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गांधी जी ने देखी थी सिर्फ दो फिल्में, पर्दे पर डांस देखकर नाराज़ हो गए थे बापू

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Published : Oct 2, 2021, 4:00 PM IST

महात्मा गांधी की जन्म जयंती पूरा देश धूमधाम से मना रहा है. जानिए कौन सी थी वो दो फिल्में जो महात्मा गांधी ने अपने पूरे जीवनकाल में देखी थी.

गांधी जी
गांधी जी

हैदराबाद: देश भर में आज गांधी जयंती का राष्ट्रीय पर्व मनाया जा रहा है. गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 में हुआ था. उनके जन्मदिन को गांधी जयंती के साथ ही अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. आज पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी जयंती है. लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर 1904 को उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में हुआ था. उनके पिता एक स्कूल शिक्षक थे. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निधन के बाद वह 9 जून, 1964 से 11 जनवरी, 1966 तक देश के प्रधानमंत्री रहे

गांधी जी

महात्मा गांधी के व्यक्तित्व के कई पहलू हैं इसकी झलक उनके विचारों और लेखों में मिलती है. महात्मा गांधी फिल्मों से सख्त नफरत करते थे. उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी में केवल दो फिल्में ही देखी थी.

महात्मा गांधी ने अपनी जिंदगी में महज दो फिल्में देखी थी. पहली फिल्म मिशन टू मॉस्को साल 1944 में देखी थी. इंड्रस्टलिस्ट शांति कुमार मोरारजी ने अपने संस्मरण में इसका जिक्र किया है. बापूजी की शिष्या मीराबेन ने बापू को फिल्म देखने के लिए मनाया था. गांधीजी तब आघा खान जेल से रिहा होकर नरोत्तम मोरारजी के परिवार के बंगले में रहते थे.

गांधी जी

फिल्म देखकर हुए थे नाराज

शांति कुमार ने अपने संस्मरण में बताया था कि घर में महात्मा गांधी को फिल्म दिखाने के लिए सारे इंतजाम किए गए. इसके लिए लोकल म्युनिसपेलिटी से परमिशन भी ली गई थी. 21 मई 1944 के दिन गांधी जी के लिए शो रखा गया. फिल्म की कहानी रूस में अमेरिका के एंबेसडर जोसेफ डेविस के संस्मरण पर आधारित थी. फिल्म में डांस सीन देखकर गांधी जी ने लोगों को डांटा कि उन्हें इस तरह का डांस दिखाया जा रहा है.

पूरी देखी थी राम राज्य

शांति कुमार के मुताबिक महात्मा गांधी को एक्टर और आर्ट डायरेक्टर कानू देसाई ने फिल्म राम राज्य गांधीजी को दिखाई. इस फिल्म को विजय भट्ट ने प्रोड्यूस किया था. शांति कुमार ने ये फिल्म देखी थी उन्हें पता था कि गांधीजी को ये फिल्म पसंद नहीं आएगी.

गांधीजी से फिल्म देखने के लिए कहा तो उनका जवाब था, 'मैंने अंग्रेजी फिल्म देखने की गलती की थी. क्या मुझे इंडियन फिल्म देखनी होगी।' 2 जून 1944 को फिल्म का शो रखा गया. गांधी जी पहले आधे घंटे ही फिल्म देखने के लिए राजी हुए लेकिन, उन्होंने फिल्म आखिरी तक देखी थी.

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