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RBI Repo Rate : महंगा होगा लोन या ब्याज के बोझ से मिलेगी राहत, जानें क्या कहती है SBI की रिपोर्ट

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Published : Jun 5, 2023, 1:49 PM IST

रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास की अगुवाई वाली छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक छह जून मंगलवार से शुरू होगी, जिसके नतीजे 8 जून को आएंगे. इसी बैठक में फैसला होगा कि लोन सस्ते होंगे या महंगे. लेकिन इससे पहले SBI Research ने महंगाई को लेकर अपनी एक रिपोर्ट जारी की है, इसमें क्या कहा गया है, जानने के लिए पढ़ें पूरी खबर...

RBI Repo Rate
आरबीआई रेपो रेट

नई दिल्ली : रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की जून महीने की बैठक मंगलवार 6 जून से शुरू होगी और इसके नतीजे 8 जून को आएंगे. इस बैठक में ही तय होगा कि आने वाले दिनों में इंटरेस्ट रेट बढ़ेगा या स्थिर रहेगा. ब्याज दरों को लेकर एसबीआई रिसर्च ने अपनी एक रिपोर्ट जारी की है. जिसमें उम्मीद जताई जा रही है कि एक बार फिर आरबीआई रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करेगा. इससे पहले अप्रैल माह में RBI ने रेपो रेट को यथावत रखने का फैसला लिया था.

भारतीय स्टेट बैंक (SBI) के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष द्वारा लिखित रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, RBI न सिर्फ रेपो रेट बढ़ाने पर ब्रेक लगाएगा बल्कि 2023-24 के लिए महंगाई के अनुमानों को कम करने की भी उम्मीद है. इसके अलावा रिपोर्ट में कहा गया है कि जीडीपी ग्रोथ अपग्रेड की करने के लिए भी काम किया जाएगा.

भारत में वित्त वर्ष 2023-24 के लिए खुदरा महंगाई के 5.2 प्रतिशत तक कम होने का अनुमान है, जैसा कि RBI ने अपनी अप्रैल की मौद्रिक नीति बैठक (MPC) में अनुमान लगाया था. यह महंगाई दर पहली तिमाही में 5.1 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 5.4 प्रतिशत और तीसरी तिमाही में भी कोई बदलाव न करते हुए 5.4 प्रतिशत पर रहने की आस लगाई गई. वहीं, चौथी तिमाही में इसे 5.2 प्रतिशत पर लाने की कवायद है. आपको बता दें कि एमपीसी की तीन दिवसीय बैठक की अध्यक्षता आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) करेंगे. जिसके नतीजे 8 जून को जारी किए जाएंगे. यह आरबीआई की चालू वित्त वर्ष के दौरान मौद्रिक नीति समिति की दूसरी और अब तक की 43वीं बैठक होगी.

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2023-24 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि 6.5 प्रतिशत होने का अनुमान है. वहीं, एसबीआई रिसर्च को उम्मीद है कि इस साल जीडीपी ग्रोथ 2022-23 में दर्ज अनुमानित GDP की वृद्धि से अधिक हो सकती हैं. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा हाल ही में जारी अनंतिम अनुमानों के अनुसार, 2022-23 के लिए वास्तविक GDP की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही, जो अनुमानित 7 प्रतिशत से अधिक थी.

मजबूत वैश्विक विपरीत परिस्थितियों और घरेलू मौद्रिक नीति के कड़े होने के बावजूद, विभिन्न अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने भारत को 2023-24 में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने का अनुमान लगाया है. जो निजी खपत में मजबूत वृद्धि और निजी निवेश में निरंतर तेजी के चलते संभव हो सकता है.

महंगाई पर लगाम लगाने के लिए RBI द्वारा मई 2022 के बाद से की गई लगातार वृद्धि के चलते नीतिगत दर रेपो 2.5 फीसदी बढ़कर फरवरी 2023 में 6.5 फीसदी पर पहुंच गई थी. उसके बाद रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति की बैठक अप्रैल 2023 में हुई, जो चालू वित्त वर्ष के दौरान एमपीसी की पहली बैठक थी. रिजर्व बैंक ने उस बैठक में रेपो रेट को यथावत रखने का फैसला किया. इस तरह अभी रेपो रेट 6.5 फीसदी है.

रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआई बैंकों को कर्ज देती है. कार्मशियल बैंक फिर उसी आधार पर आम जनता को लोन देते हैं. इस तरह RBI महंगाई को काबू करने के लिए रेपो रेट को एक टूल की तरह इस्तेमाल करती है. रेपो रेट बढ़ने से लोग लोन कम लेते है और इससे मार्केट में लिक्वडिटी कम हो जाती है, जिससे महंगाई को नियंत्रित करने में मदद मिलती है.

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