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New Study : गहरी नींद की कमी से स्ट्रोक, अल्जाइमर का खतरा

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Published : May 27, 2023, 3:13 PM IST

Sleep apnea, lack of deep sleep associated with stroke risk

स्लीप एपनिया है और गहरी नींद की कमी से ( Sleep apnea and sleep deprivation ) जूझ रहे लोगो में ब्रेन बायोमार्कर होने की संभावना अधिक होती है जो स्ट्रोक और अल्जाइमर रोग के बढ़ते जोखिम से जुड़े होते हैं.

न्यूयॉर्क : जिन लोगों को स्लीप एपनिया है और गहरी नींद की कमी होती है उनमें ब्रेन बायोमार्कर होने की आशंका अधिक होती है, जो स्ट्रोक और अल्जाइमर रोग के बढ़ते जोखिम से जुड़ा हुआ है. हालाँकि, अध्ययन में यह बात स्पष्ट नहीं हो पाई है कि नींद में कमी के कारण मस्तिष्क में ये परिवर्तन होते हैं या मस्तिष्क में परिवर्तन के कारण नींद की कमी होती है. यह बस दोनों के बीच संबंध दिखाता है. मेयो क्लीनिक के शोधकर्ताओं ने पाया कि स्लो-वेव स्लीप के प्रतिशत में हर 10 प्वाइंट की कमी पर व्हाइट मैटर हाइपरइंटेंसिटी की मात्रा बढ़ती है जो मस्तिष्क के स्कैन में छोटे घावों के रूप में दिखाई देने वाला एक बायोमार्कर है और 2.3 साल उम्र बढ़ने के समान है.

कम अक्षीय अखंडता से भी वही कमी जुड़ी थी, जो तंत्रिका कोशिकाओं को जोड़ने वाले तंत्रिका तंतुओं का निर्माण करती है, जो तीन साल उम्रदराज होने के प्रभाव के समान है. हल्के या मध्यम स्लीप एपनिया वाले लोगों की तुलना में गंभीर स्लीप एपनिया वाले लोगों में व्हाइट मैटर हाइपरइनटेंसिटी की मात्रा अधिक थी. उन्होंने मस्तिष्क में अक्षीय अखंडता को भी कम कर दिया था. शोधकर्ताओं ने उम्र, लिंग और स्थितियों को उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल जैसे मस्तिष्क परिवर्तन के जोखिमों से जोड़ने की कोशिश की. निष्कर्ष मेडिकल जर्नल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित हुए थे.

स्ट्रोक और अल्जाइमर रोग के बढ़ते जोखिम

अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के सदस्य और मिनेसोटा में मेयो क्लिनिक के डिएगो जेड कार्वाल्हो ने कहा, ये बायोमार्कर शुरुआती सेरेब्रोवास्कुलर रोग के संवेदनशील संकेत हैं. उन्होंने कहा, गंभीर स्लीप एपनिया और स्लो-वेव स्लीप में कमी इन बायोमार्कर से जुड़ी हुई है, यह जानकारी महत्वपूर्ण है क्योंकि मस्तिष्क में इन परिवर्तनों का कोई इलाज नहीं है, इसलिए हमें उन्हें होने या खराब होने से रोकने के तरीके खोजने की आवश्यकता है.

अध्ययन में 73 वर्ष की औसत आयु वाले ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया वाले 140 लोगों को शामिल किया गया था, जिनका ब्रेन स्कैन किया गया था और स्लीप लैब में रात भर अध्ययन भी किया गया था. अध्ययन की शुरुआत में प्रतिभागियों में संज्ञानात्मक मुद्दे नहीं थे और अध्ययन के अंत तक डिमेंशिया विकसित नहीं हुआ था. कुल 34 प्रतिशत में हल्के, 32 प्रतिशत में मध्यम और शेष 34 प्रतिशत में गंभीर स्लीप एपनिया था.

कार्वाल्हो ने कहा, यह निर्धारित करने के लिए और अधिक शोध की आवश्यकता है कि नींद इन मस्तिष्क बायोमाकर्स को प्रभावित करती है या इसके विपरीत होता है. हमें यह भी देखने की जरूरत है कि क्या नींद की गुणवत्ता में सुधार या स्लीप एपनिया के उपचार की रणनीति इन बायोमार्कर के प्रक्षेपवक्र को प्रभावित कर सकती है.

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(आईएएनएस)

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