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परिसीमन का असरः शहरी इलाकों में वार्ड घटे तो MCD से बाहर हो गई BJP

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Published : Dec 8, 2022, 4:28 PM IST

Updated : Dec 8, 2022, 5:31 PM IST

दिल्ली नगर निगम चुनाव 2022 (Delhi Municipal Corporation Election) में आम आदमी पार्टी ने पहली बार जीत हासिल की. चुनाव से पहले एमसीडी में काफी परिवर्तन किया गया था. जहां पहले यह तीन भागों में बंटा था, वहीं इसे एक कर दिया गया. इसके साथ ही चुनाव के लिए फिर से परिसीमन का गठन किया गया और एमसीडी के इलाकों को 250 वार्ड में बांट दिया गया. क्या इस परिवर्तन से इस बार के चुनाव में फर्क पड़ा है? इस रिपोर्ट के माध्यम इसे समझने की कोशिश करते हैं...

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नई दिल्ली:दिल्ली नगर निगम चुनाव (Delhi Municipal Corporation Election) को लेकर सामने आए नतीजों में इस बार परिसीमन का प्रतिकूल असर देखने को मिल रहा है. जानकारों की मानें तो भले ही परिसीमन का जमीनी स्तर पर कोई फर्क ना पड़ा हो, लेकिन इससे पॉलीटिकल पार्टीज को कहीं फायदा और कहीं नुकसान दोनों हुआ है. इसका अर्बन और रूरल एरिया दोनों में ही नुकसान और फायदा देखने को मिला है. हालांकि, यह बात भी साफ है कि इस बार एंटी इनकम्बैंसी का कोई फैक्टर नहीं था क्योंकि अगर ऐसा होता तो बीजेपी का वोट शेयर तीन परसेंट तक बढ़ता नहीं.

एमसीडी के जानकार और राजनीतिक विश्लेषक जगदीश ममगाईं कहते हैं कि परिसीमन का एमसीडी चुनाव के ऊपर प्रतिकूल असर पड़ा है. जिसका राजनीतिक दलों को फायदा और नुकसान दोनों हुआ है. बीजेपी की बात की जाए तो उसका जो परंपरागत वोटर है या फिर ट्रेडिशनल कैडर वोटर है, वह शहरी इलाकों यानी अर्बन एरिया में ज्यादा है. लेकिन जब परिसीमन हुआ तो अर्बन एरिया में पॉपुलेशन थोड़ी कम होने की वजह से वहां सीटें कम कर दी गई और रूरल एरिया जिसमें गांव-देहात और अनाधिकृत कॉलोनियों का इलाका आता है, इसके अंदर जनसंख्या अधिक होने के चलते वहां वार्ड की संख्या अधिक हो गई. जिसका नुकसान सीधे तौर पर बीजेपी को हुआ.

दिल्ली के शालीमार बाग, रोहिणी, जनकपुरी में पहले चार वार्ड थे और चारों पर बीजेपी को जीत मिलती थी. परिसीमन के बाद तीन वार्ड हो गए और बीजेपी को हर क्षेत्र में दो वार्ड ही जीत सकी. जिसका एक बड़ा कारण यह है कि इन सभी जगहों में आने वाले रूरल एरिया का एक वार्ड बना दिया गया. इसकी वजह से वहां पर बीजेपी को हार मिली.

एमसीडी एकीकरण किए जाने और परिसीमन का नोटिफिकेशन.

जबकि, पहले इन चारों क्षेत्रों में आने वाले रूरल एरिया थोड़ा-थोड़ा बंट जाता था. जिसकी वजह से बीजेपी को जीत मिल जाती थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ और बीजेपी को इसका नुकसान हुआ. परिसीमन के चलते जो 22 वार्ड कम किए गए उसमें से 18 बीजेपी के ट्रेडिशनल थे. जहां पर उसे जीत मिलती थी, लेकिन इस बार के चुनाव में जो नतीजे सामने आए उसमें बीजेपी को इन सभी जगहों पर नुकसान हुआ. सरल शब्दों में कहा जाए तो परिसीमन का सीधे तौर पर फर्क पॉलीटिकल पार्टी के ऊपर पड़ा है.

कांग्रेस को इस बार परिसीमन का ना तो फायदा हुआ और ना ही नुकसान. कांग्रेस के जो 9 पार्षद जीते हैं, उसमें से ज्यादातर पार्षद मुस्लिम बहुल इलाकों में जीते हैं. जहां आम आदमी पार्टी का वोट कटकर कांग्रेस को मिला है. परिसीमन के बाद सबसे ज्यादा फायदा किसी को हुआ है तो आप को हुआ है क्योंकि जहां शहरी इलाकों में मुकाबला थोड़ा आसान हुआ. वही रूरल एरिया के अंदर आम आदमी पार्टी अपनी पकड़ को इस बार और मजबूत कर पाई है. यह नतीजों में भी देखने को मिला है.

एमसीडी के जानकार और पूर्व अधिकारी योगेंद्र सिंह मान ने फोन पर बातचीत के दौरान बताया कि परिसीमन का इस बार के चुनाव पर कुछ खास फर्क पड़ता नजर नहीं आया है. बीजेपी का वोट शेयर पिछली बार के मुकाबले इंप्रूव हुआ है. आप का वोट शेयर गिरा है और जहां त्रिकोणीय मुकाबला था, वहां फायदा बीजेपी को हुआ.

हालांकि, इस बार जो नतीजे सामने आए हैं उसके बाद अब एमसीडी के सदन की कार्यवाही काफी दिलचस्प हो जाएगी. क्योंकि विपक्ष भी काफी मजबूत है. परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद कराए गए इस बार के एमसीडी चुनाव में वार्डों की संख्या जहां 272 से घटकर 250 रह गई हैं.

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इस सबके बीच केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा राजधानी दिल्ली में एमसीडी एकीकरण किए जाने और परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद नए सिरे से गठित सभी 250 वार्डों के नाम और संख्या को आधिकारिक तौर पर नोटिफिकेशन निकालकर जारी कर दिया है.

नोटिफिकेशन जारी कर बताया गया कि राजधानी दिल्ली में नगर निगम के क्षेत्राधिकार में आने वाले सभी 250 वार्ड के नाम संख्या और सीमाए आधिकारिक तौर पर बदल गई हैं. केंद्र सरकार पीएमसीएच 1957 के तहत 14 संशोधन लिस्ट जारी कर रही है.

Last Updated :Dec 8, 2022, 5:31 PM IST

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