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छोटे बच्चों में भी जरूरी है मुंह और मसूड़ों की सफाई

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Published : Mar 12, 2022, 10:41 AM IST

Updated : Mar 12, 2022, 4:02 PM IST

छह महीने से कम आयु वाले बच्चों के मुंह में पूरे दांत नहीं होते हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि उन्हें मुंह की साफ-सफाई की आवश्यकता नहीं होती है. बच्चा भले ही सिर्फ मां का दूध पीता हो, उसके मुंह में मसूड़ों और जीभ की नियमित साफ सफाई बहुत जरूरी होती है.

छोटे बच्चों में भी जरूरी है मुंह और मसूड़ों की सफाई
छोटे बच्चों में भी जरूरी है मुंह और मसूड़ों की सफाई

आमतौर पर लोगों को लगता है कि जब तक बच्चा आहार खाना शुरू नहीं करता है या जब तक उसके दांत नहीं निकलते हैं उनके मुंह को साफ-सफाई की बहुत ज्यादा जरूरत नहीं होती है. जो सही नहीं है. जन्म के कुछ समय बाद से ही बच्चों के मुंह की साफ सफाई विशेषकर मसूड़ों और जीभ की सफाई का ध्यान रखना बेहद जरूरी होता है. दरअसल बच्चे के मुंह में मसूडों और जीभ पर चिपके दूध के अंश या उनके हाथ या किसी अन्य चीज के मुंह में डालने से उन पर लगे बैक्टीरिया के पेट में पहुंचने की आशंका होती है. ऐसे में मुंह की नियमित साफ-सफाई उन्हे कई समस्याओं से बचा सकती है. यह आदत उन्हे भविष्य में दांतों और मसूड़ों की कई समस्याओं से भी बचा सकती है.

उंगली और सूती कपड़े से करें सफाई

स्माइल क्लिनिक दिल्ली की बाल रोग विशेषज्ञ डॉ अपर्णा सेन बताती हैं कि छोटे बच्चों के मुंह की अंदर से साफ- सफाई बहुत जरूरी होती है . वह बताती हैं कि छोटे बच्चे विशेषकर ऐसे बच्चे जिनके मुंह में दांत नहीं है, उनके मुंह की साफ सफाई से तात्पर्य यह नहीं है कि ब्रश पर टूथपेस्ट लगाकर उनके मुंह को साफ किया जाए. उंगली पर साफ और कोमल सूती कपड़ा लपेटकर मसूड़ों तथा जीभ की हल्के हाथ से मालिश करते हुए मुंह की सफाई करना इस आयु के बच्चों के लिए सफाई का आदर्श तरीका होता है. ऐसा करने से ना सिर्फ मसूड़ों की मालिश होती है बल्कि उनके मुंह के कीटाणु भी साफ हो जाते हैं.

वह बताती हैं कि सिर्फ अपनी मां के दूध पर निर्भर रहने वाले बच्चे भी ज्यादातर 4 महीने के बाद से अपनी उंगलियों के अलावा टीथर या इधर उधर पड़ा सामान मुंह में डालने लगते हैं. जिससे मुंह में कीटाणुओं के पहुंचने की आशंका बढ़ जाती है. ऐसे में सिर्फ दूध पीने के बाद ही नहीं बल्कि दिन में एक या दो बार बच्चे के मुंह की सफाई करना उसके मुंह के स्वास्थ्य को बरकरार रखता है.

मसूड़ों के दर्द में भी राहत दिलाती है उंगली की मालिश

डॉ अपर्णा बताती है कि आमतौर पर 4 से 6 महीने में बच्चों में दांत निकलना शुरू होने लगते हैं. वही 6 महीने के बाद मां के दूध के अलावा बच्चों का ऊपरी आहार भी शुरू हो जाता है. ज्यादातर बच्चों के लिए दांत निकलने का समय बड़ा परेशानी भरा होता है, क्योंकि ऐसे समय में ना सिर्फ उनके मसूड़ों में सूजन आने लगती है बल्कि पेट खराब होने या बुखार जैसी अन्य समस्याओं का भी उन्हें सामना करना पड़ सकता है. ऐसे में साफ उंगली या साफ सूती कपड़े से मसूड़ों की साफ सफाई तथा मालिश उन्हे कुछ हद तक दर्द और असहजता से राहत दिला सकती है. वहीं इससे उनके मुंह में ऊपरी आहार के बचे हुए अवशेष भी साफ हो जाते हैं . इसके अलावा बच्चों को खेल-खेल में मुंह में थोड़े से पानी से कुल्ला कराना भी सिखाया जा सकता है.

डॉ अपर्णा बताती है कि जब बच्चों के मुंह में दांत निकलने लगे बहुत जरूरी है कि प्रतिदिन उसके दांतो को साफ और ताजे पानी से साफ किया जाए. साफ सफाई के अलावा बच्चों के दांतों को स्वस्थ रखने के लिए तथा दांतों के निकलने के दौरान होने वाली परेशानियों को कम करने के लिये विशेष तौर पर बच्चों के लिए तैयार कैल्शियम और विटामिन डी युक्त दवाइयाँ दी जा सकती हैं.

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डॉ अपर्णा बताती हैं कि जैसे-जैसे बच्चों के मुंह में दांतों की संख्या बढ़ती जाती है, विशेष तौर पर बच्चों के लिए तैयार मुलायम ब्रश पर बहुत थोड़ी मात्रा में ( मटर के दाने जितना ) फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट लगाकर उनके दांतो को साफ करना शुरू कर देना चाहिए. लेकिन ध्यान रहे कि बच्चा टूथपेस्ट को निगले नहीं. नियमित रूप से टूथब्रश से दांतों की सफाई और कुल्ला करने से ना सिर्फ मुंह साफ रहता है साथ ही मसूड़ों की भी मालिश होती है.

वह बताती है कि बच्चों में मुंह के साफ-सफाई की आदत बचपन से ही विकसित करनी जरूरी है. साथ ही जरूरी है उन्हें यह समझाना की सुबह और रात को सोने से पहले ब्रश करने की आदत उनकी सेहत के लिए कितनी फायदेमंद है. यदि बचपन से ही बच्चों में इस तरह की आदतों को विकसित किया जाए तो बड़े होने पर उन्हे मुंह में संक्रमण होने, दांतों व मसूड़ों में रोग होने तथा कैविटी जैसी समस्याओं से बचाया जा सकता है.

पढ़ें:कैसे करें बच्चे में खानपान की सही आदतों का विकास

Last Updated :Mar 12, 2022, 4:02 PM IST

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