद्वाज, जो एक पर्यावरण प्रेमी के साथ-साथ एक टीचर भी हैं.

पति के साथ मिलकर पर्यावरण बचाने की पहल-मोनिका भारद्वाज Changemakers अपने पति नरेश भारद्वाज के साथ मिलकर पर्यावरण को बचाने के लिए काम कर रही हैं. पेशे से सरकारी स्कूल की टीचर मोनिका भारद्वाज ग्रीन अर्थ एनजीओ चलाती हैं जो पर्यावरण बचाने को लेकर लोगों को जागरुक भी करती हैं. साथ ही पर्यावरण बचाने को लेकर कई कदम भी उठाती हैं.

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पेड़ बचाना बहुत जरूरी है-मोनिका कहती हैं कि पेड़ बचाना सबसे जरूरी है और इसको लेकर वो बच्चों को जागरुक करती है, क्योंकि यही बच्चे घर पर अपने परिजनों और साथियों को जागरुक करते हैं. मोनिका ने अपने स्तर पर 300 से ज्यादा वृक्ष ऐसे वृक्षों को मुक्त कराया है जो नीचे से पक्के कर दिए गए थे और जिनको लोहे की तारों से बने जाले के अंदर जकड़ा हुआ था. उन्होंने प्रदेश के एक ऐसे गांव को जहां पीने के पानी की समस्या थी उसके लिए भी लड़ाई लड़ी और उसका परिणाम यह रहा कि उस गांव तक अब पीने योग्य पानी पहुंच रहा है. हजारों की आबादी वाला वह गांव अब इतना खुशहाल है कि उनको पानी के लिए दूर-दूर तक नहीं भटकना पड़ता. प्लास्टिक यूज करने पर उन्होंने पिछले 10 साल से कुरुक्षेत्र में आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में 30 लाख से ज्यादा लोगों को जागरूक किया है. जिसका परिणाम यह रहा कि 2018 में उनको सबसे ज्यादा लंबे समय तक चलने वाले बिना प्लास्टिक के कार्यक्रम में जगह मिली थी.

पर्यावरण बचाने के लिए कुछ भी करेंगे-मोनिका कहती हैं कि (kurukshetra environment lover monika bharadwaj) पर्यावरण बचाने के लिए मोर्चा निकालने से लेकर कोर्ट जाने तक वो सबकुछ करने को तैयार रहती हैं. यही वजह है कि अब पर्यावरण की खातिर सरकारी दफ्तरों से लेकर कोर्ट कचहरी के चक्कर लगाना उनकी संस्था के लिए आम हो गया है. पर्यावरण को नुकसान समाज से हो रहा हो या सरकारी विभाग से वो हर बार पर्यावरण को ही तरजीह देती हैं. इस संस्था में पूरे भारत में 2000 से ज्यादा वॉलंटियर हैं जो देशभर में पर्यावरण संरक्षण के मोर्चे पर डटे हुए हैं. उन्होंने आज से लगभग 16 साल पहले पर्यावरण पर काम शुरू करना शुरू किया था

हरियाणा में पर्यावरण बचाने की लौ जला रही हैं ये स्कूल टीचर

मिल चुके हैं कई सम्मान- मोनिका भारद्वाज ने महिला व (environment saving drive in haryana) बच्चों के उत्थान के लिए काम किया है. जिसके लिए उनको 2016 में राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित भी किया गया था. उनका कहना है कि हमें सिर्फ अपने पर्यावरण को नहीं अपने देश को भी स्वच्छ रखना है. ऐसे में महिलाओं और बच्चों का काफी अहम योगदान रहता है. उसके लिए उनको पूरे देश भर से भागीदारी करने वाली 250 महिलाओं में से चुना गया था.

ग्रीन अर्थ संस्था के नाम 5 गांवों को खुले में शौच मुक्त किए हैं. जिसके (Kurukshetra Green Earth NGO) लिए राज्यपाल ने सम्मानित भी किया. इसके अलावा हरियाणा में गीता जयंती महोत्सव को प्लास्टिक मुक्त और पटाखा मुक्त करने का श्रेय भी इसी संस्था को जाता है. मोनिका कहती हैं कि हमें अपने जश्न को पर्यावरण के लिए अभिशाप नहीं बनाना चाहिए. जश्न में पटाखे फोड़कर, प्लास्टिक के सामान का बेतहाशा इस्तेमाल करके, प्लास्टिक डिस्पोजेबल का इस्तेमाल और रोशनी के लिए पेडों पर लाइटें लगाने से सिर्फ पर्यावरण को नुकसान होता है. हरियाणा में हर साल मनाए जाने वाले गीता जयंती समारोह में यही होता था. इस सरकारी कार्यक्रम में पर्यावरण की अनदेखी के मुद्दे को ग्रीन अर्थ संस्था ने उठाया और अब ये समारोह पूरी तरह से प्लास्टिक मुक्त है.

हरियाणा में पर्यावरण बचाने की लौ जला रही हैं ये स्कूल टीचर

ज्योतिसर मंदिर मां भद्रकाली मंदिर को पॉलीथिन मुक्त करने से लेकर गीता साक्षी वटवृक्ष को जाल मुक्त करने तक इस संस्था ने कई स्थानों पर प्रकृति के खिलाफ बढ़ती अव्यवस्थाओं को ठीक किया और कई जगह पेड़ों को नया जीवनदान दिया. इनमें कुरुक्षेत्र का ऐतिहासिक वट वृक्ष भी शामिल है. इस संस्था ने जितने बच्चे उतने पेड़ लगाने की मुहिम पर जोर दिया, बेटी बचाओ अभियान को पर्यावरण संरक्षण से जोड़कर भी पेड़ लगाए. जहां पर मोनिका की नियुक्ति है उस गांव के लोगों ने और उस स्कूल के प्रिंसिपल ने कहा कि यह समाज हित में काम कर रही है. जिस के बताए हुए कामों को हम अपने निजी जीवन में अमल में लाते हैं और पर्यावरण बचाने के लिए काम करते हैं.

मोनिका भारद्वाज

स्कूल में पढ़ाने के साथ पर्यावरण जागरुकता-मोनिका जिस स्कूल में पढ़ाती हैं वहां पर्यावरण के प्रति जागरुकता साफ देखी जा सकती है. शुरुआत गीले और सूखे कचरे को अलग-अलग करने से हुए और फिर कचरे से खाद बनाकर स्कूल के पेड़ पौधों और क्यारियों में इस्तेमाल किया जाने लगा. आज उनका स्कूल पर्यावरण की सीख देने वाला एक मॉडल है. स्कूल के टीचर से लेकर छात्रों तक में पर्यावरण के प्रति जागरुकता बढ़ी है. आस-पास के गांव वाले भी इस बदलाव से खुश हैं. मोनिका कहती हैं कि पर्यावरण को लेकर बड़ी-बड़ी बातें और नियम कानून बनाने से तब तक कुछ नहीं होगा, जब तक कि जमीन पर आकर पर्यावरण को बचाने की पहल नहीं होगी. मोनिका कहती हैं कि आज स्कूल के बच्चे कहीं पेड़ कटने पर उन्हें बताते हैं, पर्यावरण के प्रति ऐसी जागरुकता होनी बहुत जरूरी है और ये देखकर उन्हें खुशी होती है क्योंकि ये बच्चे समाज को आगे लेकर जाएंगे और पर्यावरण के मोर्चे पर भी यही बदलाव लेकर आएंगे.

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