हैदराबाद :द जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी में इस साल की शुरुआत में प्रकाशित एक अध्ययन में उल्लेखित था कि गर्भावस्था के दौरान मां का मोटापा, मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है. अध्ययन में कहा गया था कि माता का अतिरिक्त वजन प्लेसेंटा की संरचना को बदल देता है, जो मां के गर्भ में बच्चे को पोषण देता है. जो दोनों के लिए गंभीर समस्या का कारण बन सकता है. लेकिन गर्भावस्था में ओबेसिटी के कारण होने वाली समस्याएं सिर्फ प्लेसेंटा में समस्या तक ही सीमित नहीं है. चिकित्सकों की माने तो गर्भावस्था में ओबेसिटी ना सिर्फ गर्भवती माता, बल्कि भ्रूण के लिए भी कई प्रकार की कम या ज्यादा गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है.
जरूरी है वजन पर नियंत्रण
ममता मेटरनिटी क्लिनिक नई दिल्ली की महिला रोग विशेषज्ञ डॉ चित्रा गुप्ता बताती हैं कि पिछले कुछ सालों में गर्भवती महिलाओं में ओबेसिटी के मामले काफी ज्यादा देखने में आने लगे हैं. इसलिए आजकल गर्भावस्था के शुरुआती दौर से ही महिलाओं को आहार तथा व्यवहार से सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है जिससे वजन जरूरत से ज्यादा ना बढ़े. वह बताती हैं कई लोगों को लगता है कि गर्भावस्था में भ्रूण के विकास के साथ माता का वजन बढ़ता ही है वह ओबेसिटी नहीं होता है. यह सत्य है कि माता के गर्भ में जैसे जैसे भ्रूण का विकास होता है , वैसे वैसे माता के शरीर का आकार बदलता है तथा वजन भी बढ़ता है. लेकिन कई बार यह वजन असंतुलित आहार या अन्य कारणों से जितना बढ़ना चाहिये उससे कहीं ज्यादा बढ़ जाता है . जो बच्चे को जन्म देने के बाद भी लंबे समय तक बना रहता है. ऐसी अवस्था ना सिर्फ गर्भावस्था में , प्रसव के दौरान बल्कि प्रसव के बाद भी माता व बच्चे के स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है.
बढ़ सकता है स्वास्थ्य समस्याओं का जोखिम
वह बताती हैं कि गर्भावस्था के दौरान ओबेसिटी से पीडित महिलाओं में गर्भकालीन मधुमेह या जेस्टेशनल डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या प्रीक्लेम्पसिया, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया, खून के थक्के जमना या वेनस थ्रोम्बोएम्बोलिज्म तथा संक्रमण जैसी समस्याओं के होने व बढ़ने का जोखिम बढ़ जाता है. वहीं गर्भावस्था के बाद मोटापा कार्डियो मेटाबोलिक जोखिम जैसी स्थितियों के विकसित होने का कारण भी बन सकता है. ओबेसिटी पीड़ित गर्भवती महिलाओं को प्रसव के बाद बच्चे को स्तनपान कराने में भी समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
ओबेसिटी गर्भवती महिलाओं के साथ ही उनके गर्भस्थ शिशु के लिए भी नुकसानदायक हो सकती है. ऐसी अवस्था में कई बार गर्भवती महिलाओं के प्रसव के दौरान समस्या, गर्भपात , मृत जन्म, बच्चों में जन्मजात रोग या विसंगतियों जैसे हृदय रोग सहित कुछ अन्य प्रकार की समस्याओं का जोखिम भी हो सकता है. यही नहीं ओबेसिटी का शिकार महिलाओं में सिजेरियन प्रसव की आशंका भी ज्यादा रहती है.