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महिला स्वीमर के वीडियो बनाने के आरोपी पैरा स्वीमर प्रशांत कर्माकर के निलंबन का फैसला सही- दिल्ली हाईकोर्ट

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 22, 2023, 8:38 PM IST

दिल्ली हाईकोर्ट बुधवार को महिला स्वीमर का वीडियो बनाने के मामले की याचिका पर सुनवाई कर रही थी. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पैरा स्वीमर को निलंबित किए जाने के फैसले को सही करार दिया है.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने महिला स्वीमर का वीडियो बनाने के आरोपी अर्जुन अवार्डी और पैरा स्वीमर प्रशांत कर्माकर को पैरालंपिक कमेटी ऑफ इंडिया (पीसीआई) की ओर से निलंबित किए जाने के फैसले को सही करार दिया है. हाईकोर्ट इस सवाल पर सुनवाई कर रही थी कि क्या पीसीआई कोच को निलंबित करने का अधिकार रखता है.

कारण बताओ नोटिस जारी: जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद की बेंच ने कहा कि प्रशांत कर्माकर ये बताने में असफल रहे कि अनुशासन समिति का फैसला निष्पक्ष नहीं था. हालांकि, कर्माकर के निलंबन की समय सीमा खत्म हो चुकी है. हाईकोर्ट ने कहा कि पीसीआई के नियमों के तहत सामान्य आचार संहिता एथलीट, कोच और सपोर्ट स्टाफ पर भी लागू होता है. पीसीआई के नियम 19.1.6 में इसका साफ साफ जिक्र किया गया है.

कोर्ट ने कहा कि अनुशासन कमेटी ने कर्माकर को निलंबित किया था और सभी पक्षों को सुना था. सुनवाई के दौरान कर्माकर की ओर से वकील अमित शर्मा और सत्यम सिंह राजपूत ने कहा था कि प्रशांत कर्माकर ने 44 अंतरराष्ट्रीय और 74 राष्ट्रीय मेडल जीते हैं. कर्माकर एक प्रशिक्षित कोच हैं, जिन्होंने रियो पैरालंपिक 2016 में भारत का कोच के रूप में प्रतिनिधित्व किया था.

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पीसीआई का फैसला गैरकानूनी: पीसीआई ने 7 फरवरी, 2018 को कर्माकर को तीन साल के लिए निलंबित करते हुए स्वीमिंग के किसी भी इवेंट में भाग लेने पर रोक लगा दिया था. याचिका में कहा गया था कि पीसीआई का ये फैसला मनमाना और गैरकानूनी है. पीसीआई ने कर्माकर के खिलाफ बेबुनियाद और झूठे आरोप लगाकर कार्रवाई की है.

याचिका में कहा गया था कि कर्माकर ने पीसीआई में आर्थिक गड़बड़ियों, भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन को सामने लाने की कोशिश की. जिसकी सजा के तौर पर उनके खिलाफ प्रतिबंध लगाया गया. याचिका में बिना चुनाव हुए पैरालंपिक स्वीमिंग ऑफ पीसीआई के चेयरमैन के पद पर वीके डबास के बने रहने पर सवाल उठाया गया था. यह भी सवाल था कि वीके डबास कैसे स्वयं को कोच के पद पर नियुक्त कर सकते हैं.

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