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दवाइयों के विशेषज्ञ है फार्मासिस्ट

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Published : Sep 25, 2020, 5:26 PM IST

हमारे स्वास्थ्य को बरकरार रखने के लिए चिकित्सकों के साथ-साथ फार्मासिस्ट भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. लेकिन आम लोगों के लिए केमिस्ट सिर्फ वह व्यक्ति है, जो केमिस्ट की दुकान पर दवाइयां बेचता है. दरअसल केमिस्ट का कार्य क्षेत्र बहुत बड़ा है, लेकिन लोगों को उसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है. स्वास्थ्य संरक्षण में केमिस्ट या फार्मासिस्ट के महत्वपूर्ण योगदान को सम्मान देने तथा लोगों को उनके कार्यों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से हर साल 25 सितंबर को 'विश्व फार्मासिस्ट दिवस' मनाया जाता है.

World Pharmacist Day
विश्व फार्मासिस्ट दिवस

जब भी किसी व्यक्ति की तबीयत खराब होती है, तो वह तुरंत चिकित्सक के पास जाकर दवाइयां लेता है. स्वस्थ हो जाने के बाद वह चिकित्सक को धन्यवाद देता है, क्योंकि उन्होंने उसे उन दवाइयों को लेने की सलाह दी, जिससे वह स्वस्थ हो सका. लेकिन इन सबके बीच कोई भी यह नहीं सोचता है कि जीवन दान देने वाली इन दवाइयों को बनाता कौन है, और कौन उनकी खोज करता है. फार्मासिस्ट वह व्यक्ति है, जो दवाइयों का निर्माण कर रोग के निदान में चिकित्सक का साथ देता है. चिकित्सा शास्त्र में फार्मासिस्ट के योगदान को सराहने के उद्देश्य से हर साल 25 सितंबर को 'विश्व फार्मासिस्ट दिवस' मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने का मुख्य उद्देश्य फार्मासिस्टों की सराहना के साथ उन्हें यह संदेश देना भी है कि वह हमारे लिए कितने जरूरी हैं.

विश्व फार्मासिस्ट दिवस का इतिहास और थीम

इस वर्ष 'वैश्विक स्वास्थ्य को बदलना' थीम पर मनाए जा रहे विश्व फार्मेसिस्ट दिवस की शुरुआत 25 सितंबर, 2009 में हुई थी. पहली बार विश्व फार्मासिस्ट दिवस, इंटरनेशनल फार्मास्यूटिकल्स फेडरेशन (एफआईपी) द्वारा इस्तांबुल, तुर्की में मनाया गया था. एफआईपी के प्रमुख डोमिनिक जोर्डेन ने एक सूचना जारी कर इस बारे में जानकारी दी. सूचना के अनुसार इंटरनेशनल फार्मास्यूटिकल्स फेडरेशन का गठन 25 सितंबर,1912 में हुआ था. इसीलिए एफआईटी ने अपने स्थापना दिवस के दिन ही इंटरनेशनल फार्मासिस्ट डे की शुरुआत की. इस दिवस को मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य दवाइयों की खोज, रिसर्च तथा उनके निर्माण में फार्मासिस्ट के योगदान को जन-जन तक पहुंचाना तथा उनके कार्यों व चिकित्सा क्षेत्र में उनके योगदान को सराहना था.

फार्मासिस्ट का कार्य

फार्मासिस्ट को साधारण भाषा में केमिस्ट के नाम से भी जाना जाता है. अमूमन है जब भी हम केमिस्ट का नाम सुनते हैं, हमारे दिमाग में एक ऐसे व्यक्ति की छवि आ जाती है, जो दवाइयों की दुकान पर दवाइयां बेचने का कार्य करता है. लेकिन केमिस्ट का काम सिर्फ दवाइयां बेचना नहीं होता है. ज्यादातर केमिस्ट साधारण बीमारियों में ना केवल दवाइयों के बारे में सलाह देने बल्कि टीकाकरण जैसे कार्य भी करते हैं. वहीं फार्मास्यूटिकल कंपनी में काम करने वाले फार्मासिस्ट अलग-अलग बीमारियों के लिए नई दवाइयों के संबंध में रिसर्च तथा प्रशिक्षण का कार्य भी करते हैं. इसके अलावा फार्मास्यूटिकल प्रोडक्ट्स बनाने, फार्मास्यूटिकल प्रोडक्शन के तरीके विकसित करने और दवाइयों के क्वालिटी कंट्रोल का कार्य भी फार्मासिस्ट करते हैं. इसीलिए फार्मास्यूटिकल्स कंपनियों में काम करने वाले फार्मासिस्ट को दवा विशेषज्ञ भी कहा जाता है.

फार्मासिस्ट बनने के लिए संबंधित डिग्री जरूरी

केमिस्ट की दुकान खोलने वाले फार्मासिस्ट के लिए भी चिकित्सा शास्त्र से ही जुड़ी विधा बी.फार्मा की पढ़ाई जरूरी है. इस विषय के अध्ययन के बाद ही वह केमिस्ट की दुकान या दवाइयों की दुकान के लिए लाइसेंस प्राप्त कर पाता हैं. इसी वजह से केमिस्ट को सभी तरह की दवाइयों, उनके असर तथा उनके नकारात्मक असर के बारे में जानकारी होती हैं. फार्मास्यूटिकल्स में डिग्री लेने के बाद फार्मासिस्ट ड्रग मैन्युफैक्चरिंग कंपनी यानी दवाई बनाने वाली कंपनियों से जुड़े निजी तथा सरकारी संस्थानों, डिस्पेंसरी और मेडिकल स्टोर में काम कर सकते हैं. इसके अलावा बी.फार्मा डिग्री धारक मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के तौर पर भी कार्य करते हैं.

कोरोना काल में फार्मासिस्ट

कोविड-19 महामारी के कठिन समय में भी फार्मासिस्टों ने जरूरतमंदों और रोगियों की काफी मदद की. लॉकडाउन, तमाम तरह की पाबंदियों तथा बंद के बावजूद जन-जन तक दवाइयां तथा अन्य संसाधन पहुंचाने का कार्य किया. इसलिए इस कठिन समय में चिकित्सकों के साथ ही उनके योगदान की सराहना करना भी बहुत जरूरी हो जाता है.

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