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भारत-मालदीव संबंधों के लिहाज से बड़ा रणनीतिक कदम है श्रृंगला का दौरा

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Published : Nov 10, 2020, 12:52 PM IST

भारत और मालदीव के संबंधों में पिछले कुछ समय में तल्खियां देखी गई थीं. हालांकि, वर्तमान मालदीव सरकार और भारत के संबंध सकारात्मक हैं. भारत के विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला दो दिवसीय मालदीव दौरे पर हैं. इस दौरे को रणनतीक नजरिए से अहम माना जा रहा है. चीन के साथ लद्दाख में सीमा पर उपजे तनाव के बीच यह यात्रा और भी महत्वपूर्ण है. हाल में ही अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने माले में अमेरिकी दूतावास खोलने का एलान किया था. जिसे एक सकारात्मक फैसला कहा गया. श्रृंगला के दौरे को लेकर जानें पूर्व राजदूत जितेंद्र त्रिपाठी की राय

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला
विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला

नई दिल्ली : कोविड-19 महामारी के बीच, विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला मालदीव की दो दिवसीय यात्रा पर हैं. यह दौरा दोनों देशों के बीच एक अहम रणनीतिक कदम माना जा रहा है. इस संबंध में ईटीवी भारत ने पूर्व राजदूत जितेंद्र त्रिपाठी से बात की. उन्होंने कहा, विदेश सचिव की यह यात्रा साफ संकेत है कि मालदीव के साथ अपने संबंधों को भारत कितना महत्व देता है.

जितेंद्र त्रिपाठी ने श्रृंगला के दौरे को एक रणनीतिक कदम भी बताया. उन्होंने कहा कि दौरे को रणनीतिक माना जा सकता है क्योंकि मालदीव भारत के पश्चिमी तट के ठीक बगल में है. इस क्षेत्र से कई देशों के जहाज गुजरते हैं. उन्होंने बताया कि पूर्व राष्ट्रपति नशीद के कार्यकाल में मालदीव ने चीन की मदद से भारत को कई बड़ी परियोजनाओं से बाहर करने की कोशिश की है. चीन को हंबनटोटा बंदरगाह का नियंत्रण मिलने से भारत काफी असहज था. वहीं मालदीव पाकिस्तान के भी ज्यादा निकट रहा है, जो चिंता का कारण रहा है. ऐसे में श्रृंगला की यात्रा बहुत मायने रखती है. उन्होंने कहा कि मालदीव आम तौर से पाक समर्थक भी है.

उन्होंने कहा कि पूर्वी इलाके में पाक की खुफिया एजेंसी आईएसआई की मौजूदगी और पाक से ऑपरेट कर रहे कई आतंकी संगठन भारत के लिए चिंता का सबब हैं. बकौल जितेंद्र त्रिपाठी, 'वर्तमान मालदीव सरकार भारत समर्थक है और शुरू से ही यह स्पष्ट कर दिया है कि वह पारंपरिक मुद्दों पर भारत के साथ है. पहले भारत और मालदीव के बीच स्थिति काफी तनावपूर्ण थी लेकिन अब दोनों देशों के बीच मजबूत रक्षा सहयोग, विकासात्मक सहायता उपलब्ध है. भारत ने मालदीव को 100 बेड का इंदिरा गांधी मेमोरियल अस्पताल भी उपलब्ध कराया है.

जितेंद्र त्रिपाठी ने कहा कि श्रृंगला की यात्रा से मालदीव इस बात के लिए आश्वस्त होगा कि भारत चीन की तरह केवल पैसे नहीं दे रहा, बल्कि यह सही मायनों में विकास यात्रा का सहभागी है. उन्होंने कहा कि मालदीव के छात्रों को भारतीय विश्वविद्यालयों में पढ़ने का मौका मिल रहा है. छात्रवृत्ति भी दी गई है. इसके अलावा, भारत ने मालदीव में विद्युतीकरण और परिवहन परियोजनाओं सहित विभिन्न परियोजनाओं में निवेश किया है.

उन्होंने कहा कि चीन के रवैये से इतर मालदीव और भारत के आपसी संबंध आश्वासन देने वाले हैं और हाल ही में अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो का मालदीव दौरा भी अहम था. उन्होंने कहा कि मालदीव दौरे के दौरान पोम्पियो ने माले में अमेरिकी दूतावास खोले जाने की घोषणा की थी. इसके मद्देनजर वहां काफी बदलाव आएंगे. बता दें कि वर्तमान में मालदीव के दूतावास महज 4-5 स्थानों पर ही हैं. इनमें भारत, श्रीलंका, पाकिस्तान और सऊदी अरब जैसे देश शामिल हैं.

राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह से मिले श्रृंगला

विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने राष्ट्रपति इब्राहिम सोलिह से मुलाकात की. दोनों ने मालदीव-भारत साझेदारी को और मजबूत बनाने पर चर्चा की. क्षेत्रीय व्यापार और संपर्क बढ़ाने, आर्थिक सहयोग, पर्यटन और महामारी पर काबू पाने पर चर्चा हुई. मालदीव के राष्ट्रपति ने भारत सरकार का आभार व्यक्त किया कि देश में अंतरराष्ट्रीय सीमाओं को फिर से खोलने के बाद से भारतीय पर्यटकों ने मालदीव का दौरा किया है. सोलिह ने कहा, इस वर्ष दोनों देशों के बीच औपचारिक राजनयिक संबंधों की 55 वीं वर्षगांठ है, ऐसे में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध और मजबूत होंगे.

राष्ट्रपति ने मालदीव में चल रही कई परियोजनाओं के लिए भारत को धन्यवाद दिया. बाद में, विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला और मालदीव के विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने एडू सिटी में एक ड्रग-डिटॉक्स केंद्र की स्थापना हनीमाधू में कृषि अनुसंधान केंद्र को अपग्रेड करने के लिए समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए.

भारत इस प्रोजेक्ट में कर रहा है मदद

यात्रा के दौरान विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला मालदीव-ग्रेटर माले कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट (GMCP) के लिए 100 मिलियन डॉलर (करीब 740 करोड़ रुपये) भी सौंपेंगे. भारत परियोजना के लिए कुल मिलाकर 500 मिलियन डॉलर का वित्त पोषण प्रदान कर रहा है, जिसमें से 100 मिलियन डॉलर अनुदान है और 400 मिलियन डॉलर एक क्रेडिट लाइन (LOC) है. देश की सबसे बड़ी परियोजना राजधानी माले को विलिंग्लि, थिलाफुशी और गुलहिफालु के साथ पुलों और कुल 6.695 किलोमीटर की कुल लंबाई के माध्यम से जोड़ेगी.

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