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वायरस का डेल्टा स्वरूप 40 प्रतिशत ज्यादा संक्रामक : ब्रिटिश मंत्री

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Published : Jun 6, 2021, 5:54 PM IST

भारत में मिला कोरोना का डेल्टा वैरिएंट ब्रिटेन के अल्फा वैरिएंट से 40 प्रतिशत ज्यादा संक्रामक है. यह बात ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने कही. पढ़ें पूरी खबर...

Matt Hancock
Matt Hancock

लंदन : ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने रविवार को कहा कि पहली बार भारत में सामने आया कोरोना वायरस का डेल्टा या बी1.617.2 स्वरूप अल्फा या तथाकथित केंट स्वरूप (वीओसी) से 40 प्रतिशत ज्यादा संक्रामक है.

वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री ने कहा कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में हालिया बढ़ोतरी के पीछे डेल्टा स्वरूप का प्रसार है और इसने 21 जून से निर्धारित अनलॉक योजना को और मुश्किल बना दिया है.

उन्होंने हालांकि यह बताया कि डेल्टा स्वरूप की वजह से अस्पताल में भर्ती अधिकतर लोगों को टीके नहीं लगे थे और 'बेहद कम' लोगों को ही कोविड-19 टीकों की दोनों खुराक लगी थी. मंत्री ने कहा कि यह उस वैज्ञानिक सलाह को परिलक्षित करती है कि चिंता के कारक डेल्टा स्वरूप के खिलाफ टीके की एक खुराक अल्फा स्वरूप जितनी प्रभावी नहीं है और दोनों खुराक लेने से ही बचाव है.

हैनकॉक ने बताया, इस आंकड़े के साथ कह सकते हैं कि यह स्वरूप करीब 40 प्रतिशत ज्यादा संक्रामक है, मेरे पास यही नवीनतम परामर्श है. इसका मतलब है कि डेल्टा स्वरूप के साथ वाले वायरस का प्रबंधन और मुश्किल है, लेकिन महत्वपूर्ण रूप से हम मानते हैं कि टीकों की दो खुराक लेने पर आपको इनसे भी उतनी ही सुरक्षा मिलेगी जितनी की पिछले स्वरूप से मिल रही थी.

मंत्री ने यह भी पुष्टि की कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) के तहत अगले कुछ दिनों में 30 साल से कम उम्र के लोगों के लिए भी टीकाकरण खोला जाएगा.

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उन्होंने कहा, इस हफ्ते हम 30 साल से कम आयु वालों के लिए टीकाकरण अभियान खोलेंगे और इस तरह हम उस बिंदू के एक कदम और करीब होंगे जब हम देश में सभी वयस्कों को टीका देने में सक्षम होंगे.

यह पूछे जाने पर कि क्या देश में सभी तरह की लॉकडाउन पाबंदियों को खत्म करने की 21 जून की समयसीमा में कोई विलंब होगा, हैनकॉक ने कहा कि सरकार ने जरूरत पड़ने और निर्धारित जरूरी मानकों के पूरा न होने पर ऐसा करने का विकल्प पूरी तरह खुला रखा है.

सरकार द्वारा अनलॉक के लिए निर्धारित तय मानकों के परीक्षण में यह भी शामिल है कि खतरनाक वायरस के स्वरूप में मूल रूप से बदलाव न आया हो.

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