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नस्लवाद, जलवायु परिवर्तन और विभाजन के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में होगी चर्चा

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Published : Sep 22, 2021, 8:06 PM IST

Racism climate crisis

संयुक्त राष्ट्र आम सभा में विश्व के नेता विभिन्न मुद्दों पर अपनी बात रख रहे हैं. इस बार महासभा की उच्चस्तरीय बैठक में भाग लेने के लिए दो दर्जन से अधिक विश्व नेता पहुंचे हैं. बुधवार को जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो और केन्या के राष्ट्रपति उहुरु केन्याता सभा को संबोधित करेंगे.

न्यूयॉर्क : संयुक्त राष्ट्र में नस्लवाद, जलवायु संकट और दुनिया के बीच गहराते विभाजन संबंधी मुद्दों पर बुधवार (स्थानीय समयानुसार) को मुख्य रूप से चर्चा की जाएगी. इससे एक दिन पहले ही संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुतारेस ने मंगलवार को विश्व नेताओं से कहा था, 'मैं यहां आगाह कर रहा हूं: विश्व को जगना चाहिए. हम रसातल के कगार पर हैं और गलत दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.'

उन्होंने कहा था, हमारी दुनिया के लिए कभी भी इतना अधिक संकट नहीं था या यह इतनी अधिक विभाजित नहीं थी. हम अपने जीवन काल में सबसे बड़े संकटों का सामना कर रहे हैं.

वार्षिक उच्च स्तरीय सत्र की बैठक पिछले साल महामारी के चलते ऑनलाइन माध्यम से हुई थी, लेकिन इस बार संयुक्त राष्ट्र में विश्व के नेताओं की उपस्थिति और ऑनलाइन भागीदारी का भी विकल्प दिया गया है. इस बार महासभा की उच्चस्तरीय बैठक में भाग लेने के लिए दो दर्जन से अधिक विश्व नेता यहां पहुंचे हैं.

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चेतावनी दी, 'दुनिया नई अशांति और परिवर्तन के दौर में प्रवेश कर चुकी है.' फिनलैंड के राष्ट्रपति साउली निनिस्टो ने कहा. 'हम वास्तव में एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं.' कोस्टा रिका के राष्ट्रपति कार्लोस अल्वाराडो क्यूसाडा ने घोषणा की, 'भविष्य की मांग है कि सैन्य हथियारों पर कम और शांति में अधिक निवेश किया जाए.'

करीब एक सप्ताह तक चलने वाली बैठक की शुरुआत में मंगलवार को एक के बाद एक वक्ता ने असमानता और दुनिया के बीच गहराते उस विभाजन की निंदा की, जिसके कारण कोविड-19 से निपटने के लिए एकीकृत वैश्विक प्रयास बाधित हुए. कोविड-19 और जलवायु परिवर्तन राष्ट्र प्रमुखों और सरकारों के लिए शीर्ष मुद्दा बने हुए हैं, लेकिन बुधवार को संयुक्त राष्ट्र सभा में सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका के डरबन में आयोजित नस्लवाद के खिलाफ विवादास्पद संयुक्त राष्ट्र विश्व सम्मेलन की 20वीं वर्षगांठ के स्मरणोत्सव पर चर्चा की जाएगी.

इसके बाद राष्ट्र प्रमुख विशाल महासभा हॉल में वार्षिक संबोधन देना पुन: आरंभ करेंगे. बुधवार को जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो और केन्या के राष्ट्रपति उहुरु केन्याता सभा को संबोधित करेंगे.

गुतारेस ने मौजूदा वैश्विक संकट का संभवत: सबसे कड़ा आकलन करते हुए मंगलवार को कहा कि कोविड-19 महामारी ने भयावह असमानताओं को बढा दिया है, वहीं जलवायु संकट ग्रह को परेशान कर रहा है, अफगानिस्तान से इथियोपिया से यमन और अन्य स्थानों पर उथल-पुथल ने शांति को बाधित कर दिया है और दुष्प्रचार लोगों का ध्रुवीकरण कर रहा है और समाज को पंगु बना रही है.

तुर्की के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन ने कहा कि महामारी ने याद दिलाया कि 'पूरी दुनिया एक बड़े परिवार का हिस्सा है, लेकिन एकजुटता की इस परीक्षा में हम बुरी तरह असफल हुए.'

एर्दोआन ने जलवायु संकट पर कहा कि जिसने भी प्रकृति, वातावरण और पानी को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया है, 'और जिसने भी प्राकृतिक संसाधनों का बेतहाशा दोहन किया है' उसे ग्लोबल वार्मिंग से लड़ने में सबसे बड़ा योगदान देना चाहिए.

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रोमानिया के राष्ट्रपति क्लाउस लोहानिस ने कहा, 'महामारी ने हमारे जीवन के लगभग सभी पहलुओं को प्रभावित किया, लेकिन इसने हमें सीखने, स्वयं को परिस्थिति के अनुकूल ढालने और चीजों को बेहतर करने के अवसर भी प्रदान किए.'

अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीन के राष्ट्रपति चिनफिंग ने मंगलवार को सभा को संबोधित किया, जिस पर सभी की निगाहें टिकी थीं. बाइडेन ने महासभा में अपने पहले संबोधन में कहा कि दुनिया 'इतिहास में एक बदलाव के बिंदु' पर खड़ी है और उसे कोविड-19 महामारी, जलवायु परिवर्तन और मानवाधिकार हनन के मुद्दों से निपटने के लिए तेजी से सहयोगात्मक रूप से आगे बढ़ना चाहिए. चीन को लेकर बढ़ते तनाव के बीच बाइडेन ने यह भी कहा कि अमेरिका 'एक नया शीतयुद्ध नहीं चाहता है.' बाइडेन ने चीन का सीधे उल्लेख किये बिना दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव को लेकर बढ़ती चिंताओं को स्वीकार किया, लेकिन उन्होंने कहा, 'हम एक नया शीतयुद्ध या कठोर ब्लॉक में विभाजित दुनिया नहीं चाहते हैं.'

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गुतारेस ने 'द एसोसिएटेड प्रेस' को हाल में दिए साक्षात्कार में नए शीत युद्ध की आशंकाओं के प्रति सचेत करते हुए चीन और अमेरिका से आग्रह किया था कि इन दोनों बड़े एवं प्रभावशाली देशों के बीच की समस्याओं का प्रभाव दुनिया के अन्य देशों पर भी पड़ने से पहले ही वे अपने संबंधों को ठीक कर लें.

अमेरिका के साथ बढ़ते तनाव के बीच चिनफिंग ने संयुक्त राष्ट्र में विश्व के नेताओं से कहा कि देशों के बीच विवादों को 'बातचीत और सहयोग के माध्यम से सुलझाने की आवश्यकता है.' शी ने रिकॉर्ड किये गए भाषण में कहा, 'एक देश की सफलता का मतलब दूसरे देश की विफलता नहीं है. दुनिया सभी देशों के साझा विकास और प्रगति को समायोजित करने के लिए काफी बड़ी है.'

परंपरा के अनुसार पहले ब्राजील ने अपने विचार रखे, जिसके राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो ने महामारी से निपटने को लेकर हो रही उनकी आलोचना को खारिज किया और हालिया आंकड़ों का जिक्र किया, जिनमें अमेजन वनों की कम कटाई का संकेत दिया गया है.

(पीटीआई-भाषा)

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