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Shradh Paksha: श्राद्ध में गीता पाठ से मिलेगा पितृ-परमात्मा का आशीर्वाद

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Published : Sep 10, 2022, 6:18 AM IST

जब मनुष्य नियत कर्तव्य को करणीय मान कर करता है और समस्त भौतिक संगति तथा फल की आसक्ति को त्याग देता है तो उसका त्याग सात्विक कहलाता है. नि:संदेह किसी भी देहधारी प्राणी के लिए समस्त कर्मों का परित्याग कर पाना असम्भव है, लेकिन जो कर्म फल का परित्याग करता है, वह वास्तव में त्यागी है. जो कर्म नियमित है और जो आसक्ति, राग व द्वेष से रहित कर्मफल की चाह के बिना किया जाता है, वह सात्विक कहलाता है. जो कार्य अपनी इच्छा पूर्ति के निमित्त प्रयास पूर्वक एवं मिथ्या अहंकार के भाव से किया जाता है, वह रजोगुणी कहा जाता है. Geeta Saar. Todays Motivational Quotes .

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