नई दिल्ली:राजधानी दिल्ली में यमुना नदी में आई बाढ़ ने कई हजार लोगों के जीवन को प्रभावित किया है. कई परिवार को आर्थिक नुकसान हुआ है. दिल्ली सरकार का आंकड़ा कहता है कि बाढ़ में बहने से करीब 30 हजार लोगों को रेस्क्यू कर बाहर निकाला गया. इन लोगों को सरकार द्वारा स्कूल, धर्मशाला और टेंट लगाकर बनाए गए राहत शिविर कैंप में रखा गया. दिल्ली सरकार यह भरपूर कोशिश कर रही है कि बाढ़ से पीड़ित लोगों की आपदा के इस समय में मदद की जाए. सरकार की तरफ से दावा किया जा रहा है कि सभी राहत बचाव शिविर कैंप में तीन वक्त का भोजन मुहैया कराया जा रहा है. इसके अलावा मेडिकल एंबुलेंस की सुविधा दी गई है. वाटर टैंक शिविर केंप में पहुंचाए जा रहे हैं.
हालांकि, फिर भी दिल्ली के कई राहत शिविर कैंप से शिकायत मिल रही है कि समय पर भोजन और पानी नहीं मिला रहा. शौचालय का बुरा हाल है. लोगों को काफी दिक्कत हो रही है. इधर, सरकार को मिल रही इन शिकायत पर संज्ञान लेते हुए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपने सभी मंत्रियों को जिला के हिसाब से ड्यूटी दी है. सीएम के निर्देश पर सभी मंत्री अपने अपने क्षेत्र में दौरा कर हालात की समीक्षा कर रहे हैं और जरूरी कदम उठाने के निर्देश भी दे रहे हैं.
सरकार के तमाम दावों की जांच करने के लिए ईटीवी भारत की टीम दिल्ली के सराय काले खां स्थित एक सरकारी स्कूल पहुंची. यहां पर सराय काले खां के शमशान घाट के पास बने झुग्गी बस्ती में रहने वाले लोगों को रखा गया है. यहां जब हम पहुंचे तो सिर्फ बच्चे खेलते हुए नजर आए. मौके पर सिविल डिफेंस वॉलिंटियर मौजूद थे. यहां पानी का एक टैंकर, एक मेडिकल एंबुलेंस मौजूद था. सिविल डिफेंस के लोगों ने बताया कि यहां बस्ती के करीब 50 लोगों को रखा गया है. अभी फिलहाल, यहां बच्चे हैं. इनके माता-पिता, वहीं दिन भर झुग्गी में रहते हैं, क्योंकि उनका वहां पर सामान हैं पशु हैं, जिसकी वह देखरेख करते हैं. हालांकि, रात को सोने के लिए यहां आ जाते हैं.
पशुओं को छोड़कर राहत कैंप में नहीं जाना चलते लोग:61 साल के बुजुर्ग जमाउलिद्दीन ने बताया कि वह सराय काले खां स्तिथ शमशान घाट के नजदीक झुग्गियों में रहते थे. अचानक यमुना का जलस्तर बढ़ा और अपने पशु और एक जोड़ी कपड़ा लेकर जान बचाकर बाहर निकले. उन्होंने बताया कि पशुओं का करीब 10 से 15 हजार का चारा बरबाद हो गया. कुछ एकड़ खेती की थी वह भी पानी में डूब गई. सरकार की तरफ से खाना मिल जाता है. उन्होंने बताया कि राहत शिविर कैंप में इसलिए नहीं गए क्योंकि, हम चले जाते तो हमारे पशु कहां जाते. हम भले ही भूखे रह ले. हमारे पशु भूखे नहीं रहने चाहिए.