नई दिल्लीः उपभोक्ता अधिकारों को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है. कुछ लोग अब बाजार से खरीदे गए सामान या किसी अन्य सेवा में कमी पाते हैं तो जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग में शिकायतें करते हैं.
देश में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 के तहत किसी भी उत्पाद को बनाने और बेचने वाले के खिलाफ शिकायत मिलने पर आयोग को कार्रवाई का अधिकार है. लेकिन, लोगों को न्याय मिलने में कई-कई साल लग जाते हैं. इससे वे आयोग में शिकायत करने से कतराने कतराते हैं.
राजधानी दिल्ली के 11 जिलों में से 10 में जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग हैं. इनमें हजारों मामले लंबित हैं, जिनका निस्तारण बाकी है. शाहदरा जिले को छोड़कर बाकी सभी में आयोग हैं. शाहदरा के आयोग कार्यालय का निर्माण कार्य दो महीने पहले शुरू हुआ है. जिला उपभोक्ता आयोगों के अलावा दिल्ली में एक राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग भी है. आईटीओ स्थित विकास भवन में इसका कार्यालय है.
उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग:राज्य एवं जिलादोनों जगह एक सेवानिवृत्त जज को आयोग का अध्यक्ष बनाया जाता है और तीन सदस्य होते हैं. ये लोग ही आने वाले मामलों का निस्तारण करते हैं. निस्तारण के लिए सिर्फ चार लोग होते हैं, जबकि मामलों की संख्या अधिक होती है. इसलिए भी इनको निपटाने में देरी होती है. फिलहाल आयोग के कार्यालय में तीन जुलाई तक ग्रीष्मकालीन अवकाश चल रहा है.