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बोरिस जॉनसन: वे चार तरीके जिनके माध्यम से ब्रिटिश प्रधानमंत्री ने संसद की गरिमा को ताक पर रखा

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Published : Sep 4, 2022, 5:32 PM IST

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के तौर पर बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) का कार्यकाल जल्द ही खत्म होने वाला है. उनके कार्यकाल के दौरान कई कमियां सामने आईं. ऐसे में उनके कार्यकाल को लेकर कई अहम बिंदुओं पर ध्यान दिए जाने की जरूरत है. पढ़िए पूरी खबर...

Boris Johnson
बोरिस जॉनसन

मैनचेस्टर : ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के तौर पर बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) का कार्यकाल लगभग समाप्त होने वाला है और इसके साथ ही संसद के लिए नियंत्रण से बाहर जाने वाली सरकार एवं बड़े स्तर पर राजनीतिक अव्यवस्था का अंत हो जाएगा. डाउनिंग स्ट्रीट में जॉनसन के ढाई साल के कार्यकाल के दौरान ब्रिटिश संवैधानिक प्रणाली की कुछ खामियां सामने आईं जिससे पता चला कि किस प्रकार संसद में बहुमत, मंत्रियों और संसद के अस्पष्ट नियम और एक राष्ट्रीय संकट, प्रधानमंत्री को राजनीति में अपना एकाधिकार स्थापित करने तथा किसी निगरानी से बचने का अवसर दे सकता है.

जॉनसन के अपने पद से इस्तीफा देने और नई सरकार के भविष्य की चिंताओं के साथ ही उनके प्रधानमंत्रित्व काल के चार अहम पहलुओं पर ध्यान देना जरूरी है. एक- उन्होंने संभवतः भ्रम में रखा या सांसदों से झूठ बोला. प्रधानमंत्री के रूप में जॉनसन का सबसे बुरा दौर 2022 के शुरुआती दिनों में आया जब उन पर संसद में झूठ बोलने का आरोप लगा. जॉनसन ने लगातार इस बात से इनकार किया कि उन्होंने कोविड लॉकडाउन के दौरान पार्टी में शामिल होने को लेकर सांसदों से यह कहा कि उन्हें कुछ पता नहीं था या उन्होंने कुछ नहीं किया. मंत्रियों का नियम एक ऐसा दस्तावेज है जो यह मानक तय करता है कि सभी सरकारी मंत्रियों को कैसा आचरण करना चाहिए. इसके अनुसार सच बोलने और सही बात कहने का सबसे ज्यादा महत्व है.

यदि एक मंत्री या प्रधानमंत्री, अनजाने में हाउस ऑफ कॉमन्स (संसद का निचला सदन) में कोई गलत बात कहता है तो उसे जल्द से जल्द इसमें सुधार करना चाहिए. द इंडिपेंडेंट और तथ्यान्वेषी संगठन फुल फैक्ट की ओर से हाल में की गई जांच में सामने आया था कि जॉनसन की सरकार ने 2019 से अब तक कम से कम 27 मिथ्या बयान दिए जिन्हें अभी तक सुधारा नहीं गया. इनमें से 17 बयान प्रधानमंत्री ने दिए थे. दूसरा- हाउस ऑफ कॉमन्स में अनावश्यक रूप से अशिष्ट आचरण करना. जॉनसन ने खुद को ऐसा दिखाया जैसे वह उन नियमों को दरकिनार करने में निपुण हों जिनके तहत सांसद निचले सदन में एक-दूसरे को संबोधित करते हैं.

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(पीटीआई-भाषा)

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