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सचिन ने 1999 एडिलेड टेस्ट को किया याद, बताया- कैसे जीती थी मैक्ग्रा से बाजी

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Published : Apr 29, 2020, 9:03 AM IST

सचिन ने बताया कि जब मैक्ग्रा बेहतरीन फॉर्म में थे तो कैसे उन्होंन धैर्य के साथ उनका सामना किया और कैसे अगले दिन उन पर दबाव बनाया.

macgrath with sachin
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हैदराबाद: भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने 1999 में ऑस्ट्रेलिया के साथ एडिलेड में खेले गए टेस्ट मैच में ग्लेन मैक्ग्रा के एक वाक्ये को याद किया.

सचिन ने बताया कि कैसे उन्होंने मैदान पर मैक्ग्रा से बाजी जीती. सचिन ने बताया कि जब मैक्ग्रा बेहतरीन फॉर्म में थे तो कैसे उन्होंन धैर्य के साथ उनका सामना किया और कैसे अगले दिन उन पर दबाव बनाया.

बीसीसीआई ने एक वीडियो ट्वीट किया है जिसमें सचिन कह रहे हैं, "1999 में हमारा पहला मैच एडिलेड में था.. पहले दिन का खेल खत्म होने में 40 मिनट का समय बचा था. मैक्ग्रा आए और मुझे पांच-छह ओवर फेंके. यह उनकी रणनीति थी कि सचिन को परेशान करते हैं और उन्होंने तय किया था कि 70 फीसदी गेंद विकेटकीपर के हाथों में जानी चाहिए जबकि 10 फीसदी मेरे शरीर पर. अगर वह इन गेंदों को खेलने जाते हैं तो हम सफल हो जाएंगे."

उन्होंने कहा, "मैं जितना संभव हो सका था गेंद छोड़ता चला गया. कुछ अच्छी गेंदें भी फेंकी थीं जिनपर मैं बीट हो गया. तो मैंने कहा अच्छी गेंद है, अब जाओ और दोबारा गेंद करो मैं यहीं हूं."

सचिन ने आगे कहा, "मुझे याद है अगली सुबह मैंन उन्हें कुछ बाउंड्रीज मारीं क्योंकि वह नया दिन था और हम दोनों समान स्तर पर थे. उनके पास रणनीति थी लेकिन मैं उनकी रणनीति जानता था जो मुझे परेशान करने की थी."

ग्लेन मैक्ग्रा के साथ सचिन तेंदुलकर

पूर्व बल्लेबाज ने कहा, "मुझे लगा शाम को मैंने धैर्य दिखाया था और कल सुबह मैं उस तरह से खेलूंगा जिस तरह से मैं खेलता हूं. मैं कैसे खेलता हूं, इसे लेकर आप मुझ पर नियंत्रण नहीं पा सकते लेकिन मैं आप पर नियंत्रण पा कर वहां गेंद करवा सकता हूं जहां मैं चाहता हूं."

सचिन ने साथ ही मौजूदा क्रिकेटरों को कोरोनावायरस के इस मुश्किल दौर में मानसिक तौर पर फिट रहने की सलाह दी है.

सचिन तेंदुलकर

उन्होंने कहा, "मैं उन सभी से यह कहना चाहूंगा कि आप अपनी बैट्रिज को रिचार्ज रखें. कुछ खाली समय होना भी जरूरी होता है. जब आप लगातार खेल रहे होते हो तो खेल के शीर्ष पर बने रहना आसान नहीं होता।. अपनी बैट्रिज रिचार्ज करने के लिए क्रिकेट से दूर जाना भी जरूरी है."

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