नई दिल्ली: कोरोना महामारी, खाली मैदानों, बायो बबल से जूझते और महेंद्र सिंह धोनी के संन्यास से पैदा हुए खालीपन को भरने की कोशिश में जुटे भारतीय क्रिकेट ने मेलबर्न में ऐतिहासिक टेस्ट जीत के साथ वर्ष 2020 को विदाई दी. कोरोना महामारी से मैदा हुए हालात में चुनौतियां नई और विचित्र हैं जिसमें खेलों के मैदानों से दर्शक दूर हैं और खिलाड़ी प्रतिस्पर्धाओं का इंतजार कर रहे हैं.
क्रिकेट ने हालांकि प्रशंसकों के चेहरों पर मुस्कुराहटें लौटाई जब भारतीय क्रिकेट बोर्ड ने संयुक्त अरब अमीरात में इंडियन प्रीमियर लीग का सफल आयोजन किया. जैव सुरक्षित माहौल में रहना हालांकि क्रिकेटरों के लिए आसान नहीं था. आपाधापी से भरी जीवन शैली के बीच इस महामारी ने क्रिकेटरों को आत्ममंथन और जीवन की प्राथमिकताएं नए सिरे से तय करने का मौका दिया. कगिसो रबाडा जैसे खिलाड़ियों ने बायो बबल को 'पांच सितारा जेल' कहा तो डेविड वॉर्नर ने नई बहस छेड़ दी कि नए नॉर्मल के स्थायी होने पर क्या पैसों का मोह छोड़कर खिलाड़ी तय कर सकते हैं कि उन्हें कितनी क्रिकेट खेलनी है.
दर्शकों के शोर के बीच खेलने के आदी क्रिकेटरों के लिए खाली मैदानों में उतरना और हमेशा की तरह खेल पाना मुश्किल था. भारतीय कप्तान विराट कोहली ने भी स्वीकार किया कि मैदान पर दर्शकों का नहीं होना अखरता है जिनकी तालियां खिलाड़ियों के लिए टॉनिक का काम करती हैं. कोहली इस साल फिर आईपीएल जीतने का सपना पूरा नहीं कर सके और किसी प्रारूप में शतक नहीं बना पाए. उनकी कप्तानी में भारत ने इस साल तीनों टेस्ट गंवाये और एडीलेड में टीम न्यूनतम टेस्ट स्कोर 36 रन पर आउट हो गई. अजिंक्य रहाणे ने हालांकि मेलबर्न टेस्ट में शानदार कप्तानी करके सभी का दिल जीत लिया. भारतीय कोच रवि शास्त्री ने इसे 'शानदार वापसी में से एक' करार दिया. इस जीत से भारत की झोली टेस्ट क्रिकेट में खाली रहने से बच गई.