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ओलंपिक क्वालीफिकेशन के बारे में ज्यादा नहीं सोच रही : सायना

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Published : Oct 10, 2020, 4:06 PM IST

डेनमार्क ओपन से नाम वापस लेने पर सायना नेहवाल ने कहा है कि मुझे नहीं लगता कि एक टूर्नामेंट के लिए मुझे सभी तरह से जाने की जरूरत है और बीडब्ल्यूएफ ने भी इसमें भाग लेने का फैसला एथलीटों पर छोड़ दिया था.

सायना
सायना

नई दिल्ली: भारतीय महिला बैडमिंटन खिलाड़ी सायना नेहवाल प्रतियोगिताओं और अगले साल होने वाले टूर्नामेंटों के लिए अपनी फिटनेस स्तर बनाए रखने को लेकर चिंतित हैं और वो चौथी बार ओलंपिक में अपनी जगह सुनिश्चित करने के बारे में ज्यादा नहीं सोच रही हैं.

2012 लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता सायना फिलहाल विश्व बैडमिंटन महासंघ (बीडब्ल्यूएफ) में 22वीं रैंकिंग की खिलाड़ी हैं और टोक्यो ओलंपिक में क्वालीफाई करने के लिए उन्हें टॉप-13 में जगह बनानी होगी.

2012 लंदन ओलंपिक की कांस्य पदक

पूर्व वर्ल्ड नंबर-1 सायना जनवरी में प्रतिस्पर्धात्मक बैडमिंटन के शुरू होने की उम्मीद कर रही है.

अगले साल होने वाले क्वालीफिकेशन पीरियड को लेकर उनकी रणनीतियों के बारे में पूछे जाने पर सायना ने कहा, "मेरी ऐसी कोई योजना नहीं है. इस अवधि के दौरान मैं केवल अपनी चोट और अपनी फिटनेस में सुधार करने की कोशिश कर रही हूं. और मैं प्रतियोगिताओं में बेहतर करने के लिए उत्साहित हूं. ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने को लेकर मैं ज्यादा नहीं सोच रही हूं."

सायना नेहवाल

उन्होंने कहा, "मैंने कुछ हफ्तों के लिए ब्रेक लिया. मेरे टखने और पिंडली के साथ कुछ समस्याएं थी और मुझे एक उचित ब्रेक की आवश्यकता थी इसलिए ये अच्छा था. एक बार जब मैंने वापस शुरू किया तो जाहिर है, मुझे पता था कि वापस आने में कुछ महीने लगेंगे क्योंकि मुझे अपनी फिटनेस के लिए धीरे-धीरे आगे बढ़ने की जरूरत है. लेकिन ये अच्छा था. हम ये भी जानते थे कि टूर्नामेंट शुरू होने से पहले हमारे पास पर्याप्त समय था."

सायना के 13 से 18 अक्टूबर तक डेनमार्क ओपन में लौटने की उम्मीद थी, लेकिन वो और उनके पति पुरुष खिलाड़ी पारुपल्ली कश्यप ने डेनमार्क ओपन से अपना नाम वापस ले लिया था. सायना थॉमस और उबर कप फाइनल्स से भी हट गई थीं.

सायना और पारुपल्ली कश्यप

सायना ने कहा, "मुझे नहीं लगता कि एक टूर्नामेंट के लिए मुझे सभी तरह से जाने की जरूरत है. अब से रैंकिंग अंक भी ओलंपिक क्वालीफिकेशन के रूप में नहीं गिने जाएंगे, इसलिए मेरे पास कुछ कारण थे. इसके अलावा, बीडब्ल्यूएफ ने भी इसमें भाग लेने का फैसला एथलीटों पर छोड़ दिया था."

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