दिल्ली

delhi

World Obesity Day: 2 क्विंटल के वैभव नहीं चल पाते थे पैदल, मुश्किल हो गई थी जिंदगी, ऐसे घटाया 93 किलो वजन

By

Published : Mar 4, 2023, 6:40 AM IST

Updated : Mar 4, 2023, 7:49 AM IST

हर साल 4 मार्च को विश्व मोटापा दिवस मनाया जाता है. इसे दुनिया भर में बढ़ रही मोटापा की समस्याओं को देखते हुए मनाया जाता है. इसका उद्देश्य लोगों में मोटापा को लेकर जागरुकता फैलाना है. गाजियाबाद में मोटापा से ग्रसित तीन ऐसे व्यक्ति जिन्होंने इससे राहत पाई है. आइए जानते हैं इन केसेज के बारे में...

Etv Bharat
Etv Bharat

विश्व मोटापा दिवस पर खास बातचीत

नई दिल्ली/गाजियाबादःटेक्नोलॉजी के इस दौर में लोगों की जीवनशैली बहुत तेजी के साथ बदल रही है. इंटरनेट के इस दौर में शारीरिक कार्य में काफी कमी आई है. घर का सामान मंगवाना हो या फिर बाल कटवाना हो, हर एक चीज एक क्लिक पर घर पहुंच जाती है. ऐसे में लोगों का शारीरिक कार्य ना के बराबर हो गया है. जो मोटापे की एक बड़ी वजह बन रहा है. मोटापे से सिर्फ वजन ही नहीं बढ़ता है बल्कि मोटापा अपने साथ कई बीमारियों का पिटारा साथ लेकर आता है. दुनिया भर में बढ़ रही मोटापे की समस्याओं को लेकर 4 मार्च को विश्व मोटापा दिवस मनाया जाता है. ताकि लोगों को मोटापे के प्रति जागरूक किया जा सके. हर साल 4 मार्च को विश्व मोटापा दिवस यानी World Obesity Day मनाया जाता है.

मिनिमल एक्सेस, बेरियाट्रिक एंड रोबोटिक सर्जरी के निदेशक डॉ. विवेक बिंदल बीते दस वर्षों में एक हजार से अधिक बेरियाट्रिक सर्जरी कर चुके हैं. डॉ. विवेक बिंदल ने बताया कि बेरियाट्रिक सर्जरी मोटापे को कम करने के लिए बेहद कारगर उपाय है. वजन बढ़ने के साथ होने वाली बीमारियां जैसे शुगर, हाई ब्लड प्रेशर, घुटनों का दर्द आदि को ठीक करने के लिए भी यह काफी कारगर है. जो लोग मोटापे से ग्रसित हैं, उन लोगों की रोबोट या लैप्रोस्कोपी के माध्यम से बेरियाट्रिक सर्जरी करते हैं. बेरियाट्रिक सर्जरी पूरी तरह से सेफ है. इसमें किसी प्रकार के टांके नहीं आते हैं.

डॉ. विवेक बिंदल बताते हैं कि बेरियाट्रिक सर्जरी कराने के दो से तीन दिन के बाद लोग अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के काम कर सकते हैं. तीन से छह महीने के भीतर वजन सामान्य हो जाता है. साथ ही घुटनों का दर्द, बीपी, शुगर भी ठीक हो जाती है. अगर किसी व्यक्ति का वजन सामान्य से 40 किलो अधिक है तो ऐसे में उस व्यक्ति के हार्ट को अधिक काम करना पड़ रहा होगा. घुटनों पर अधिक पर पढ़ रहा होगा.

ये भी पढे़ंः CTET Dec 2022: सीटेट का रिजल्ट जारी, CBSE की वेबसाइट पर ऐसे देखें

  1. पहला केस: वैभव जैन (32) सुपर मॉर्बिड ओबेसिटी के साथ, मेटाबोलिक सिंड्रोम, 208 किलोग्राम वजन और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया (OSA) और हाइपोथायरायडिज्म सहित कई बीमारियों से ग्रसित थे. वैभव को चलने और रोजमर्रा के कामों को करने में बेहद परेशानी होती थी, जिससे उनकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होती थी. उनकी रोबोटिक बेरियाट्रिक सर्जरी (स्लीव गैस्ट्रोस्टॉमी) की गई. सर्जरी के बाद 17 महीनों में वैभव का 93 किलो वजन कम हुआ और जो अब 115 किलो है.
  2. दूसरा केस:मीनाक्षी (44) का भी ऐसा ही मामला था, जो 16 से अधिक वर्षों से बेहद मोटापे और डायबिटीज से पीड़ित थीं. मीनाक्षी को घुटने में ऑस्टियोआर्थराइटिस और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया था. वह घुटने बदलने की योजना बना रही थीं, लेकिन उनके वजन के कारण (113.4 किलोग्राम) बेरियाट्रिक सर्जरी विभाग में रेफर किया गया और सर्जरी की सलाह दी गई. 15 महीनों के बाद उनका वजन 113.4 किलो से कम हो गया है और उनका वजन अब 73 किलो हो गया है. शुगर के लेवल को अब बिना इंसुलिन के सिर्फ न्यूनतम दवाओं से कंट्रोल किया जा रहा है.
  3. तीसरा केस: देवेन सिंगला (25) 168 किलोग्राम वजन के साथ सुपर मॉर्बिड ओबेसिटी, ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया और मेटाबॉलिक सिंड्रोम से ग्रसित थे. वह सांस लेने में कठिनाई के चलते चलने में असमर्थ थे. उन्होंने रोबोटिक बेरिएट्रिक सर्जरी कराई और 9 महीनों में 55 किग्रा वजन कम किया. उन्हें अब सांस लेने में कठिनाई और दिन में सोने की समस्या से राहत मिली है.

ये भी पढ़ेंः दिल्ली हाईकोर्ट ने दी अनोखी सजा, कहा- पौधरोपण कर 10 साल तक करें देखभाल

Last Updated : Mar 4, 2023, 7:49 AM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details