आज की प्रेरणा
धर्म कहता है कि अगर मन सच्चा और दिल अच्छा हो तो हर रोज सुख होगा. जो होने वाला है वो होकर ही रहता है, और जो नहीं होने वाला वह कभी नहीं होता, ऐसा निश्चय जिनकी बुद्धि में होता है, उन्हें चिंता कभी नहीं सताती है. प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए, गंदगी का ढेर, पत्थर और सोना सभी समान हैं. हृदय में अज्ञान के कारण जो संशय उठते हैं, उन्हें ज्ञान रूपी शस्त्र से काट डालो. योग का आश्रय लेकर खड़े हो जाओ और अपना कर्म करो. मानव कल्याण ही भगवत गीता का प्रमुख उद्देश्य है, इसलिए मनुष्य को कर्तव्यों का पालन करते समय मानव कल्याण को प्राथमिकता देनी चाहिए. जब इंसान अपने काम में आनंद खोज लेते हैं तब वे पूर्णता प्राप्त करते हैं. जिस प्रकार अग्नि स्वर्ण को परखती है, उसी प्रकार संकट वीर पुरुषों को. उस व्यक्ति के लिए योग दुःखनाशक होता है, जो उचित खाने, सोने, आमोद-प्रमोद तथा काम करने की आदतों में नियमित रहता है. सफलता जिस ताले में बंद रहती है वह दो चाबियों से खुलती है. एक कठिन परिश्रम और दूसरा दृढ़ संकल्प. कोई भी इंसान जन्म से नहीं, बल्कि अपने कर्मों से महान बनता है. सच्चे योगीजन को कर्म बांधता नहीं, क्योंकि उन्हें कर्म के प्रतिफल की कोई इच्छा नहीं.