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तीन लाख जवानों की आंशिक तैनाती से बिगड़ सकते हैं रूस-यूक्रेन युद्ध के हालात

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Published : Sep 22, 2022, 4:51 PM IST

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के साथ करीब सात माह से जारी युद्ध के बीच अपने देश में तीन लाख आरक्षित सैनिकों की आंशिक तैनाती की घोषणा की है. इसके साथ ही उन्होंने पश्चिम को कड़ी चेतावनी भी दी है.ऐसे में युद्ध के हालात और गंभीर होने वाले हैं. 'ईटीवी भारत' के वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

President Vladimir Putin
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन

नई दिल्ली : बड़े पैमाने पर सैन्यीकरण और अमेरिकी नेतृत्व वाले राष्ट्रों के यूक्रेन को हथियार दिए जाने के बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (President Vladimir Putin) ने बड़ी घोषणा की है. यूक्रेन के साथ करीब सात माह से जारी युद्ध में मिले झटकों के बाद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने तीन लाख आरक्षित सैनिकों की आंशिक तैनाती की घोषणा कर दी है. 24 फरवरी को रूसी सेना की ओर से शुरू किए गए ऑपरेशन के करीब सात माह बाद रूस का ये बड़ा कदम माना जा रहा है. इसके जरिए क्रेमलिन ने बड़ा संदेश दिया है.

बुधवार की राष्ट्रीय टीवी पर सात मिनट के संबोधन के बाद से इस युद्ध को हालात और गंभीर हो गए हैं. पुतिन ने टेलीविजन के जरिए देश को संबोधित करते हुए चेतावनी भरे लहजे में पश्चिमी देशों से कहा कि रूस अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए हर संभव कदम उठाएगा और 'यह कोरी बयानबाजी' नहीं है. राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए हैं और यह प्रक्रिया तत्काल प्रारंभ हो जाएगी. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से इस तरह की पहली लामबंदी को लेकर गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं.

अपने संबोधन में रूसी राष्ट्रपति ने पश्चिमी देशों पर 'परमाणु ब्लैकमेलिंग' करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, 'जो रूस के संबंध में इस प्रकार के बयान देते हैं मैं उन्हें यह याद दिलाना चाहता हूं कि हमारे देश में भी तबाही के अनेक साधन हैं जो नाटो देशों से अधिक आधुनिक हैं. जब हमारे देश की क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरा पैदा किया जाएगा तो रूस की और अपने लोगों की रक्षा के लिए हम हमारे पास मौजूद सभी साधनों का इस्तेमाल करेंगे.'

यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पहली बार रूसी रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने स्वीकार किया कि 5,397 रूसी सैनिक मारे जा चुके हैं. पुतिन का ये कदम कई बातों को बाद आया है, जिससे पता चलता है कि युद्ध के हालात और गंभीर होने वाले हैं. पहला पुतिन सर्दियों के ढलने का इंतजार कर रहे थे, जिसमें मास्को को कुछ फायदे मिल सकते हैं. आम तौर पर माना जाता है कि रूसी सैनिक सर्दियों में बेहतर क्षमता के साथ मुकाबला करते हैं. उन्हें प्राकृतिक क्षमता का लाभ मिलता है. ऐसा नेपोलियन फ्रांस और हिटलर के नाजी जर्मनी के अनुभव से पता चलता है. दूसरा

दूसरा, यूरोप को पहले से ही रूसी गैस की दरकार है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से भूभाग में घरों को गर्म करने के लिए किया जाता है. तीसरा, मंगलवार (20 सितंबर) से शुरू हुए संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र में रूसी कार्रवाई की मुखर निंदा की गई. लामबंदी होने को कहा गया. यहां तक ​​​​कि यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की का संबोधन. चौथा शुक्रवार (23 सितंबर) को रूस से चार क्षेत्रों- लुहांस्क, डोनेट्स्क, खेरसॉन और आंशिक रूप से रूसी-नियंत्रित ज़ापोरिज्जिया क्षेत्र में जनमत संग्रह की प्रक्रिया शुरू होने की उम्मीद है. रूस के साथ अपेक्षित एकीकरण के बाद, क्रेमलिन इन चार क्षेत्रों पर हमले कर प्रतिकार करेगा. इससे एक चौतरफा युद्ध छिड़ने के आसार हैं.

पांचवां, रूस ने अपने दूसरे बड़े शहर सेंट पीटर्सबर्ग से अपने मोबाइल फायरिंग प्लेटफॉर्म और मिसाइल सिस्टम को स्थानांतरित कर दिया है. इन्हें यूक्रेन में संघर्ष के लिए ले जाया गया है. सेंट पीटर्सबर्ग को 14 विमान भेदी मिसाइल ठिकानों के जरिए पूरी तरह से सुरक्षित किया जा रहा है.

छठा, सेना के तीन लाख रिजर्व सैनिक तैनात किए जा रहे हैं. अब तक यह माना जाता है कि जॉर्जिया, चेचन्या और यहां तक ​​कि वैगनर में रूस भाड़े के सैनिकों से काम चला रहा था. स्पष्ट रूप से, अधिक खतरनाक समय आ रहा है क्योंकि पहले से ही यूक्रेन में चल रहा संघर्ष द्वितीय विश्व युद्ध के बाद यूरोप में सबसे बड़ा युद्ध बन गया है.

पढ़ें- पुतिन ने रूस में 3 लाख सैनिक जुटाने के दिये आदेश

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