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आज की प्रेरणा

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Published : Sep 24, 2021, 4:00 AM IST

सफलता जिस ताले में बंद रहती है वह दो चाबियों से खुलती है. एक कठिन परिश्रम और दूसरा दृढ़ संकल्प. आसक्ति का परित्याग करके, सफलता और असफलता में सम-भाव रखते हुए अपने समस्त कर्म करो, कारण इस समता को ही योग कहा जाता है. मनुष्य का अधिकार कर्म पर है, लेकिन कर्म के फलों में कभी नहीं… इसलिए कर्म को फल के लिए मत करो और न ही काम करने में तुम्हारी आसक्ति हो. भगवान में श्रद्धा रखने वाले मनुष्य, अपनी इन्द्रियों को वश में करके ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं और ज्ञान प्राप्त करने वाले ऐसे पुरुष शीघ्र ही परम शांति को प्राप्त करते हैं. प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए, गंदगी का ढेर, पत्थर और सोना सभी समान हैं. जिस तरह प्रकाश की ज्योति अंधेरे में चमकती है, ठीक उसी प्रकार सत्य भी चमकता है, इसलिए हमेशा सत्य की राह पर चलना चाहिए. बुद्धिमान व्यक्ति सिवाय ईश्वर के किसी और पर निर्भर नहीं करता. जो कार्य में निष्क्रियता और निष्क्रियता में कार्य देखता है वह एक बुद्धिमान व्यक्ति है. जब व्यक्ति अपने कार्य में आनंद खोज लेता है तब वह पूर्णता प्राप्त कर लेता है. जिस काल में साधक मनोगत सम्पूर्ण कामनाओं को अच्छी तरह त्याग कर देता है और अपने आपसे, अपने आप में ही संतुष्ट रहता है, उस काल में वह दिव्य चेतना प्राप्त कहलाता है. सभी धर्मों को छोड़कर परमात्मा की शरण में जाओ, परमात्मा ही मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति प्रदान करेंगे, इसमें कोई संदेह नहीं हैं.

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