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अफगान संकट के बाद यूरोपीय संघ के अपने सैन्य बल के लिए बढ़ रहा समर्थन

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Published : Sep 2, 2021, 2:33 AM IST

यूरोपीय संघ (EU) के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां से यूरोपीय नागरिकों के अलावा अफगान कर्मचारियों को निकालने के लिए संगठन ने सैन्य बल की आवश्यकता पर जोर दिया है.

यूरोपीय संघ
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लुबलियाना (स्लोवेनिया) : यूरोपीय संघ (EU) के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि अफगानिस्तान सरकार का पतन, तालिबान का देश पर कब्जा, उसके बाद यूरोपीय नागरिकों और अफगान कर्मचारियों को निकालने की कार्रवाई ने संगठन के अपने त्वरित प्रतिक्रिया सैन्य बल की आवश्यकता को रेखांकित किया है.

संगठन के सदस्य देशों के विदेश और रक्षा मंत्री इस सप्ताह अफगान संकट पर यूरोपीय संघ के दृष्टिकोण पर चर्चा करने के लिए स्लोवेनिया में मिलने वाले हैं. इस दौरान ईयू के कई अधिकारियों ने सार्वजनिक बयानों में कहा कि अफगानिस्तान से लोगों को बाहर निकालने की प्रक्रिया के दौरान 27 देशों के संगठन की अमेरिकी सैनिकों पर निर्भरता ने यूरोपीय संघ की तैयारियों और आजादी की कमी को स्पष्ट किया.

यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने बुधवार को कहा, 'एक वैश्विक आर्थिक और लोकतांत्रिक शक्ति के रूप में, क्या यूरोप ऐसी स्थिति से संतुष्ट हो सकता है, जहां हम अपने नागरिकों और खतरे में पड़े उन लोगों की निकासी सुनिश्चित करने में असमर्थ हैं, जिन्होंने हमारी मदद की?'

मिशेल ने कहा, 'मेरे विचार में, हमें यह समझने के लिए एक और भू-राजनीतिक घटना की आवश्यकता नहीं है कि यूरोपीय संघ को निर्णय लेने की अधिक स्वायत्तता और दुनिया में कार्रवाई के लिए अधिक क्षमता की खातिर प्रयास करना चाहिए.'

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अफगानिस्तान में दो दशकों के दौरान अमेरिकी वायुशक्ति, परिवहन और रसद पर साजोसामान पर निर्भर नाटो सहयोगियों ने कहा कि उन्हें भी बाहर निकलने के लिए मजबूर होना पड़ा. अमेरिकी समर्थन और उपकरणों के बिना, यूरोपीय देश अफगानिस्तान से अपने नागरिकों या यहां तक ​​कि अपने सैनिकों की सुरक्षित वापसी की गारंटी देने में सक्षम नहीं थे.

यूरोपीय संघ के विदेश मामलों के प्रमुख जोसेप बोरेल ने बुधवार को प्रसिद्ध समाचार पत्र न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित एक आलेख में कहा कि अफगानिस्तान से लोगों की सुरक्षित निकासी और पश्चिमी सैनिकों की वापसी जैसे मुद्दे हमें अपनी सुरक्षा क्षमताओं के लिए अधिक निवेश की खातिर करने आगाह करते हैं.

बोरेल ने अपने आलेख में लिखा कि अफगानिस्तान में यूरोप और अमेरिका जितना एकजुट थे, उसके पहले उतना एकजुट कभी नहीं थे. पहली बार नाटो का अनुच्छेद पांच लागू किया गया था जिसमें सभी सदस्य एक दूसरे की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध होते हैं. उन्होंने कहा कि कई वर्षों तक, यूरोप ने मजबूत सैन्य प्रतिबद्धता जतायी और एक महत्वपूर्ण आर्थिक सहायता कार्यक्रम लागू किया जो कुल 17.2 अरब यूरो या 20.3 अरब अमेरिकी डॉलर का था.

उन्होंने कहा, 'लेकिन अंत में, वापसी का समय और प्रकृति के बारे में वाशिंगटन में फैसला किया गया. हम यूरोपीय लोगों ने खुद को अमेरिकी निर्णयों पर निर्भर पाया.'

(पीटीआई-भाषा)

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