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5 साल तक बेटा पूछता रहा कहां हैं पापा... पढ़ें 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद जवान की पत्नी के संघर्ष की कहानी

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Published : Aug 12, 2023, 6:14 AM IST

Updated : Aug 12, 2023, 10:12 PM IST

देश के लिए जान देना सबके बस की बात नहीं. एक तरफ सेना के जवान सरहद पर युद्ध लड़ते हैं तो परिजन असल जिंदगी में. आज हम आपको 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में शहीद हुए रतन सिंह की पत्नी लीलावती के बारे में बताएंगे, जिन्होंने पति के शहीद होने के बाद जिंदगी की लंबी लड़ाई लड़ी...

story of wife of martyr ratan singh
story of wife of martyr ratan singh

लीलावती ने बताई अपनी कहानी

नई दिल्ली/गाजियाबाद:सन् 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में भारत के कई वीरों ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए. उनके बारे में आज भी बहुत कम लोग जानते हैं. इन्हीं जाबाजों में से एक थे गाजियाबाद के रतन सिंह, जिन्हें सन् 1999 में थल सेनाध्यक्ष ने सम्मानित किया था. इस युद्ध में उन्होंने दुश्मनों के हौसले पस्त कर दिए थे. जब वे शहीद हुए तो उनका ढाई साल का एक बेटा भी था, लेकिन उनके शहीद होने के बाद उनकी पत्नी लीवावती ने जिंदगी की जंग लड़कर न सिर्फ घर को संभाला, बल्कि बेटे को भी पढ़ा लिखाकर काबिल बनाया.

लीलावती ने बताया कि पति की शहादत के समय उनकी उम्र मात्र 20 साल थी. गोद में ढाई साल के बेटे को पालना काफी चुनौतीपूर्ण था, लेकिन उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने 35 साल नौकरी कर बेटे का पालन पोषण किया. जब उनका बेटा पांच वर्ष का हुआ तो उसने अपने पिता के बारे में पूछना शुरू किया. उस समय वो बेटे से कह दिया करती थीं कि तुम्हारे पिता ड्यूटी पर हैं और मन लगाकर पढ़ाई करोगे तो वे जल्दी घर लौट आएंगे. उन्होंने करीब दो साल तक बेटे से यह बात छुपाकर रखी.

एक दिन उनके बेटे ने जब पिता के घर न आने के बारे में जानने की जिद की, तब उन्होंने बताया कि तुम्हारे पिता युद्ध में देश के लिए शहीद हो चुके हैं. यह सुनते ही उनका बेटा अचानक जमीन पर गिर गया और कई दिनों तक सदमे में रहा. इसके बाद उन्होंने बेटे को समझाया कि जिंदगी की लड़ाई से पीछे नहीं हट सकते और तुम्हें अभी कामयाब बनना है. वहीं, परिवार वालों ने लीलावती को नई जिंदगी शुरू करने के लिए काफी दबाव डाला, लेकिन उन्होंने यह कहकर सबको खामोश कर दिया कि जिंदगी में शादी सिर्फ एक बार होती है.

शहीद रतन सिंह की पत्नी लीलावती

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फिलहाल उनके पुत्र संजय कुमार की उम्र लगभग 50 वर्ष है और वे कस्टम्स और सेंट्रल एक्साइज विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. संजय कुमार बताते हैं कि उनकी ख्वाहिश भी पिता की तरह सेना में शामिल होकर दे की सेवा करने की थी. वे कई बार भर्ती प्रकिया में शामिल भी हुए, लेकिन किसी कारणवश उनका सेलेक्शन नहीं हो पाया. उन्होंने कहा कि वे अपने पिता पर बहुत गर्व करते हैं क्योंकि उनके पिता की शहादत को आज समाज में शौर्य के प्रतीक के रूप में जाना जाता है.

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Last Updated : Aug 12, 2023, 10:12 PM IST

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