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Central Ordinance: कांग्रेस से नहीं बन रही बात तो समझौते के मूड में AAP, जानें क्या दिया ऑफर

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Published : Jun 16, 2023, 2:18 PM IST

Updated : Jun 16, 2023, 4:15 PM IST

केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ समर्थन जुटाने को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री केजरीवाल संकट में फंसते दिख रहे हैं. कांग्रेस से उनकी बात नहीं बन पा रही है. ऐसे में अब उनकी पार्टी AAP समझौते के मूड में आ गई है.

अध्यादेश पर केजरीवाल संकट में! कांग्रेस से नहीं बन रही बात
अध्यादेश पर केजरीवाल संकट में! कांग्रेस से नहीं बन रही बात

समझौते के मूड में AAP

नई दिल्ली: केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों का समर्थन हासिल करने की कोशिश में जुटी आम आदमी पार्टी (AAP) को अभी तक कांग्रेस की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली है. आप के नेता जिस तरह से कांग्रेस के खिलाफ मुखर हो रहे हैं, उससे कयास लगाए जा रहे हैं कि पार्टी अब समझौते के मूड में आ गई है. इस बाबत पूछे गए सवाल के जवाब में दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि "कांग्रेस दिल्ली-पंजाब को छोड़ दे, हम मध्य प्रदेश और राजस्थान में चुनाव नहीं लड़ेंगे".

हालांकि, सौरभ भारद्वाज का यह ऑफर इन राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर है. इस पर कांग्रेस नेता का कहना है उक्त दोनों ही राज्यों में कांग्रेस मजबूत है और आम आदमी पार्टी यहां कहीं नहीं दिख रही है.

कांग्रेस की प्रवक्ता ने दी कड़ी प्रतिक्रिया:आम आदमी पार्टी की तरफ से दिए गए इस ऑफर को लेकर कांग्रेस प्रवक्ता अलका लांबा ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है. लांबा ने कहा कि आम आदमी पार्टी के नेता महाठग फॉर्मूला सूझा रहे हैं. 2019 में दिल्ली की सात लोकसभा सीट और पंजाब की 13 लोकसभा सीटों को मिलाकर कुल 20 सीटों में से कांग्रेस को 8 सीटें मिली थीं. जबकि आम आदमी पार्टी को पंजाब और दिल्ली मिलाकर सिर्फ एक सीट मिली.

अध्यादेश पर केजरीवाल संकट में

AAP को लोकसभा चुनाव में नकार चुकी है जनता:अलका लांबा का कहना है कि लोकसभा और विधानसभा के चुनावों में अंतर होता है. आम आदमी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में नकारा जा चुका है. उन्होंने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सुझाव देते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी से एकदम सावधान रहना होगा. इनका इतिहास बीजेपी को लाभ और सदा से कांग्रेस को नुकसान पहुंचाने वाला रहा है.

अध्यादेश पर केजरीवाल संकट में! कांग्रेस से नहीं बन रही बात

AAP को कांग्रेस का समर्थन इसलिए है जरूरी:आम आदमी पार्टी (आप) को अध्यादेश के मुद्दे पर समर्थन देने को लेकर तकरीबन अधिकांश विपक्षी दलों ने नेता सामने आए हैं. लेकिन केंद्र सरकार जब राज्यसभा में इस अध्यादेश को पास कराने के लिए पेश करेगी, इसे तभी रोका जा सकता है, जब सभी विपक्षी दल इसके खिलाफ वोट करेंगे. राज्यसभा में अभी विपक्षी दलों में कांग्रेस के पास सबसे अधिक 31 सीटें हैं. इसलिए बगैर कांग्रेस को साथ लिए आम आदमी पार्टी अध्यादेश को राज्यसभा से पारित होने से नहीं रोक सकती है.

अभी तक कांग्रेस अध्यक्ष ने नहीं दिया मिलने का समय:अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात करने की कड़ी में आम आदमी पार्टी के संयोजक व दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी से मिलने का समय मांगा था. लेकिन 20 दिन से अधिक बीत जाने के बाद भी केजरीवाल को मिलने का समय नहीं मिला है.

AAP को लोकसभा चुनाव में नकार चुकी है जनता

प्रदेश कांग्रेस के नेता कर चुके हैं विरोध:अध्यादेश को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने गत 29 मई को प्रदेश कांग्रेस स्तर पर इस संबंध में बातचीत की थी. प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने एक सुर में इसका विरोध किया था. दिल्ली सरकार में मंत्री व पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन और दिल्ली के पूर्व सांसद संदीप दीक्षित का कहना है कि किसी भी सूरत में कांग्रेस को आम आदमी पार्टी का समर्थन नहीं करना चाहिए.

अध्यादेश पर केजरीवाल संकट में! कांग्रेस से नहीं बन रही बात

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कांग्रेस के वरिष्ठ नेता यह तो मानते हैं कि अध्यादेश लाकर संघीय ढांचे को कमजोर करने की कोशिश की गई है. लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता यह भी मानते हैं कि केजरीवाल का समर्थन करते हैं तो यह अपने अनेक सम्मानित नेताओं का अपमान होगा. उनका यह भी कहना है कि यदि यह अध्यादेश पारित नहीं होता है, तो केजरीवाल को एक विशेषाधिकार प्राप्त होगा, जिससे शीला दीक्षित, मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज जैसे पूर्व के मुख्यमंत्रियों को वंचित रहना पड़ा था.

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Last Updated : Jun 16, 2023, 4:15 PM IST

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