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छलका 'वीरू' का दर्द...बोले- धोनी की वजह से लेना चाहता था ODI से संन्यास, सचिन बने 'भगवान'

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Published : Jun 2, 2022, 3:26 PM IST

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वीरेंद्र सहवाग ने 14 साल बाद खुलासा किया है कि वह साल 2008 में वनडे से संन्यास लेना चाहते थे. उन्होंने कहा कि एमएस धोनी ने प्लेइंग इलेवन से ड्रॉप कर दिया था. इस वजह से वनडे से संन्यास का मन बना लिया था.

हैदराबाद:पूर्व बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने खुलासा किया है कि वह साल 2008 में ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान वनडे क्रिकेट से संन्यास लेना चाहते थे. इसकी वजह थे एमएस धोनी. दरअसल, कुछ मैचों में परफॉर्म नहीं करने की वजह से कप्तान धोनी ने वीरू को प्लेइंग इलेवन से बाहर कर दिया था. सहवाग ने बताया कि तब सचिन तेंदुलकर ने उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे के दौरान वनडे से संन्यास लेने की घोषणा करने से रोक दिया था.

वीरेंद्र सहवाग ने त्रिकोणीय सीरीज में भारत के पहले चार मैचों में 6, 33, 11 और 14 रन बनाए. इस पर उन्हें कप्तान एमएस धोनी ने प्लेइंग इलेवन से ड्राप कर दिया था. भारत ने उस सीबी सीरीजी के सर्वश्रेष्ठ तीन फाइनल में ऑस्ट्रेलिया पर ऐतिहासिक जीत दर्ज की, लेकिन सहवाग ने 24 फरवरी को उस मैच में कोई भूमिका नहीं निभाई. सहवाग साल 2011 में वनडे विश्व कप विजेता टीम में शामिल थे.

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सहवाग से जब उनसे पूछा गया कि क्या विराट कोहली खराब फॉर्म से उबरने के लिए क्रिकेट से ब्रेक लेने पर विचार करेंगे. उन्होंने बताया, साल 2008 में जब हम ऑस्ट्रेलिया में थे तो यह सवाल (रिटायरमेंट का) मेरे दिमाग में आया. मैंने टेस्ट सीरीज में वापसी की और 150 रन बनाए. वनडे में मैं तीन-चार प्रयासों में इतना स्कोर नहीं कर सका. सहवाग ने क्रिकबज शो मैच पार्टी पर कहा, एमएस धोनी ने मुझे प्लेइंग इलेवन से हटा दिया तो मेरे दिमाग में वनडे क्रिकेट छोड़ने का ख्याल आया. मैंने सोचा कि मैं केवल टेस्ट क्रिकेट खेलना जारी रखूंगा.

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'तेंदुलकर ने मुझे रोका'

उन्होंने सचिन से मिली सलाह का जिक्र करते हुए कहा, सचिन तेंदुलकर ने मुझे उस समय रोका. उन्होंने कहा यह आपके जीवन का एक बुरा दौर है. बस रुको, इस दौरे के बाद घर वापस जाओ, सोचो और फिर तय करो कि आगे क्या करना है. सौभाग्य से उस समय मैंने अपनी संन्यास की घोषणा नहीं की.

उन्होंने विराट कोहली के बारे में कहा, खिलाड़ी दो तरह के होते हैं, जिन्हें चुनौतियां पसंद होती हैं. वे ऐसी परिस्थितियों में मजा लेते हैं और विराट उनमें से एक हैं. वह सभी आलोचनाओं को सुनते हैं. मैं दूसरी तरह का था, मुझे परवाह नहीं थी कि किसने मेरी आलोचना की. मैं खेलना चाहता था, रन बनाना और घर जाना चाहता था.

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