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रोहिणी झील को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रही है दिल्ली सरकार

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Published : May 1, 2022, 9:58 AM IST

Rohini lake
Rohini lake ()

दिल्ली सरकार दिल्ली को 'झीलों का शहर', बना रही है. राजधानी दिल्ली, 80 एकड़ में विकसित की जा रही रोहिणी झील पर्यटकों का नए साल में स्वागत करेगी. रोहिणी झील पर्यटकों के लिए नया टूरिस्ट स्पॉट बनेगी. रोहिणी झील में कई विश्व स्तरीय सुविधाएं, कैफेटेरिया, चिल्ड्रन पार्क, वाटर गार्डन के अलावा भारत में जल संचयन की कहानी बताने वाला आउटडोर म्यूजियम भी बनेगा.

नई दिल्ली:दिल्ली सरकार दिल्ली की झीलों को पुनर्जीवित कर उन्हें आकर्षक पर्यटन स्थलों में तब्दील करने में जुटी है. इसी कड़ी में दिल्ली के जल मंत्री व दिल्ली जल बोर्ड के अध्यक्ष सत्येंद्र जैन ने रोहिणी सेक्टर-25 स्थित रोहिणी झील का मुआयना किया. परियोजना में जारी विभिन्न इकाइयों के कार्यों की व्यक्तिगत रूप से समीक्षा की. जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने अधिकारियों को विभिन्न पहलुओं पर सुझाव दिए, जो दिल्ली सरकार द्वारा चलाई जा रही झीलों के कायाकल्प परियोजना का हिस्सा है. साथ ही उन्होंने अधिकारियों से झील को उम्मीदों के अनुरूप बदलने और समय से गुणवत्ता पूर्ण कार्य पूरा करने के निर्देश दिए. इसके अलावा इकोलॉजिकल सिस्टम को बनाए रखने और लागत प्रभावी तरीकों के साथ ज्यादा से ज्यादा अंडर ग्राउंड वाटर रिचार्ज करने के लिए परियोजना को तैयार करने के लिए कहा है.

32 एकड़ में विकसित होगी रोहिणी झील

दिल्ली सरकार, दिल्ली को 'झीलों का शहर' बनाने के सपने को साकार करने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रही है. इस परियोजना के तहत पहले चरण में सरकार की ओर से 250 जलाशयों और 23 झीलों को जीवंत किया जा रहा है. इसका उद्देश्य शहरी बाढ़ को रोकना और अवरुद्ध नालियों से बचने के लिए विभिन्न जलाशयों का निर्माण करना है. दिल्ली सरकार 'सस्टेनेबल मॉडल' का उपयोग करके झीलों का कायाकल्प कर रही है. झीलों के आस-पास पर्यावरण तंत्र को जीवंत करने के लिए देसी पौधे लगाए जा रहे हैं. साथ ही सभी जल निकायों को सुंदर रूप देने की दिशा में कड़ी मेहनत की जा रही है. रोहिणी झील राजधानी में पुनर्जीवित होने वाली 23 झीलों में से एक है और इसे जल मंत्री सत्येंद्र जैन ने एक प्रमुख परियोजना के रूप में भी नामित किया है. झीलों के कायाकल्प के लिए झील का सुंदरीकरण, भू-निर्माण और ट्रीटमेंट प्लांट्स का निर्माण किया जा रहा है.

पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगी रोहिणी झील

8 महीने के अंदर परियोजना पूरी होने की उम्मीद

जल मंत्री सत्येंद्र जैन का प्राथमिक उद्देश्य 80 एकड़ भूमि पर बनाई जा रही रोहिणी झील को एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करना है, ताकि यह लोगों के मनोरंजन के लिए टूर‍िस्‍ट स्‍पॉट बन सके. यह परियोजना 8 महीने की समय सीमा में पूरा होने की उम्मीद है. इसके पूरा होने के एक महीने बाद ही पर्यटकों के लिए ओपन किया जाएगा. जैन ने कहा कि रोहिणी झील को सुंदर बनाने के लक्ष्य को हासिल करने के लिए हम विशेषज्ञों की मदद भी ले रहे हैं. झील को इस तरह से पुनर्विकसित किया जा रहा है कि लोगों और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने.

पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगी रोहिणी झील

पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रही झील

झील का विकास पिकनिक स्पॉट (पर्यटन स्थल) के रूप में किया जा रहा है. करीब 80 एकड़ के क्षेत्र में झील का अत्याधुनिक भूनिर्माण किया जाएगा. झील स्थल में प्राइमरी और सेकेंडरी, दो पैदल चलने के लिए पथ और 4.5 मीटर का एक जंगल का रास्ता भी होगा, जो झील के बीच से होकर गुजरेगा. यहां लगे कई पेड़-पौधे न केवल पर्यटकों को इसकी सुंदरता के लिए आकर्षित करेंगे, बल्कि लोगों को प्रकृति के करीब आने का भी मौका मिलेगा. इसके साथ ही झील में कई विश्व स्तरीय सुविधाएं भी होंगी, जैसे पार्किंग स्पेस, कैफेटेरिया, चिल्ड्रन पार्क, एंट्रेंस प्लाजा, ग्रैंड स्टेप्ड प्लाजा आदि. झील स्थल पर एक स्टेप्ड वाटर गार्डन, वाटर एल्कोव्स और भारत में जल संचयन की कहानी बताने वाला एक आउटडोर म्यूजियम भी बनाया जाएगा.

पर्यटन स्थल के रूप में विकसित होगी रोहिणी झील

पक्षियों और जानवरों के रहने का बेहतर ठिकाना बनेगी रोहिणी झील

रोहिणी झील न केवल दिल्ली के लोगों के लिए एक मनोरंजन स्थल के रूप में विकसित होगी, बल्कि इसके विकासित होने के बाद यह परियोजना दिल्ली के गिरते भूजल स्तर में सुधार लाने में भी मददगार साबित होगी. झील कार्बन भंडारण के लिए एक सिंक के रूप में भी काम करेगी. पौधों, पक्षियों और जानवरों की कई प्रजातियों के लिए आशियाना बनेगी. झील से आसपास की आबोहवा भी साफ होगी. बता दें कि रोहिणी झील में एक एनोक्सिक तालाब भी है, जिसमें प्राकृतिक पौधे होंगे और झील में जल स्तर बढ़ाएंगे. जलीय वनस्पतियों और जीवों के लिए जगह के साथ-साथ एक मछली का तालाब भी होगा. छत पर एक सौर पैनल के साथ एक पेयजल झील भी होगी. इस परियोजना से वेस्टवॉटर को दोबारा उपयोग करने में मदद मिलेगी और आसपास के वातावरण में सुधार के साथ हरियाली भी बढ़ेगी.

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