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हर उम्र के लिए जरूरी है कैल्शियम

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Published : Sep 14, 2020, 12:35 PM IST

Updated : Sep 15, 2020, 9:52 AM IST

benefits of calcium
कैल्शियम के फायदे ()

कैल्शियम एक ऐसा तत्व है, जो ना सिर्फ हमारे शरीर का आधार हड्डियों को स्वस्थ रखने के लिए बल्कि शरीर के सर्वांगीण विकास के लिए सबसे जरूरी खनिज माना जाता है. हालांकि पिछले कुछ समय में वीगन डायट को लेकर लोगों में खासा आकर्षण देखने में आया है, जिसमें लोग दूध तथा दूध से बने उत्पादों का त्याग कर देते हैं. लेकिन कोई भी किसी भी तरह की डायट में शरीर में कैल्शियम की जरूरत से इनकार नहीं कर सकता है.

बच्चे के जन्म से लेकर बुढ़ापे तक घर के बड़े तथा चिकित्सक सभी दूध को अपनी नियमित खुराक में शामिल करने पर जोर देते है. कारण दूध को कैल्शियम का सबसे खास स्त्रोत माना जाता है, जो हड्डियों को पोषण देने के साथ ही शरीर के विकास के लिए बहुत जरूरी होता है. शरीर में कैल्शियम की जरूरत के बारे में जानने के लिए ETV भारत सुखीभवा टीम ने कामा तथा अलब्लेस अस्पताल, मुंबई की पूर्व सुपरिन्टेन्डेन्ट तथा ऑब्सटेट्रिशियन व महिला रोग चिकित्सक डॉ. राजश्री काटके से बात की.

क्यों है कैल्शियम जरूरी

शरीर में कैल्शियम की जरूरत के बारे में जानकारी देते हुए डॉ. कटके बताती हैं की यह एक ऐसा खनिज है, जो हमारे शरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि कैल्शियम ही शरीर की हड्डियों को मजबूती देता है. हमारे दांतों, बालों और नाखूनों से लेकर शरीर की सभी हड्डियां, शारीरिक विकास और स्वस्थ रहने के लिए काफी हद तक कैल्शियम जिम्मेदार होती है. इसके अलावा कैल्शियम शरीर के अन्य महत्वपूर्ण कार्यों में भी योगदान देता है. जैसे धमनियों के संकुचन व मांसपेशियों व तंत्रिका प्रणाली के विकास में मदद. शरीर में कैल्शियम की कमी होने से अनेकों तरह की बीमारियों का जोखिम बढ़ जाता है. जिनमें मुख्य रूप से ऑस्टियोपोरोसिस व ऑस्टियोपीनिया शामिल है.

कैल्शियम की कमी के लक्षण

  • बच्चों के शारीरिक विकास की गति कम होना.
  • पैरों व हाथों में झुनझुनी होना.
  • दर्द व थकान महसूस होना.
  • जोड़ों में दर्द होना.
  • नाखूनों का कमजोर होना.
  • तनाव, दांतों में सड़न तथा मांसपेशियों में दर्द होना, आदि.

बच्चों में कैल्शियम की जरूरत

डॉ. कटके बताती है की बच्चों के शारीरिक विकास की गति बहुत तेज होती है. लंबाई का बढ़ना, तथा मांसपेशियों का विकास मजबूत हड्डियों के कारण ही सम्भव है. जिसके लिये कैल्शियम सबसे जरूरी खनिज माना जाता है. बालपन या किशोरावस्था में आमतौर पर बच्चे पांव या घुटनों में दर्द की शिकायत करते है जो की 'ग्रोइंग पेन' कहलाता है. यदि बच्चों को पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम का पोषण मिल रहा हो, तो इस तरह के दर्द बच्चों में कम हो सकते हैं. इसलिए माता-पिता को चाहिए की बच्चों को ऐसी खुराक दे, जिसमें कैल्शियम की मात्रा ज्यादा हो.

किशोरों में कैल्शियम की जरूरत

किशोरों में भी कैल्शियम की अतिरिक्त खुराक उतनी ही जरूरी है, जितनी की छोटे बच्चों में. उम्र के इस दौर में हड्डियों के साथ-साथ उनकी मांसपेशियां भी बननी तथा मजबूत होनी शुरू हो जाती है. जिसके लिए कैल्शियम के साथ विटामिन-डी की भी काफी जरूरत होती है. इसलिए सुबह की धूप उनके लिए काफी जरूरी होती है. इस उम्र में बच्चों के लिए बहुत जरूरी है की वे सभी पोषक तत्वों से भरपूर भोजन ग्रहण करें, ताकि उनके शरीर के सम्पूर्ण विकास के साथ ही उनका मानसिक स्वास्थ्य भी उत्तम रहे.

गर्भवती महिलाओं में कैल्शियम की जरूरत

गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं के लिए कैल्शियम बहुत जरूरी होता है, क्योंकि उनके शरीर के पोषण पर एक और जीव भी आश्रित होता है. इस समय बच्चे का पोषण उसकी मां की खुराक पर ही निर्भर रहता है. गर्भावस्था तथा स्तनपान कराने वाली महिलाओं के शरीर में सामान्यतः कैल्शियम की मात्रा में काफी कमी आ जाती है, इसलिए आमतौर पर इन दोनों ही अवस्थाओं में चिकित्सक महिलाओं को कैल्शियम की अतिरिक्त खुराक लेने की सलाह देते है.

प्रौढ़ तथा उम्र दराज महिलाओं में कैल्शियम की जरूरत

डॉ. कटके बताती है की मासिक धर्म के दौरान बनने वाले हार्मोन महिलाओं के शरीर में कैल्शियम की मात्रा को संरक्षित करने में मदद करते हैं. लेकिन रजोनिवृत्ति के उपरांत महिलाओं के शरीर में कैल्शियम की भारी कमी होने लगती है. जिसके कारण ऑस्टियोपोरोसिस जैसी हड्डियों की बीमारियां ज्यादा असर करने लगती है. ऐसी महिलायें जो नियमित तौर पर घर से बाहर नहीं निकलती या धूप में नहीं जाती है, उनके शरीर में विटामिन-डी की खासी कमी हो जाती है. जिससे शरीर में कई प्रकार के दर्द और रोगों को बढ़ावा मिलता है.

कैल्शियम के स्रोत

दूध तथा दूध से बनने वाले उत्पाद जैसे दही, छाछ, लस्सी के एक कप में 280 एमजी कैल्शियम मिलता है. डेयरी उत्पादों के अलावा रागी और रागी से बने खाद्य पदार्थों, संतरा, केला, कस्टर्ड एप्पल जैसे फल तथा सब्जियों में भी कैल्शियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है. डॉ. कटके कहती है की जहां तक हो सके कैल्शियम को प्राकृतिक स्रोतों से ही ग्रहण करना चाहिए. बगैर चिकित्सीय परामर्श के या जरूरत से ज्यादा कैल्शियम सप्लीमेंट लेना कई बार किडनी में पथरी जैसी समस्या तथा कई अन्य समस्याओं को भी जन्म दे सकता है.

Last Updated :Sep 15, 2020, 9:52 AM IST

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