दिल्ली

delhi

ETV Bharat / state

Delhi Literary Festival: साहित्योत्सव में हर दिन बिकी एक हजार पुस्तकें, जानिए छह दिनों में क्या क्या हुआ

छह दिवसीय साहित्योत्सव का गुरुवार को समापन हो गया. साहित्य अकादमी का कहना है कि इस दौरान करीब 6 हजार किताबों की बिक्री हुई, जो कोरोना काल के बाद सबसे ज्यादा है.

dfd
df

By

Published : Mar 16, 2023, 8:20 PM IST

नई दिल्ली: साहित्य अकादमी द्वारा प्रकाशित पुस्तकों को लेकर पाठकों में गजब का क्रेज देखने को मिल रहा है. गत वर्ष जहां अकादमी ने 18 करोड़ 36 लाख की पुस्तकों की बिक्री कर अकादमी के इतिहास में नया रिकॉर्ड बनाया तो वहीं गुरुवार को छह दिनों तक चले साहित्योत्सव में भी रोजाना एक हजार पुस्तकों की बिक्री की गई. साहित्य अकादमी के हिंदी विभाग के सहायक प्रोफेसर अजय शर्मा ने बताया कि करीब 6 हजार किताबों की बिक्री हुई है. कोरोना महामारी के बाद साहित्य अकादमी की किताबों के प्रति यह दीवानगी बीते कुछ वर्षों में देखने को नहीं मिली थी. यह अच्छी बात है की पाठक छपी हुई किताबों को खरीद रहे हैं.

उन्होंने बताया कि बाल साहित्य के अलावा पाठकों ने कई जोनर की किताबों को चुना है. अकादमी में गुरुवार को साहित्योत्सव का आखिरी दिन था और यह बच्चों से जुड़ी गतिविधियों पर केंद्रित रहा. इसके अतिरिक्त एक अन्य महत्त्वपूर्ण कार्यक्रम व्यक्ति और कृति शीर्षक से था, जिसे समाज सुधारक एवं नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के साथ आयोजित किया गया. साहित्य अकादेमी इतिहास के इस सबसे बड़े साहित्योत्सव में 400 से ज्यादा रचनाकारों ने 40 से अधिक विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया.

साहित्य प्रेमियों के लिए तीर्थ स्थल का दर्जा रखती है अकादमीः कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि साहित्य अकादमी साहित्यकारों और साहित्य प्रेमियों के लिए तीर्थ स्थल का दर्जा रखती है. मैं कई अन्य तीर्थों की यात्रा कर चुका हूँ और आज साहित्य अकादमी जैसे तीर्थस्थल में भी मेरी उपस्थिति दर्ज हो गई है. यह उपस्थिति मेरे लिए इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि मैं कोई बड़ा साहित्यकार नहीं हूं, लेकिन साहित्य के महत्त्व और इसके प्रभाव को अवश्य समझता हूं.

बच्चों के लिए प्रतियोगिताएं दो वर्गों जूनियर एवं सीनियर में आयोजित की गई थी.

यह भी पढ़ेंः Delhi Food Fair: आहार मेले में देश-विदेश के व्यंजनों का स्वाद चख रहे लोग

उन्होंने सोशल मीडिया के बढ़ते बुरे प्रभावों की ओर ध्यान दिलाते हुए कहा कि हमें इस पर अंकुश लगाना होगा. समाज में व्याप्त असुरक्षा, निराशा और संकुचित होते संबंधों पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि इससे छुटकारा तब ही मिल सकता है जब भारत भूमि से ‘करुणा का वैश्विकरण’ का संदेश पूरी दुनिया को दिया जाएगा. उन्होंने अपने बचपन पर रामचरित मानस के प्रभाव, पिता और बड़े भाई के साथ कठिन मेहनत, हिंदी के प्रति अपना प्यार और भारत की नैतिक शक्ति का उल्लेख करते हुए कहा कि हमारी वैदिक परंपरा ही समाज में सद्भाव लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती है.

बच्चों के लिए यह कार्यक्रम हुएःबच्चों के लिए प्रतियोगिताएं दो वर्गों जूनियर एवं सीनियर में आयोजित की गई थी, जिसमें 300 बच्चों ने भाग लिया. पुरस्कृत बच्चों को प्रथम, द्वितीय तथा तृतीय पुरस्कार वितरित किए गए. समारोह में बाल लेखकों अनंतिनी मिश्रा, सिया गुप्ता, राम श्रीवास्तव और साइना सरीन ने साथी युवा छात्र मित्रों के साथ रचनात्मक लेखन के अपने अनुभव साझा किए.

यह भी पढ़ेंः Vikram Samvat 2080: दीदी मां साध्वी ऋतम्भरा की मधुर प्रवचनों से दिल्ली हुई राममय

ABOUT THE AUTHOR

...view details