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VIDEO: कभी चोट के कारण नहीं ले पा रहे थे एक बटरफ्लाय स्ट्रोक्स, साजन प्रकाश का ओलंपिक तक का सफर

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Published : Jul 22, 2021, 1:51 PM IST

Sajan prakash Swimmer preparation for tokyo olympic
Sajan prakash Swimmer preparation for tokyo olympic ()

साजन ने एक मीडिया हाउस से कहा, ''गर्दन का दर्द 2019 में विश्व चैंपियनशिप के दौरान शुरू हुआ था, लेकिन मुझे लगा कि यह किसी चमत्कार की तरह खत्म हो जाएगा. मैंने दर्द निवारक दवाओं के साथ कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया.''

नई दिल्ली: भारतीय तैराक साजन प्रकाश कुछ समय पहले तक गर्दन की चोट (स्लीप डिस्क) के कारण तैराकी करने मे असमर्थ थे, लेकिन उन्होंने शानदार वापसी करते हुए टोक्यो खेलों के लिए ‘ए’ कट हासिल किया. ओलंपिक के लिए सीधे क्वॉलिफाई करने वाले पहले भारतीय तैराक बनने पर केरल के इस खिलाड़ी की काफी प्रशंसा हो रही है. इस 27 साल के खिलाड़ी ने रोम में सेटे कोली ट्रॉफी में पुरुषों की 200 मीटर बटरफ्लाई स्पर्धा में एक मिनट 56.38 सेकेंड के रिकॉर्ड समय के साथ ओलंपिक क्वॉलिफाईंग टाइम (ओक्यूटी) हासिल किया था.

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कोविड-19 महामारी के कारण पिछले साल देश में लागू हुए लॉकडाउन के समय साजन थाईलैंड में फंस गये थे. वह चोट के कारण सात से आठ महीने तक तरणताल से दूर रहे. चोट और फिर इन सब घटनाओं से वह भावनात्मक तौर पर टूट गये थे लेकन अगस्त 2020 में अभ्यास के लिए दुबई जाने के बाद उनका हौसला बढ़ने लगा. दुबई में कोच प्रदीप कुमार की निगरानी में अभ्यास से उनके खेल में काफी सुधार हुआ.

साजन ने पीटीआई-भाषा से कहा, '' गर्दन का दर्द 2019 में विश्व चैंपियनशिप के दौरान शुरू हुआ था, लेकिन मुझे लगा कि यह किसी चमत्कार की तरह खत्म हो जाएगा. मैंने दर्द निवारक दवाओं के साथ कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया.'' उन्होंने कहा, '' नेपाल में हुए दक्षिण एशियाई खेलों के दौरान मैं अपना हाथ भी नहीं उठा पा रहा था. इसके बाद मैं स्कैन के लिए गया तो पता चला कि मेरे गर्दन के पास स्लिप डिस्क है. इसी से मेरे बायें हाथ में दर्द हो रहा था.''

उन्होंने कहा, ''इसके जब मैं चोट से उबरा तो लॉकडाउन हो गया. मैं उस समय थाईलैंड में था और मेरे साथ कोई फिजियो नहीं था. अगस्त में मैं दुबई चला गया, मेरे फिजियो रिचर्ड ने मेरी मदद करना शुरू किया. मैं खुद में सुधार महसूस कर सकता था. इसमें मेरे कोच और उनकी पत्नी ने भी काफी मदद की.''

उन्होंने बताया, '' शुरुआती तीन महीनों में मैं बटरफ्लाई (तैराकी शैली) को एक बार भी नहीं कर पा रहा था. स्वस्थ रहना मेरे लिए पहली प्राथमिकता थी. मैं चोटिल हो गया था और मानसिक रूप से मजबूत नहीं था. इससे बाहर आना मेरे लिए बहुत बड़े काम की तरह था.'' साजन का दर्द नवंबर-दिसंबर तक कम हुआ और तरणताल में वापस जाने का उन्होंने आत्मविश्वास हासिल किया.

फरवरी में लातविया ओपन में अच्छा परिणाम मिलने से ओलंपिक को लेकर साजन की उम्मीदें और बढ़ गई. उन्होंने कहा, ''जब मैं लातविया में पहले ओलंपिक क्वॉलिफायर के लिए गया था, मैंने बटरफ्लाई के लिए ज्यादा अभ्यास नहीं किया था. वहां जब दो मिनट से कम समय के साथ तैराकी पूरी की तो कोच और मैंने महसूस किया कि कुछ अच्छा हो रहा है और हमने उस पर और अधिक काम करना शुरू कर दिया.''

साजन ने कहा, ''इसके बाद मेरे समय में थोड़ा-थोड़ा सुधार होने लगा. रोम में जब मैंने प्रतिस्पर्धा के बाद समय दर्शाने वाला बोर्ड देखा तो लगा कि फिर से चूक गया लेकिन थोड़ी देर बाद मुझे महसूस हुआ कि मैंने दूसरे खिलाड़ी का समय देखा था और वास्तव में मैंने ओलंपिक क्वॉलिफाई कर लिया है. इससे दबाव काफी कम हुआ और मेरी आंखें नम हो गई थी.''

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