करनाल: हरियाणा का करनाल एक बार फिर 'कुरुक्षेत्र' बन गया है. प्रशासन और किसान आमने-सामने हैं. करनाल महापंचायत (Karnal Kisan Mahapanchayat) में जुटे किसानों की कोई भी मांग प्रशासन मानने को तैयार नहीं है. सरकार की सख्ती देखकर पहले से ये अंदेशा जताया जा रहा था कि प्रशासन किसानों की मांगों के आगे झुकने वाला नहीं है. आखिरकार यही हुआ और किसानों की मांगे प्रशासन ने मानने से साफ इनकार कर दिया (farmer meeting fail with administration).
बातचीत फेल होते ही किसानों ने भी लघु सचिवालय घेरने (farmer gherav karnal mini secretariat) का ऐलान कर दिया. करनाल अनाज मंडी से निकलकर किसान लघु सचिवालय की तरफ कूच करने लगे. मंगलवार को करनाल में हुई महापंचायत में हरियाणा के किसान नेताओं के अलावा संयुक्त किसान मोर्चा के बड़े नेता पहुंचे. जिनमें राकेश टिकैत और योगेंद्र यादव भी शामिल थे.
प्रशासन के साथ बाचतीच के लिए किसानों की तरफ से 11 सदस्यों की कमेटी बनाई गई. करीब 2 बजे पहले दौर की बातचीत हुई लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला. पहले दौर की मीटिंग फेल होने के बाद प्रशासन ने किसानों को करीब 3 बजे दोबारा बातचीत के लिए बुलाया. लेकिन इस बातचीत में भी कोई समझौता नहीं हुआ. किसान अपनी मांग पर अड़े रहे. तो दूसरी तरफ प्रशासन अपनी सख्ती पर कायम रहा. किसानों की पहली और बड़ी मांग ये है कि लाठीचार्ज का आदेश देने वाले एसडीएम को सस्पेंड करके पूरे मामले की जांच की जाए. लेकिन करनाल प्रशासन इसके लिए राजी नहीं हुआ.
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मीटिंग के बाद किसान नेता योगेंद्र यादव ने कहा- हमारी प्रशासन से 3 राउंड बात हुई. 15 लोग किसानों की तरफ से शामिल थे. जिसमें राष्ट्रीय नेतृत्व, राज्य नेतृत्व और स्थानीय नेता शामिल थे. आखिर में हमने बिल्कुल न्यूनतम बात रखी. हमने किसी मुआवजे और नौकरी की मांग नहीं की. हमारी मांग थी कि एसडीएम ने जो लाठीचार्ज का आदेश दिया. उस पर कार्रवाई होना चाहिए. हमने अधिकारी को सस्पेंड करके जांच करने की मांग की लेकिन सरकार उस पर भी राजी नहीं हुई. इसलिए हमारे पास कोई रास्ता नहीं है. बातचीत टूट गई है. बाकी फैसला महापंचायत में होगा. इससे पहले किसान लाठी चार्ज का आदेश देने वाले करनाल एसडीएम (karnal SDM lathi charge video) पर कार्रवाई के अलावा मृतक किसान को 25 लाख का मुआवजा और एक सदस्य को नौकरी की मांग भी कर रहे थे.