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गारंटीड पेंशन स्कीम लागू करने को लेकर भारतीय मजदूर संघ ने जंतर मंतर पर किया प्रदर्शन

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 22, 2023, 3:37 PM IST

Guaranteed Pension System (GPS): गारंटीड पेंशन स्कीम लागू करने को लेकर भारतीय मजदूर संघ ने दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारी सरकारी कर्मचारियों का कहना है कि केंद्र सरकार उनके साथ दुर्व्यवहार कर रही है.

भारतीय मजदूर संघ ने जंतर मंतर पर किया धरना प्रदर्शन
भारतीय मजदूर संघ ने जंतर मंतर पर किया धरना प्रदर्शन

भारतीय मजदूर संघ ने जंतर मंतर पर किया धरना प्रदर्शन

नई दिल्ली: पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर भारतीय मजदूर संघ और सरकारी कर्मचारी राष्ट्रीय परिसंघ ने बुधवार को जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन किया. इसमें भारी संख्या में कर्मचारियों ने भाग लिया. कर्मचारियों ने केंद्र सरकार से नई पेंशन स्कीम समाप्त कर गारंटीड पेंशन स्कीम 1972 लागू करने की मांग की. देश के विभिन्न जगहों से रेलवे, डिफेन्स, पोस्टल, ESI, EPF, केंद्रीय कर्मचारी आदि इस प्रदर्शन में शामिल हुए.

सर्वविदित है कि तत्कालीन केंद्र सरकार ने 1 जनवरी 2004 से पुरानी पेंशन स्कीम सीसीएस पेंशन नियम 1972 को समाप्त कर कंट्रीब्यूटरी पेंशन स्कीम लागू की थी. 22 दिसम्बर 2003 को नोटिफिकेशन एक ऑर्डिनेंस के आधार पर हुआ. सितम्बर 2013 में दोनों सदनों में PFRDA बिल पास हुआ और एनपीएस ने कानूनी रूप धारण कर लिया. इस पेंशनर पेंशन स्कीम का भारतीय संघ और उससे संबद्ध महासंघ व यूनियन लगातार विरोध करते आ रहे हैं, क्योंकि NPS एक नान- गारंटीड बाजार पर आधारित कंट्रीब्यूटरी पेंशन स्कीम है.

1 जनवरी 2004 के पूर्व नान कंट्रीब्यूटरी गारंटीड युक्त ओल्ड पेंशन स्कीम CCS पेंशन रूल्स 1972 लागू थी. इसके अंतर्गत सेवानिवृत के समय अंतिम वेतन का 50% पेंशन के रूप में दिया जाता था. साथ ही मूल्य सूचकांक के साथ जुड़ा होने से वर्ष में दो बार जनवरी और जुलाई में महंगाई भत्ता भी प्राप्त होता था.

वहीं, NPS बाजार आधारित पेंशन होने के कारण इसमें न कोई न्यूनतम पेंशन की व्यवस्था है और न महंगाई भत्ता है. सामाजिक सुरक्षा के नाम पर मिलने वाली पेंशन से वंचित सभी NPS को समाप्त करके पुनः OPS बहाल करने की मांग कर रहे हैं. महासचिव साधू सिंह का कहना है कि जब नेताओं के पेंशन और भत्ता बढ़ाने की बात आती है तो तुरंत भर जाता है, लेकिन सरकारी कर्मचारियों के साथ केंद्र सरकार दुर्व्यवहार कर रही है. अगर हमारी मांगें नहीं मानी जाती है तो आगे सभी कर्मचारी संघ के संगठन बातचीत करेंगे और उसके बाद आगे क्या करना निर्णय लिया जाएगा.

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