नई दिल्ली:दिल्ली एमसीडी चुनाव के नतीजे सामने आने के बाद अब सबकी नजरें मेयर के चुनाव पर टिकी है. बीजेपी और आप दोनों राजनीतिक दलों की ओर से अपना मेयर बनाने के दावे किए जा रहे हैं. पार्षदों पर दलबदल कानून लागू न होने और क्रॉस वोटिंग की संभावना के चलते मेयर पद का चुनाव रोचक (Mayor election will be interesting) हो गया है. इसके पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि अगर कोई पार्षद दल बदलता है या फिर कोई मीटिंग करता है तो भी वह अयोग्य करार नहीं दिया जाएगा.
दोनों दल कर रहे मेयर पर दावा:मेयर पद को लेकर आम आदमी पार्टी और बीजेपी आमने-सामने हैं. बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष ने अपने सभी पार्षदों के साथ देर शाम 7.30 बजे बैठक कर इसके लिए रणनीति बनाई. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी अपने पार्षदों को सीधे संदेश देते नजर आए. मेयर चुनाव के लिए अब राज्य चुनाव आयोग की ओर से नोटिफिकेशन जारी किया जाएगा.
गुरुवार तक चुनाव आयोग की ओर से नोटिफिकेशन जारी की जा सकती है. इसके बाद एमसीडी ऑफिस से सभी पार्षदों की जानकारी राज्य चुनाव आयोग को भेजा जाएगा, जिसके बाद एमसीडी सेक्रेटरी को नोटिफिकेशन की कॉपी मिलेगी और मेयर चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी.
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मेयर चुनने के लिए एलजी से मांगी जाएगी अनुमति :मेयर के चुनाव के लिए उपराज्यपाल से समय, तारीख और जगह तय करने की अनुमति मांगेंगे. अनुमति मिलने के बाद अगले 2 से 3 दिनों में एमसीडी के सेक्रेटरी चुनाव की तारीखों की घोषणा करेंगे और नोटिस जारी करेंगे.
गौरतलब यह है कि दिल्ली एमसीडी में मेयर पद का चुनाव बैलेट पेपर पर गुप्त मतदान के जरिए होता है. जिसमें सभी चुने हुए पार्षदों गुप्त मतदान करेंगे. एमसीडी में मेयर के लिए लेकर अक्सर बहुमत प्राप्त दल ही उम्मीदवार खड़ा करता है, लेकिन इस बार आप को 134 और बीजेपी को 104 सीटें मिली हैं. कांग्रेस के पास 9 और अन्य के पास 3 सीटें हैं. बीजेपी और आप दोनों ही दलों की ओर से मेयर के लिए प्रत्याशी उतारना तय है.
नहीं लागू होता दलबदल कानून :दिलचस्प बात है कि पार्षदों पर दलबदल कानून लागू नहीं होता है. एक पखवारे में पार्षद एक बार पार्टी बदल सकता है. अगर पार्षद मेयर पद के चुनाव के दौरान क्रॉस वोटिंग करता है यानी अपने दल की जगह विपक्षी दल के प्रत्याशी को वोट देता है तो उस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती है. ऐसे में इस बार ऊंट किस करवट बैठेगा ये देखने वाली बात होगी.
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